योगी सरकार के 3 साल पूरे होने पर भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए खुशखबरी है। सरकार जल्द ही 10,000 राजनीतिक नियुक्तियां करने जा रही है, जिनमें 20,000 से 50,000 रुपए तक का मानदेय मिलेगा। यह कदम पंचायत और विधानसभा चुनावों से पहले कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने और उन्हें सक्रिय करने के लिए उठाया गया है।
भाजपा नेतृत्व ने दी हरी झंडी, यूपी में तेज हुई नियुक्तियों की प्रक्रिया
यूपी भाजपा को राजनीतिक नियुक्तियों की स्वीकृति मिल चुकी है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने 14 फरवरी को लखनऊ में सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने जल्द से जल्द कार्यकर्ताओं को राजनीतिक समायोजन देने का निर्देश दिया।
क्यों जरूरी हैं ये नियुक्तियां?
पंचायत चुनाव 2026 और विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारी को देखते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना आवश्यक है। लेकिन, कई जिलों में कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है। राजनीतिक नियुक्तियां कार्यकर्ताओं को संगठन से जोड़े रखने और संतुष्ट करने का सबसे प्रभावी तरीका मानी जाती हैं।
5,000 से अधिक सभासद और पार्षद भी होंगे मनोनीत
- यूपी में 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका परिषद और 490 नगर पंचायतें हैं।
- लगभग 5,000 से अधिक पार्षदों की नियुक्ति होगी, जिनमें स्थानीय विधायक, सांसद और जिलाध्यक्ष अहम भूमिका निभाएंगे।
- मनोनयन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और भाजपा जिलों से नाम मंगवा रही है।
राजनीतिक नियुक्तियों के फायदे: वेतन के साथ मिलेगा प्रभाव
- 20,000 से 50,000 रुपए तक का मानदेय।
- कई आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों को प्रमुख सचिव के बराबर वेतन।
- लखनऊ में टाइप-4 और 5 के सरकारी आवास, वाहन और सुरक्षा गार्ड की सुविधा।
- सबसे अहम – समाज और क्षेत्र में ओहदा और प्रभाव बढ़ेगा।
सभी जातियों को मिलेगा प्रतिनिधित्व, सिख समुदाय की भी मांग
- पिछली नियुक्तियों में एक या दो जातियों को ज्यादा तरजीह देने की शिकायतें हुई थीं।
- अब सभी जातियों को समान प्रतिनिधित्व देने पर जोर दिया जा रहा है।
- अल्पसंख्यक आयोग में सिख समुदाय अध्यक्ष पद की मांग कर रहा है।
- उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम और अनुसूचित जाति जनजाति वित्त विकास निगम सहित 12 अहम आयोगों में नियुक्तियां प्रस्तावित हैं।
राजनीतिक नियुक्तियां: 2 साल से अटकीं, अब मिलेगी रफ्तार
- योगी सरकार 2.0 बनने के बाद से ही नियुक्तियों की चर्चा थी, लेकिन नगरीय निकाय और लोकसभा चुनावों के चलते प्रक्रिया रुकी रही।
- 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद एससी आयोग, ओबीसी आयोग, महिला आयोग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित कई संस्थाओं में 200 से ज्यादा नियुक्तियां हुईं।
- हालांकि, कुछ नियुक्तियों पर विवाद हुआ, जिससे प्रक्रिया धीमी पड़ गई थी।
- अब नए सिरे से नियुक्तियों की योजना बनाई गई है और यह जल्द ही लागू होगी।
भाजपा के लिए क्यों अहम हैं ये नियुक्तियां?
- 2026 पंचायत चुनाव और 2027 विधानसभा चुनावों के लिए कार्यकर्ताओं को संतुष्ट रखना आवश्यक।
- नाराज कार्यकर्ताओं को संगठन से जोड़े रखने का यह सबसे प्रभावी तरीका।
- स्थानीय स्तर पर भाजपा की पकड़ मजबूत होगी।
- भविष्य के चुनावों में पार्टी को लाभ मिल सकता है।
अब देखना होगा कि भाजपा इन नियुक्तियों को कितनी तेजी से अमल में लाती है और यह रणनीति आगामी चुनावों में कितनी कारगर साबित होती है।