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गोनार्द से गोंडा तक का सफर

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यूपी के गोंडा जिला का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। आज भी यह ज‍िला अपने एतिहासिक विरासत को संजोये हुए है। ये जिला अपने गहरे इतिहास और अपनी संस्कृति के लिए पूरे यूपीभर में जाना जाता है। जिले के भगौलिक दृष्टि की अगर बात करे तो गोण्डा ज़िला उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में घाघरा नदी के उत्तर देवीपाटन मण्डल गोण्डा में स्थित है। विश्व के मानचित्र में जनपद गोण्डा 26.41 से 27.51 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 81.30 से 82.06 पूर्वी देशान्तर के बीच में बसा हुआ है। जिले के उत्तर में श्रावस्ती जिला, दक्षिण में अयोध्या जिला, पूर्व में बस्ती जिला, उत्तर-पूर्व में बलरामपुर जिला व सिद्धार्थनगर जिला, दक्षिण-पश्चिम में बाराबंकी जिला तथा उत्तर-पश्चिम में बहराइच जिला स्थित है।

नदियों से घिरे होने के कारण जिले की मिट्टी काफी उपजाऊ है। यहां प्रमुख रूप से चावल, मक्का, गेहूं व तम्बाकू की खेती होती है। मसूर की दाल की यहां पर बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। इसके अलावा जिले में रेत और कंकरीट भी बड़ी मात्रा में पाई जाती है। जिले में घाघरा, सरयू एवं कुआनो तीन प्रवाहिनी नदियाँ हैं। घाघरा दक्षिणी भाग से जिले में प्रवेश करती है, वहीं दूसरी ओर सरयू नदी जनपद के दक्षिण पश्चिम दिशा से विकास खण्ड करनैगंज में प्रवेश करती हुयी पसका के पास घाघरा नदी में मिल जाती है। इसके अलावा बिसुही, मनवर व टेढ़ी मौसमी नदियाँ हैं। इसके अलावा जिले में कई प्रमुख झीलें भी बहती हैं, जिसके अंतर्गत अरंगा पार्वती व कोलार आदि झीलें शामिल हैं।

गोनार्द था गोंडा का प्राचीन नाम-प्राचीन होने के साथ ही पौराणिक दृष्टिकोण से भी ये जिला काफी महत्वपूर्ण है। गोंडा के वर्तमान जिले द्वारा कवर किया गया क्षेत्र प्राचीन कोशल साम्राज्य का हिस्सा था। गोंडा को लेकर मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्री राम की गायें जिले से जुड़े भूभाग में चरने आया करती थीं।बताया जाता है कि गोंडा का प्राचीन नाम गोनार्द था, जिसका मतलब होता है गायों का चाराघर। इसी गोनार्द के परिवर्तित रूप को ही आज गोंडा नाम से जानते हैं। गोण्डा को महाभाष्यकार पतंजलि की जन्मभूमि भी माना जाता है।

पतंजलि को "गोनर्दीय पतंजलि" भी कहते है। यहाँ स्थित "सूकरखेत", जो सूकरक्षेत्र का ही अपभ्रंश है। मान्‍यता है क‍ि यहां सतयुग में भगवान विष्णु वाराह अवतार के रूप में प्रकट हुए थे। आपको बता दे कि साल 2011 की जनगणना के आधार पर गोंडा की कुल जनसंख्या 34,02,376 है। यहां का स्त्री- पुरूष लिंगानपात 921 व बाल लिंगानुपात 926 है। गोंडा का जनसंख्या घनत्व 858 प्रति वर्ग किमी. व जनसंख्या वृद्धि दर 24.17% है। यहां की जनसंख्या उ.प्र. की कुल जनसंख्या का 1.72 प्रतिशत है। जिले की साक्षरता दर 58.71 प्रतिशत है, जिसके अंतर्गत पुरूष साक्षरता दर 69.41 % व महिला साक्षरता दर 47.09 % है। जिले का ज्यादातर भाग गांवों से जुड़ा हुआ है। अतः यहां ग्रामीण आबादी शहरी आबादी से काफी अधिक है। जिले की ग्रामीण जनसंख्या 32,09,542 व नगरीय जनसंख्या 1,95,834 है।

जिले में मौजूद है कई प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल-गोण्डां मुख्यालय से दक्षिण 35 कि.मी. पर उमरी बेगमगंज में मां बाराही नामक विश्व का एकमात्र बड़ा ही पुरातन मंदिर है और इसी दिशा में गोण्डा से 37 कि. मी की दूरी पर पसका (सूूूकरखेत) मे प्रसिद्ध बाराह भगवान मन्दिर है। तुुुलसीदास के गुुरू नरिहरदास जी का आश्रम भी यही है। गोंण्डा में श्री दुःख हरणनाथ मंदिर, काली भवानी, खैरा भवानी, हनुमानगढ़ी, सुरसा मंदिर प्रमुख मंदिर हैं व गोण्डा से 35 कि. मी उत्तर खरगुपुर में एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग बाबा पृथ्वीनाथ मंदिर का है जो पांडव द्वारा स्थापित किया गया है।

इन्ही के समीप झाली धाम में कामधेनु गौ और विशालकाय कछुए देश-विदेश के पर्यटकों की उत्सुक्ता का केंद्र है। गोण्डा के नवाबगंज में पार्वती अरगा पक्षी विहार है जहां देशी व विदेशी पक्षीयों का दर्शन होता है। मुख्यालय से उत्तर में धानेपुर के समीप एक बहुत बड़ी मनोरम सोहिला झील भी है, जिसके पास धरमेई गाँव सुप्रसिद्ध कथाव्यास श्रद्धेय श्रीकृष्णानंद व्यास जी की जन्मस्थली है। यही नहीं गोंडा के बीचोंबीच गाँधी पार्क में गांधी जी की बहुत बड़ी मुर्ति स्थित है। यह शहर पर्यटन के दृष्टि से बेहद अहम माना जाता है।

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