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प्राण प्रतिष्ठा पर रामलला को भेट किए जाएंगे कौन से खास उपहार?

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(Special Story) रामनगरी अयोध्या ही नहीं देश और दुनिया को उस खास दिन का इंतजार है, जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपने भव्य भवन यानी मंदिर में विराजेंगे। राम मंदिर को बनाने का काम जोरशोर से किया जा रहा है। 22 जनवरी को होने वाली रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अयोध्या सहित पूरे देश में तैयारियां जोरों से चल रही हैं। इस पूरे कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए कई तरह की व्यवस्थाएं की जा रही हैं। अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देशभर के VVIP को जहां न्योता दिया गया है वहीं विदेशों से भी बड़ी हस्तियों को निमंत्रण भेजा गया है। जहां प्राण प्रतिष्ठा के दौरान राम लला के लिए ख़ास आभूषण और वस्त्रों को तैयार किया जा रहा है वहीं देशभर से रामभक्त अपने मनमुताबिक भगवान को अर्पण के लिए विषेश चीजें तैयार कर रहे हैं।

5000 से ज्यादा अमेरिकी हीरे वाला हार-

भगवान राम को अर्पित करने के लिए सूरत के हीरा व्यापारी कौशिक काकाड़िया ने राम मंदिर की थीम पर एक नेकलेस बनाया है। जिसे वो अयोध्या के बन रहे भव्य राम मंदिर को गिफ्ट करेंगे।  इस ख़ास नेकलेस (हार) को बनाने में 5000 से ज्यादा अमेरिकी हीरे और 2 किलो चांदी इस्तेमाल की गई है। इस नेकलेस को 40 कारीगरों द्वारा 35 दिनों में तैयार किया गया है।रसेश ज्वेल्स के निदेशक काकाड़िया ने कहा- हमने अयोध्या के नए राम मंदिर से प्रेरित होकर ये नेकलेस बनाया है। इस नेकलेस में रामायण के मुख्य किरदार की स्ट्रिंग में तराशा गया है।

भगवान राम को भेंट की जाएंगी सोने की चरण पादुका-

राम नगरी अयोध्या में 22 जनवरी को भगवान श्रीराम के मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनकी चरण पादुकाएं भी रखी जाएंगी। ये चरण पादुकाएं एक किलो सोने और और सात किलो चांदी से तैयार की गई हैं। इनको कहां बनाया गया किसने तैयार किया कितना समय लगा...सब कुछ विस्तार से... 

इन्होंने तैयार की हैं चरण पादुका-

अयोध्या राम मंदिर में विराजित होंगी सोने की चरण पादुकाएं हैदराबाद के श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने बनाई हैं। भगवान श्रीराम की ये चरण पादुकाएं फिलहाल देशाटन पर हैं। इसी सिलसिले में रविवार को इनको रामेश्वरधाम से अहमदाबाद लाया गया है। यहां से सोमनाथ ज्योतिर्लिंग धाम द्वारकाधीश नगरी और इसके बाद बद्रीनाथ धाम ले जाई जाएंगी। प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव से पहले 19 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगी। आपको बता दें कि श्रीचल्ला श्रीनिवास इन पादुकाओं को हाथ में  लेकर अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर की 41 दिन की परिक्रमा भी कर चुके हैं।

जनकपुर से आएंगे खास उपहार-

जहां देशभर के लोग भगवान राम के विराजने का इंतजार कर रहा है। वहीं जनकपुर के लोगों को भी इंतजार है जब उनकी बेटी उस भव्य मंदिर में प्रवेश करेंगी। जिस तरह से श्रीराम के विराजमान होने से पहले अयोध्या को सजाया संवारा जा रहा है ठीक वैसे ही जनकपुर में भी तैयारियां चल रही हैं। जनकपुर के लोग अपनी बेटी के घर बास के लिए उपहारों को इकट्ठा करने में जुट गए हैं। वो तीन जनवरी को जनकपुर से अयोध्या के लिए रवाना होंगे और 6 जनवरी को उपहार श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौपेंगे।

क्या होता है घर बास-

जनकपुर में जानकी मंदिर के महंत रोशन दास के मुताबिक जनकपुर की परंपरा में जब कोई बेटी अपने नए घर में प्रवेश करती है तो मायके वाले अपने दामाद को उपहार देते हैं जिसे घर बास कहा जाता है। घर बास परंपरा के तहत जनकपुर से पांच सौ लोग 1100 डाली में प्रभु श्रीराम और सीता के लिए कपड़े, गहने, फल और मेवा लाएंगे। सामानों को पैक करने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। 

कहां है जनकपुर-

बिहार के दरभंगा जिले से करीब 40 किलोमीटर दूर जनकपुर है। जो नेपाल का हिस्सा है।  वाल्मीकि रामायण के मुताबिक जनकपुर में ही माता सीता माता का जन्म हुआ था। यहीं पर राजा जनक को खेत में हल चलाते हुए वो माता सीता मिली थीं। 1816 से पहले यह ब्रिटिश भारत का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन 1816 में सुगौली की संधि के बाद अंग्रेजों ने जनकपुर को नेपाल को सौंप दिया था।

कितना तैयार हुआ राममंदिर-

वहीं अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का फर्स्ट फ्लोर का काम लगभग 80% बनकर तैयार हो चुका है। अब पत्थर के फर्श की घिसाई और पिलर्स के खंभों को कलाकार  अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। दिसंबर के आखिर तक फिनिशिंग और फर्स्ट फ्लोर का निर्माण पूरा करने का दावा राम मंदिर ट्रस्ट कर रहा है। समय पर निर्माण पूरे कराने के लिए राम मंदिर परिसर में मजदूरों की संख्या को  3200 से बढ़ाकर 3500 कर दिया गया है। 

मंदिर परिसर में रोकी गई VVIP विजिट-

आपको बता दें कि राम मंदिर निर्माण स्थल पर VVIP के आवागमन  पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। इस बारे में ट्रस्ट का कहना है कि इसका फैसला मंदिर निर्माण की गति को बिना अवरोध लगातार जारी रखने के लिए किया गया है। एलएंडटी और टीएसी के इंजीनियर्स की देखरेख में आठ-आठ घंटे के 3 शिफ्टों में मंदिर निर्माण का काम लगातार चल रहा है। ट्रस्ट मंदिर निर्माण के कार्य को समय रहते पूरा कराने के लिए किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है। मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की डेट तय हो जाने के चलते सारे कामों को जल्दी से जल्दी निबटाने के प्रयास किए जा रहे हैं।  

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