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मौनी अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, CM योगी ने दी बधाई

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मौनी अमावस्या का पावन पर्व आज बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। दान, व्रत व त्याग के लिए प्रेरित करने वाले आस्था के महापर्व मौनी अमावस्या की सीएम योगी ने सभी प्रदेश वासियों को बधाई दी। मौनी अमावस्या के मौके पर अयोध्या के सरयू घाट पर सुबह से ही स्नान के लिए लागों लोग उमड़े रहे हैं। गुरुवार की शाम से ही भक्तों का जमावाड़ा शुरू हो गया था। इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य करते हैं। इसी मान्यता के कारण रामनगरी अयोध्या में भी लाखों श्रद्धालु आते हैं और सरयू नदी में डुबकी लगाकर मंदिर में दर्शन-पूजन करते हैं। करीब 5 लाख श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है। इसके साथ ही काशी में भी सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। श्रद्धालुए स्नान कर दान और पुण्य का लाभ ले रहे हैं। काशी में 2 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाई है। 

मौनी अमावस्या  का शुभ मुहूर्त- 

माघ अमावस्या शुक्रवार, 9 फरवरी को सुबह 08:02 बजे शुरू हुई। यह 10 जनवरी को प्रातः 04:28 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में दिनों की गिनती उदया तिथि से की जाती है। इसलिए मौनी अमावस्या 9 फरवरी यानि आज ही है। इसके साथ ही मौनी अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07:05 बजे से लेकर रात को 11:29 बजे तक रहेगा। इस दिन जप और तप करने वाले व्यक्ति को शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति और मन को शांति मिलती है। पीपल की 108 परिक्रमा करने से भी मनोकामना पूरी होती है। 

मौनी अमावस्या  की मान्यता-

ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन रहकर स्नान और दान करने से मनुष्य के कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं। ज्योतिषियों का यह भी मानना है कि दान करने से पहले सवा घंटे तक मौन रख लिया जाए तो पुण्यफल 16 गुना बढ़ जाता है।ज्योतिष के अनुसार, मौनी अमावस्या तब मनाई जाती है जब माघ महीने के दौरान चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में एक साथ आते हैं। मौनी अमावस्या के दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों की संयुक्त ऊर्जा के प्रभाव से इस दिन का महत्व और भी अधिक हो जाता है। ज्योतिष में सूर्य को पिता और धर्म का कारक माना जाता है, इसलिए जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में मिलते हैं तब मौनी अमावस्या का पर्व मनाया जाता है।

 इस मंत्र का जाप लाभदायक-

ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन श्रद्धालु "ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि, शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्” मंत्र का जाप 108 बार करें।

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