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रामलला की 84 सेकंड वाली प्राण प्रतिष्ठा, भारत के लिए कितनी उपयोगी?

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(Special Story) करीब 500 साल के लम्बे संघर्ष और इंतजार के बाद सभी राम भक्तों की भावनाओं के अनुरूप अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भगवान राम का विशाल मंदिर बन रहा है। अब वो शुभ घड़ी भी आ गई है जब भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान होंगे। उनकी प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है। इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त भी सामने आ गया है जिसके मुताबिक भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा 84 सेकेंड के मुहूर्त में ही पूरी की जाएगी। बताया जा रहा है कि पंच बाण से मुक्त ये मुहूर्त भारत के लिए संजीवनी का काम करेगा। भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भारत के विश्वगुरु बनने की राह भी प्रशस्त करेगा। क्या होती है प्राण प्रतिष्ठा और कैसे की जाएगी पूरी प्रक्रिया को विस्तार से जानते हैं...

5 मुहूर्तों में से चुना गया सबसे शुभ मुहूर्त- 

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का ये मुहूर्त देश के साथ ही इस प्राण प्रतिष्ठा के यजमान बनने वाली देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी लाभकारी होगा। राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देश भर से 5 मुहूर्त प्रस्तावित किए गए थे। राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अंच में गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा और काशी के विद्वानों पर अंतिम निर्णय छोड़ दिया। इसमें सबसे अधिक शुभ मुहूर्त 22 जनवरी का ही निर्धारित किया गया था। देशभर के विद्वानों की ओर से 17, 21, 24, 25 जनवरी का प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त दिया गया था। उनमें से काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने एक मुहूर्त चुना है। 22 जनवरी की यह तिथि पांच बाण अग्नि बाण, मृत्यु बाण, चोर बाण, नृप बाण और रोग बाण से पूरी तरह से मुक्त है।  इसके कारण यह देश के लिए संजीवनी योग का निर्माण कर रहा है। 

शुभ मुहूर्त के वो 84 सेकेंड-

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण और राममंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त निकालने वाले पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने बताया कि मेष लग्न में वृश्चिक नवांश में अभिजीत मुहूर्त में श्रीरामजन्मभूमि में रामलला  की मूर्ति स्थापना के लिए अतिसूक्ष्म मुहूर्त है। ये दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट आठ सेंकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक 84 सेकेंड का है।

मुहूर्त की भी कराई जाएगी शुद्धि-

पंडित गणेश्वर शास्त्री के मुताबिक मुहूर्त कितना भी शुद्ध क्यों न हो उनसी की पूर्ण शुद्धि का विधान जरूरी है। इस मुहूर्त की शुद्धि भी की जाएगी। इसलिए मुहूर्त शुद्धि का समय 20 मिनट का होगा। यह 19 जनवरी की शाम 6 बजे से शुरू होकर 6 बजकर 20 मिनट तक चलेगा। इसके बाद 20 जनवरी को सूर्योदय से पहले मुहूर्त शुद्धि का संकल्प होगा।

अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा से होगी राम राज्य में वृद्धि-

आपको बता दें कि गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा के परीक्षाधिकारी मंत्री पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने के मुताबिक 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा करने का लाभ ये होगा कि रामजी की राज्यवृद्धि होगी अर्थात नीति के मुताबिक शासन कार्य चलेगा। प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त पर देशभर से आई आपत्तियों को गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा ने खारिज कर दिया है। राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने मुहूर्त पर आई आपत्तियों के निराकरण के लिए काशी गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा को पत्र लिखा था। सभा ने आपत्तियों को खारिज करते हुए 22  जनवरी के मुहूर्त को  सर्वाधिक शुभ बताया है।


 
काशी से ही अयोध्या जाएगी विशेष हवन सामग्री-

अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के कर्मकांड की पूरी जिम्मेदारी काशी के वैदिक ब्राह्मणों को दी गई है। इसके साथ ही काशी से ही हवन, पूजन और प्राण प्रतिष्ठा समारोह की सामग्री अयोध्या लाई जाएगी। 26 दिसंबर को काशी के ब्राह्मणों का पहला जत्था अयोध्या रवाना होगा। इसके साथ ही यज्ञ कुंड व पूजन मंडप का कार्य भी आरंभ हो जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में चारों वेदों के साथ ही कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के 51 वैदिक ब्राह्मण काशी से रवाना होंगे। बताया कि प्राणप्रतिष्ठा मुहूर्त को भव्य बनाने के लिए और कोई भी पूजा छूट न जाए, इसलिए ग्रंथों के अध्ययन के साथ ही देशभर के विद्वानों से संपर्क किया जा रहा है।

8 तरह के मंडप का होगा निर्माण-
 
रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में आठ तरह के मंडप का निर्माण किया जाएगा। काशी से अयोध्या जाने वाले वैदिक चारों वेदों का पारायण करेंगे। इसके साथ ही काशी से 108 कलश पंचगव्य, 10 तरह की समीधा, सहस्त्रछिद्राभिषेक के लिए घड़ा, तीर्थों का जल, नवरत्न, पंचरत्न, पारा और सप्तधान्य अयोध्या पूजन के लिए जाएगा। कर्मकांडी पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में देश भर के 121 वैदिक ब्राह्मण प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त को संपन्न कराएंगे। इन सबका चुनाव कांची के शंकराचार्य शंकर जयेंद्र सरस्वती ने किया है। 

16 जनवरी से होगी प्राण प्रतिष्ठा की शुरूआत-

अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत 16 जनवरी को सरयू की जलयात्रा के साथ होगी। पहले दिन भगवान की मूर्ति को नगर भ्रमण कराया जाएगा। 17 जनवरी को गणेश पूजन के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह की शुरूआत हो जाएगी। 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा होगी । इसके बाद भगवान श्रीराम की पहली आरती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उतारेंगे। आइए जानते हैं क्या होती है प्राण प्रतिष्ठा...

क्या होती है प्राण प्रतिष्ठा-

आपको बता दें कि सनातन धर्म में प्राण प्रतिष्ठा की परंपरा सांस्कृतिक मान्यता से जुड़ी हुई है। धार्मिक मान्यता है कि पूजा-अराधना वास्तव में मूर्ति की नहीं, बल्कि उसमें निहित दिव्य शक्ति और चेतना की होती है। किसी मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा करने का मतलब होता है उसमें ईश्वरतत्व  को स्थापित करना। जब भी किसी घर या मंदिर में देवी-देवता की मूर्ति को स्थापित किया जाता है तो मूर्ति को जीवित करने के अनुष्ठान को ही प्राण प्रतिष्ठा कहा जाता है। यानी प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंत्र-पूजन द्वारा उस देवी-देवता का आह्वान किया जाता है कि वे उस मूर्ती में प्रतिष्ठित यानी विराजमान हों। इसी समय पहली बार मूर्ती की आंखें खोली जाती हैं। इससे पूर्व किसी भी मूर्ति को पूजन योग्य नहीं माना जाता। बल्कि निर्जीव मूर्ति मानते हैं। 

किसी पत्थर की भी हो सकती है प्राण प्रतिष्ठा-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्राण प्रतिष्ठा के समय महत्त्व मूर्ति की शिल्पगत सुन्दरता का नहीं होता है, बल्कि यदि कोई साधारण सा पत्थर भी रख दिया जाए और उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाय तो भी वह उतना ही फलदायक रहता है जितना की किसी सुंदर कलाकार द्वारा निर्मित मूर्ती होती है।  

प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया-

मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा करने के नियमों पर को जान लीजिए। सबसे पहले मूर्ति को समारोहपूर्वक लाया जाता है।  देव प्रतिमा को पवित्र नदियों के जल से स्नान कराया जाता है। मूर्ति को साफ मुलायम कपड़े से पोछने के बाद प्रतिमा को सुंदर वस्त्र धारण कराएं और स्वच्छ जगह पर विराजित किया जाता है। सबसे पहले मूर्ति की आंख खोली जाती हैं। भगवान की प्रतिमा पर चंदन का लेप आदि लगाने के बाद फूलों से सिंगार किया जाता है। बीज मंत्रों का पाठ कर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। आखिर में देव स्तुति, आरती के बाद प्रसाद वितरण करना ज़रूरी होता है।इस दौरान एक बात का ध्यान रखना ज़रूरी होता है, कि मूर्ति का मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इस अनुष्ठान को हिंदू मंदिर में जीवन का संचार करने के साथ उसमें दिव्यता और आध्यात्मिकता की दिव्य उपस्थिति लाने वाला माना जाता है। इसी वजह से प्राण प्रतिष्ठा के बाद हमें दैवीय अहसास होता है। 
अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की बात करें तो राम लला की मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा महापूजा नित्य पूजन और शुभ महूर्त में मृगशिरा नक्षत्र में होगी। इस प्राण प्रतिष्ठा के कर्मकांड की ज़िम्मेदारी निभाने का काम काशी के पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और उनके बेटों की ओर से किया जाएगा। 

किले में तब्दील हुई अयोध्या-

अयोध्या में बने नए हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 दिसंबर को अयोध्या के दौरे पर रहेंगे। इसके चलते अयोध्या की राम नगरी को किले में तब्दील किया गया है। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।  पीएम मोदी के अयोध्या में रहने के दौरान सुरक्षा के खास सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। जिससे की कार्यक्रम में किसी भी प्रकार का व्यवधान पैदा न हो।अति महत्वपूर्ण मूवमेंट को देखते हुए आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार को सिक्योरिटी का नोडल अधिकारी बनाया गया है। 

UP पुलिस, PSC और सीएपीएफ जवान रहेंगे तैनात-

30 दिसंबर और 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम में सुरक्षा व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ-साथ पीएससी और सीएपीएफ के जवान भी अयोध्या की सुरक्षा में तैनात रहेंगे। सीआईएसएफ की तर्ज पर उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष सुरक्षा बल यानी यूपीएसएसएफ को भी अयोध्या में तैनात किया गया है और यूपीएसएसएफ को सीआईएसएफ की तर्ज पर लोगों की चेकिंग, जांच की ट्रेनिंग दी गई है। अपराधी और माफिया प्रवृति के लोगों पर नजर रखने के लिए यूपीएससी की टीमों को पहले से ही लगाया गया है। 

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