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अयोध्या श्रीराम की जन्मभूमि के साथ ही 5 जैन तीर्थंकरों की भी है जन्म स्थली

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मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। निषाद राज को गले लगाना, जटायू का उनके पुत्र की तरह अंतिम संस्कार करना, कोलों और किरातों के बीच रम जाना, बानर राज सुग्रीव से दोस्ती के जरिए उन्होंने सामाजिक  समरसता की मिसाल पेश की। ऐेसे ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या  5 जैन तीर्थंकरों की भी है जन्म स्थली है।

सामाजिक समरसता की प्रतीक है अयोध्या-

5 जैन तीर्थंकरों भगवान आदिनाथ, अनंतनाथ, सुमतिनाथ, अजीतनाथ, अभिनंदन नाथ की जन्म स्थली भी अयोध्या है। अयोध्या में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ (ऋषभ देव) मंदिर है। इसमें उनकी 21 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। सिख समाज के ब्रह्मकुंड और नजर बाग में दो गुरद्वारे हैं। इनका संबंध गुरु नानक, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह से है। सम्राट अशोक ने भी अपने शासनकाल में अयोध्या में कई बौद्ध इमारतों का निर्माण कराया था। यह अयोध्या के सामाजिक समरसता के उदाहरण है। इसी  सामाजिक समरसता की आज देश को सर्वाधिक जरूरत है। 
राम मंदिर आंदोलन के सलाखा पुरुष गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर रहे और वर्तमान पीठाधीश्वर एवम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ता उम्र इस सामाजिक समरसता के मुखर पैरोकार थे। वह न केवल इसके पैरोकार थे बल्कि निजी जीवन में इसे जिया भी। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उनके सामाजिक समरसता के संदेश के सारे उदाहरण श्री राम के जीवन से जुड़े उन्ही पात्रों से होते थे जिनका जिक्र  ऊपर किया जा चुका है।

नई अयोध्या और प्रभावी ढंग से देगी समरसता का संदेश-

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्ग दर्शन और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के ही शिष्य योगी आदित्यनाथ की निगरानी में राम के जीवन से अभिन्न रूप से जुड़े निषाद राज, माता सबरी और अहिल्या मंदिर, सुग्रीव किला को नए सिरे से सजाया संवारा जा रहा है। गीद्ध राज जटायू की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। सामाजिक समरसता को और व्यापक करने के लिए अयोध्या में निर्मित अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामकरण रामायण के रचयिता महर्षि बाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया। इस सबसे योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जरिए जिस सामाजिक समरसता की कल्पना की थी। जिसके लिए जीवन भर लगे रहे उसका रंग और चटक होगा।

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