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हेमंत शर्मा की नई किताब ‘राम फिर लौटे’ का विमोचन आज, जानिए हेमंत शर्मा ने बुक के बारे में क्या बताया...

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वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात लेखक और टीवी9 भारतवर्ष के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा की एक और नई किताब आई है जिसका शीर्षक है 'राम फिर लौटे'। इसका लोकार्पण आज  शाम 5 बजे दिल्ली के आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में होगा। किताब का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले करेंगे।इसके साथ ही स्वामी ज्ञानानंदजी महाराज के पावन सानिध्य में किताब लॉन्च की जाएगी। सर्वोच्च न्यायलय के पूर्व न्यायधीश हेमंत गुप्ता विशिष्ट अतिथि होंगे। कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के अंतराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी उपस्थित होंगे। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकारों मीडिया जगत के लोगों के साथ ही कई बड़े नेता और वीवीआई भी मौजूद होंगे। किताब को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। किताब की कीमत 200 रुपये है।
अयोध्या आंदोलन और राम मंदिर निर्माण को नजदीक से देखने और उसके तमाम अनछुए एवं प्रमाणिक पहलुओं को सजीव रुप से पाठकों के सामने रखने का प्रयास किया है वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने। आइए आपको बताते है कि नई किताब के बारे में उन्होंने क्या बताया...  

राम फिर लौटे...

अयोध्या आन्दोलन अपने मकसद में कामयाब रहा। मंदिर तो बन गया। अब आगे क्या ? यह मंदिर किन भारतीय सॉंस्कृतिक मूल्यों का उर्जा पुंज  बनेगा। यह मंदिर हमारी सनातनी आस्था का शिखर तो होगा ही। भारतीयता का तीर्थ भी बनेगा।राम के पुरुषोत्तम चरित्र,अयोध्या के सॉस्कृतिक मूल्य और राम मंदिर आन्दोलन पर रौशनी डालती मेरी नई किताब “ राम फिर लौटे”।  ((वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा))

आइए आपको बताते हैं कि हेमंत शर्मा ने किताब के लिए आखिर राम को ही क्यों चुना इसके बारे में उन्होंने क्या कहा...

राम ही क्यों?

क्योंकि राम भारत की चेतना हैं। राम भारत की प्राण शक्ति हैं। राम ही धर्म है। धर्म ही राम है। भारतीयों के जीवन का आदर्श लोक राम नाम के धागों से बुना है। राम निर्गुनियों के अनहद में हैं। और सगुनियों के मंदिर घट में भी। मानव चरित्र की श्रेष्ठता और उदात्तता का सीमांत राम से बनता है। कष्ट और नियति चक्र के बाद भी राम का सत्यसंध होना भारतीयों के मनप्राण में गहरे तक बसा है। राम केवल अयोध्या के राजा,सीता के पति, रावण के संहारक या केवट के तारक नहीं हैं। हर व्यक्ति के जीवन में हर कदम पर जो भी अनुकरणीय है। वह ‘राम’ है। इसलिए वो भगवान से भी आगे ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ कहे गए। यह विशेषण राम के इतर और किसी देवता को लभ्य नहीं है। शिव को नहीं, कृष्ण को भी नहीं। इसलिए राम सबके हैं। सब में हैं।

ऐसे राम अयोध्या में फिर लौट आए हैं। अपने भव्य, दिव्य और विशाल मंदिर में। जिसके लिए पाँच सौ साल तक हिन्दू समाज को संघर्ष करना पड़ा। अब जाकर वहॉं जो भारतीयता का तीर्थ बना है वो महज एक राम मंदिर नहीं है। हमारी सनातनी आस्था का शिखर है। यह बदलते भारत का प्रतीक है। जो दुनिया की ऑंख में आँख डाल यह ऐलान करता है। कि राम थे। राम हैं । और राम रहेंगे। क्योंकि इसी देश में कुछ लोगों ने राम के अस्तित्व पर सवाल खड़ा किया था। उन्हें काल्पनिक चरित्र बताया था। अयोध्या में जन्मस्थान मंदिर के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की गयी। राम की व्यापकता और सार्वकालिकता को देखते हुए राम के अस्तित्व पर सवाल खड़े करने वाली जमात भी आज राम नाम जपने को मजबूर हो रही है।

यह पुस्‍तक “राम फिर लौटे” राम के समग्र क्या, आंशिक आकलन का भी दावा नहीं करती। पर इसका उद्देश्य राम तत्व, रामत्व और पुरुषोत्तम स्वरूप की विराटता से लोगों को परिचित कराना है। रामराज्य के लोक मंगल और समरसता को रेखांकित करना है। यह किताब रामत्व और राममयता के विराट संसार के समकालीन और कालातीत संदर्भों का पुनर्मूल्यांकन है। मंदिर बनने के बाद के भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य क्या होंगे? मंदिर किन भारतीय मूल्यों का कीर्ति स्तंभ होगा? इन सारे सवालों का जवाब तलाशना है तो एक किताब जरूर पढ़े जो आज लॉन्च होने के बाद सभी के लिए उपलब्ध हो जाएगी।
((खबर लिखने में वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात लेखक और टीवी9 भारतवर्ष के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा की सोशल मीडिया पोस्ट के कुछ अंशों का प्रयोग किया गया है।)) 

 

 

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