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आसान नहीं होता अवनि बन जाना, गोल्ड मेडल के पीछे छिपा है दशकों का संघर्ष...

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पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की स्टार पैरा निशानेबाज अवनि लेखरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। अवनि ने फाइनल में 249.7 अंक अर्जित कर न केवल गोल्ड पर कब्जा जमाया, बल्कि नया ओलंपिक रिकॉर्ड भी कायम किया। इस शानदार प्रदर्शन के साथ अवनि ने लगातार दूसरी बार पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है।

भारत को मिला पहला पदक

अवनि लेखरा ने पेरिस पैरालंपिक में भारत का पहला पदक जीतते हुए देश को गर्व का अनुभव कराया। उनके साथ ही मोना अग्रवाल ने भी बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता, जिससे भारत को दूसरा पदक मिला। पेरिस पैरालंपिक का दूसरा दिन भारतीय खिलाड़ियों के लिए खास रहा, जिसमें अवनि और मोना की मेहनत ने भारत को गौरव दिलाया।

संघर्ष की मिसाल: अवनि लेखरा का सफर

अवनि लेखरा की यह जीत केवल एक पदक नहीं, बल्कि उनके कठिन संघर्ष और असीमित धैर्य की कहानी है। वर्ष 2012 में मात्र 12 साल की उम्र में एक भयानक दुर्घटना के कारण अवनि को पैरालिसिस का सामना करना पड़ा, जिससे उन्हें हमेशा के लिए व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा। इस दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया, लेकिन अवनि ने हार मानने की बजाय अपने संघर्ष की शुरुआत की। उन्होंने तीन साल के भीतर शूटिंग को अपना जीवन बना लिया और पांच साल के भीतर ही वह गोल्डन गर्ल बन गईं।

कठिनाईयों को मात देकर बनीं चैंपियन

अवनि के पिता प्रवीण लेखरा बताते हैं कि दुर्घटना के बाद अवनि पूरी तरह से टूट चुकी थीं और डिप्रेशन में चली गई थीं। उनकी पीठ की सर्जरी के बाद वह इतनी कमजोर हो गई थीं कि सामान्य काम भी नहीं कर पाती थीं। लेकिन उनके माता-पिता ने अवनि को खेल से जोड़ने का फैसला किया और उन्हें शूटिंग में हाथ आजमाने के लिए प्रेरित किया। शुरुआत में अवनि को गन उठाने में भी कठिनाई होती थी, लेकिन आज वह भारत की सबसे सफल शूटरों में से एक हैं।

अवनि की अद्वितीय उपलब्धियाँ

अवनि लेखरा ने अपने पैरालंपिक करियर में अब तक दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीते हैं। उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक 2020 में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण और 50 मीटर राइफल पी-3 एसएच1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। वह भारत की पहली महिला एथलीट बनीं, जिन्होंने एक ही पैरालंपिक में दो पदक जीते। इसके अलावा, वह विश्व कप और एशियाई पैरा गेम्स में भी कई पदक जीत चुकी हैं।

पद्मश्री से सम्मानित हो चुकीं अवनि

अवनि को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए कई सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। 2021 में उन्हें खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जबकि 2022 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। उनके अद्वितीय प्रदर्शन और संघर्ष की कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि सच्चे संकल्प और मेहनत से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।

संघर्ष से सफलता तक की प्रेरणादायक कहानी

अवनि लेखरा की कहानी यह सिखाती है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर मन में दृढ़ संकल्प हो तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। अवनि ने यह साबित कर दिखाया है कि सच्चा योद्धा कभी हार नहीं मानता और लगातार संघर्ष के साथ सफलता हासिल करता है। उनकी यह जीत भारतीय खेलों के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है।

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