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Glass Export Crisis: अमेरिका के टैरिफ से कैसे डगमगाई भारत की पारंपरिक कला?

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अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले ने भारत के पारंपरिक कांच उद्योग को जबरदस्त झटका दिया है। इस फैसले के बाद फिरोजाबाद के करीब 400 करोड़ रुपये के निर्यात ऑर्डर या तो अटक गए हैं या पूरी तरह रद्द कर दिए गए हैं। कारोबारियों और कारीगरों में अफरा-तफरी मची हुई है, और उन्होंने केंद्र सरकार से तात्कालिक हस्तक्षेप की मांग की है।

300 करोड़ के ऑर्डर पर ब्रेक, 100 करोड़ का माल समुद्र में फंसा

फिरोजाबाद के कांच उद्योग से जुड़े व्यापारियों के मुताबिक, अमेरिका और यूरोपीय आयातकों ने अचानक अक्टूबर से दिसंबर तक के सभी ऑर्डर होल्ड कर दिए हैं, जिनकी कीमत करीब 300 करोड़ रुपये आंकी जा रही है।
इतना ही नहीं, करीब 100 करोड़ रुपये का माल जो समुद्री मार्ग से अमेरिका भेजा जा चुका था, वह रास्ते में ही फंसा हुआ है। अब यह चिंता गहराने लगी है कि इन कंटेनरों को वहां स्टोर कहां किया जाएगा, क्योंकि वहां टैक्स के कारण इनकी एंट्री रोक दी गई है।

क्या है टैरिफ का असर?

  • 25% अतिरिक्त आयात शुल्क लागू: 1 अगस्त 2025 से

  • असर पड़ा: ग्लास-वुड आइटम, एल्युमिनियम फिटिंग्स, चांदी-पॉलिश फ्लावर पॉट्स, क्रिसमस ट्री आइटम्स

  • ऑर्डर भेजे जाते हैं: कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, टेक्सास, फ्लोरिडा, वाशिंगटन

  • 150 से ज्यादा हस्तशिल्पी और 25 निर्यात इकाइयां संकट में

"यूके जैसा समझौता चाहिए!" - निर्यातकों की सरकार से अपील

निर्यातक नमन बंसल का कहना है,

"300 करोड़ रुपये के ऑर्डर डूबने की कगार पर हैं। अगर जल्दी कोई हल नहीं निकला, तो यह उद्योग बर्बादी की ओर चला जाएगा।"

सरवर हुसैन, एक अन्य व्यापारी ने कहा,

"यूके की तरह अमेरिका से भी शून्य टैरिफ समझौता किया जाए। अन्यथा छोटे और मझोले निर्यातकों की रीढ़ टूट जाएगी।"

WTO की बंदिशें और सरकार की चुनौती

सरकार WTO (World Trade Organization) के नियमों के कारण न तो सब्सिडी दे सकती है और न ही ब्याज में राहत। ऐसे में उद्योग जगत का मानना है कि एकमात्र समाधान है - एक नया व्यापारिक समझौता, जिससे अमेरिकी बाजार में फिर से प्रतिस्पर्धा संभव हो सके।

कांच उद्योग: गौरव से संकट तक

तथ्य विवरण
सालाना निर्यात ₹1500–2000 करोड़
निर्यात इकाइयां 25
प्रमुख आयटम ग्लास-वुड आइटम, डेकोरेटिव लाइट्स, फ्लावर पॉट्स
प्रमुख आयातक राज्य कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, फ्लोरिडा, टेक्सास

इस पूरे संकट ने यह बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या भारत का कांच हस्तशिल्प उद्योग वैश्विक टैरिफ युद्ध में टिक पाएगा? विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस कूटनीतिक कदम नहीं उठाया, तो हजारों कारीगरों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है।

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