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'अतुलनीय है हिंसा के युग में गांधी जी की प्रासंगिकता': विनय सिंह

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"महात्मा गांधी की अगर बात करें, तो उन्होंने पृथ्वी के संसाधनों पर सभी के लिए समान अधिकार की बात की है। गांधी ने जिस नए भारत का सपना देखा, उसमें उन्होंने उन पापों की चर्चा की है, जो आज के समाज में देखने को मिलते हैं। बिना श्रम के अर्जित धन, बिना नैतिकता के व्यापार, बिना जागरूकता के आनंद, और बिना चरित्र के ज्ञान इनमें शामिल हैं।" यह विचार ध्येय फाउंडेशन के निदेशक विनय सिंह ने गांधी जयंती के अवसर पर वलरामपुर गार्डेन में वाणी प्रकाशन द्वारा आयोजित पुस्तक मेले में व्यक्त किए। आगे उन्होंने यह भी कहा कि आज भी, जो यह एक हिंसा का युग चल रहा है, उसमें गांधी जी की प्रासंगिकता अतुलनीय है।

गांधी के पीछे चलना बहुत आसान, उनके साथ चलना बहुत मुश्किल-

उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में महात्मा बुद्ध और महात्मा गांधी उम्मीद की किरण की तरह हैं, जो अहिंसा, शांति और सत्य का संदेश फैलाते रहे हैं। एक अमेरिकी पत्रकार को दिए इंटरव्यू में महात्मा गांधी ने कहा था कि वह 125 साल तक जीकर आजाद भारत को विकास के पथ पर बढ़ते देखना चाहते थे, लेकिन अब उन्हें ऐसा नहीं लगता। यह सवाल उठता है कि गांधी आजाद भारत में जीना क्यों नहीं चाहते थे? हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इस सवाल का उत्तर खोजें और इसे आने वाली पीढ़ी के सामने रखें। गांधी का जीवन सरलता, सच्चाई और दृढ़ संकल्प का प्रतीक था। उनके सिद्धांतों का पालन करना आसान हो सकता है, लेकिन उनके साथ चलते हुए उस कठिन रास्ते पर चलना बहुत मुश्किल था, जिसमें त्याग, बलिदान और आत्मसंयम की आवश्यकता थी।

परिचर्चा का विषय था 'उत्तर आधुनिक भारत की चुनौतियां: पर्यावरण, युवा पीढ़ी और स्त्री अस्मिता'-

इस चर्चा में उन्होंने गांधी के आदर्शों को आज के समय के संदर्भ में जोड़ते हुए कहा कि हमारे सामने जो चुनौतियाँ हैं, उनका समाधान गांधीवादी दृष्टिकोण में ही निहित है। उन्होंने कहा कि गांधी के विचार हमें सिखाते हैं कि केवल धन अर्जित करना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उसे नैतिकता और जिम्मेदारी के साथ उपयोग करना भी उतना ही आवश्यक है। आज की युवा पीढ़ी के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे अपने ज्ञान को चरित्र के साथ जोड़ें और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनें। इसी में हमारा उज्जवल भविष्य है। परिचर्चा के दौरान पर्यावरण संकट, स्त्री अस्मिता और युवाओं की भूमिका पर भी गहन विमर्श हुआ, जहां वक्ताओं ने गांधी के आदर्शों को समाज की मौजूदा परिस्थितियों से जोड़ते हुए उनके समाधान पर विचार प्रस्तुत किये गए।

गांधी जी की भावनाओं और सोच को आत्मसात करना चुनौतीपूर्ण: आनंद प्रकाश माहेश्वरी

सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक आनंद प्रकाश माहेश्वरी ने महात्मा गांधी के विचारों पर बोलते हुए कहा कि गांधी को केवल शब्दों में जीना आसान है, लेकिन उनकी भावनाओं और सोच को आत्मसात करना अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है। उनकी सोच यह थी कि मनुष्य जीवन और प्रकृति के निकट रहे, और स्वच्छता भी इसी जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण अंग है। माहेश्वरी ने कहा कि शुद्ध वातावरण में रहने से व्यक्ति की सोच भी शुद्ध होती है, और यही गांधी का स्वच्छता दर्शन हमें सिखाता है।

भारतीय समाज की गहराई को समझना ही गांधी बनने की प्रक्रिया: प्रांशु मिश्रा

वरिष्ठ पत्रकार प्रांशु मिश्रा ने गांधी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब गांधी भारतीय समाज की गहराई से समझते हैं, तभी मोहनदास करमचंद गांधी से महात्मा गांधी बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। मिश्रा ने यह भी कहा कि आज के समय में गांधी के विचारों को पढ़ने और समझने की अत्यधिक आवश्यकता है। हालांकि सफाई का उनका दर्शन महत्वपूर्ण है, हमें यह भी देखना होगा कि गांधी का कौन-सा अन्य दर्शन आज के समाज में अधिक प्रासंगिक है। पत्रकारिता की भूमिका पर चर्चा करते हुए मिश्रा ने कहा कि आधुनिक युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग पत्रकारिता में बढ़ रहा है। हालांकि, साथ ही समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना पत्रकारिता के सामने एक बड़ी चुनौती भी है और समाज की जरूरत भी।

गांधी जी के जीवन दर्शन से बहुत कुछ सीखने की जरूरत : सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन

सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन ने गांधी के योगदान पर कहा कि उन्होंने उस समय में महिलाओं को समाज में आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किए थे। उनके प्रयास आज भी प्रेरणादायक हैं और महिलाओं के अधिकारों को लेकर उनकी सोच को समझना बेहद महत्वपूर्ण है। गांधी के विचारों की यह बहुआयामी व्याख्या हमें यह समझने में मदद करती है कि स्वच्छता से लेकर समाज सुधार तक, उनकी सोच आज भी प्रासंगिक है और हमें उनके जीवन दर्शन से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।

पुस्तक मेले में गांधी की किताबों की बढ़ती लोकप्रियता-

बलरामपुर गार्डन में आयोजित हो रहे पुस्तक मेले में महात्मा गांधी पर लिखी गई किताबों को लेकर लोगों का खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। गांधी जी की जीवन पर आधारित पुस्तकें पाठकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं, जो यह संकेत देती हैं कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, गांधी की विरासत और उनके विचार आज भी जनमानस के दिलों में गहराई से बसे हुए हैं। मेले में महात्मा गांधी द्वारा लिखित कई किताबें प्रदर्शित की गई हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं - 'सत्य के प्रयोग', 'हिंद स्वराज', और 'मेरे सपनों का भारत'। इन किताबों को पाठक बड़ी संख्या में खरीद और पढ़ रहे हैं, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि गांधी जी के विचारों का प्रभाव आज भी उतना ही गहरा है जितना उनके जीवनकाल में था।

'सत्य के प्रयोग': एक आत्म-विश्लेषण-

महात्मा गांधी की आत्मकथा 'सत्य के प्रयोग' पाठकों के बीच सबसे अधिक पसंद की जा रही है। इस पुस्तक में गांधी जी ने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विवरण दिया है। किताब में उनके बचपन से लेकर, लंदन में वकालत की पढ़ाई, भारत में वकील के रूप में उनके काम, और दक्षिण अफ्रीका में बिताए गए समय का वर्णन मिलता है। गांधी जी ने अपने जीवन के संघर्षों और सत्य की खोज को पूरी ईमानदारी से पेश किया है। 'सत्य के प्रयोग' में उन्होंने सावरमती आश्रम की स्थापना और स्वदेशी आंदोलन की चर्चा करते हुए अपने आदर्शों और सिद्धांतों को बड़े ही प्रभावी ढंग से पेश किया है।

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