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प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है, इसका एक अपना इतिहास है। जिले का नाम प्रतापगढ़ पड़ने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। दरसअल एक स्थानीय राजा, राजा प्रताप बहादुर, जिनका कार्यकाल सन् 1628 से लेकर 1682 के बीच था , उन्होने अपना मुख्यालय रामपुर के निकट एक पुराने कस्बे अरोर में स्थापित किया। जहाँ उन्होने एक किले का निर्माण कराया और अपने नाम पर ही उसका नाम प्रतापगढ़ (प्रताप का किला) रखा। धीरे-धीरे उस किले के आसपास का स्थान भी उस किले के नाम से ही जाना जाने लगा यानी प्रतापगढ़ के नाम से।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
इस जिले को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी काफी अहम माना जाता है। इसी जिले के विधानसभा क्षेत्र पट्टी से देश के पहले प्रधानमंत्री पं॰ जवाहर लाल नेहरू ने पदयात्रा कर अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था। उत्तर प्रदेश का यह जिला रामायण तथा महाभारत के कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। मान्यता है कि बेल्हा की पौराणिक नदी सई के तट से होकर प्रभु श्रीराम वनागमन के समय अयोध्या से दक्षिण की ओर गए थे। भगवान श्रीराम के वनवास यात्रा में उत्तर प्रदेश के जिन पाँच प्रमुख नदियों का जिक्र रामचरितमानस में है, उनमे से एक प्रतापगढ़ की सई नदी है। जिसका जिक्र इस प्रकार है।
सई उतर गोमती नहाये।
चौथे दिवस अवधपुर आये॥
जिले में नदी
सई नदी के तट पर बना माता बेल्हा का मंदिर प्रतापगढ़ का ऐतिहासिक मंदिर है इस धाम को शक्ति पीठ का दर्जा हासिल है। कहते हैं कि यहां माता सती का कमर वाला हिस्सा (बेला) गिरा था। जिसके बाद इसे माता बेल्हा के नाम से विकसित किया गया यहां सोमवार व शुक्रवार को मेला लगता है, जिसमें बेल्हा के साथ आसपास के जिलों के लोग भी आते हैं। मंदिर के पास छोटी छोटी दुकानें भी हैं जहा जाकर आप अपने जरूरत के कुछ सामान भी ले सकते हैं। सई नदी के ऊपर बना, बेल्हा देवी पुल के नाम से जनपद में विख्यात, सई नदी पुल प्रतापगढ़ के घंटाघर से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पुल इलाहाबाद-फैजाबाद नेशनल हाईवे पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस पुल से प्रतिदिन हजारों की तादाद में बाइक, ट्रक, कार, ट्रैक्टर, ट्रॉली और बहुत सारे भारी वाहन भी गुजरते हैं इसलिए विकास के दृष्टिकोण से ये पुल प्रतापगढ़ के लिए बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण हैं। इस पुल से बेल्हा देवी मंदिर का भव्य दृश्य दिखाई पड़ता है। प्रतापगढ़ नामक शरीर में यदि घंटाघर इसका दिल है तो ये पुल एक फेफड़े की तरह इस शहर के विकास रूपी जीवन का संचार करता है।
आंवला के लिए प्रसिद्ध है प्रतापगढ़
प्रतापगढ़ में आंवला के उत्पादन के लिए जाता है, जो इस जिले की पहचान है। इसके साथ ही जिले में बड़े पैमाने पर यहां अमरूद एवं आम का भी उत्पादन किया जाता है। प्रतापगढ़ जिले में बहुत सी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां हैं, जो विभिन्न प्रकार के उत्पादों जैसे मुरब्बा, अचार, जैली, लड्डू, पाउडर, जूस, आंवला पाउडर एवं अन्य का उत्पादन करती हैं।
प्रतापगढ़ जिले में स्थित है सराय नाहर राय
प्रतापगढ़ में सराय नहर राय, चोपन ,माण्डो दमदम, महादहा नाम के पुरातात्विक स्थल है। सराय नाहर राय प्रतापगढ़ जिले में स्थित है जिसकी खोज के. सी. ओझा ने की थी। यहां से 11 मानव समाधियां तथा 8 गर्त चूल्हे पाये गये हैं। यहां एक समाधि ऐसी है जिसमें एक साथ चार-चार मानवों को लिटाया गया है। 'महादहा' नामक स्थल भी प्रतापगढ़ जिले में स्थित है जिसकी खोज प्रयागराज विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग ने की थी। महादहा प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील में स्थित है। माना जाता है कि वहां खुदाई में 11 से 12 फीट लंबे नर कंकाल मिले जो कि करीब 10000 वर्ष पुराने हैं। यहां से भी मानव समाधियां प्राप्त हुई हैं यहां से मानव समाधियों के अतिरिक्त पशुओं की हड्डियां आदि भी प्राप्त हुई है जिसके कारण इसे वध-स्थल कहा गया है।
राजनीति के लिए भी मशहूर है प्रतापगढ़
पूरे देश में मशहूर प्रतापगढ़ के विधानसभा क्षेत्रों के नाम हैं रानीगंज, कुंडा, विश्वनाथगंज, पट्टी, रानीगँज, सदर, बाबागंज, बिहार, प्रतापगढ़ और रामपुर खास है। प्रतापगढ़ की राजनीति में यहाँ के मुख्य राजघरानों का नाम हमेशा चर्चा में रहता है। चर्चित राजघरानों में बिसेन राजपूत राय बजरंग बहादुर सिंह का परिवार है जिनके वंशज रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) हैं। राजा भैया अभी प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा से विधायक है। यही नहीं दिनेश सिंह की पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह भी राजनीति में हैं और प्रतापगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से वो तीन बार 1996, 1999 और 2009 में सांसद भी रह चुकी हैं। प्रतापगढ़ जिला हर तरह के सुविधाओं से लैस है। परिवहन के दृष्टि से यह जिला समृद्ध है। आपको बता दें कि रेल परिवहन एक लंबे समय से शहर में कुशल है। प्रतापगढ़ को यूपी के चर्चित जिलों में जाना जाता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 13 April, 2023, 4:18 pm
Author Info : Baten UP Ki