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अमीरी गरीबी,जाति-पांति को मिटाता अवध का बड़ा मंगल, मंदिर के गुंबद पर चांद की आकृति बयां करती है हिंदू-मुस्लिम एकता की कहानी

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हे दुख भंजन, मारूति नंदन और राम न मिलेंगे हनुमान के बिना,पार न लगोगे के श्री राम के बिना...जैसे भक्तिमय भजन ज्येष्ठ माह के मंगलवार को लखनऊ शहर के वातावरण में गुंजायमान होते हैं। मंदिरों में लगी श्रद्धालुओं की कतारें और बजरंग बली के जयकारों से लक्ष्मणनगरी में कहीं हनुमान चालीसा तो कहीं सुंदरकांड पाठ का माहौल भक्ति से सराबोर करता है। तेज धूप में भी हजारों श्रद्धालु उत्साही मन से पवन पुत्र हनुमान को बेसन व मोतीचूर के लड्डुओं का भोग चढ़ाते हैं। अवध क्षेत्र खासकर लखनऊ में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाने वाला ये त्योहार आस्था के साथ सामाजिक भेद-भाव को भी खत्म करता है और शहर में जगह-जगह भंड़ारों का आयोजन कराया जाता है जहां समाज के सभी वर्ग के लोग बड़े आनंद के साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं।

बंजरंगबली पर चढ़ाया गया सोने का मुकुट

आज पहला बड़ा मंगल है और लखनऊ में लोग पूरे साल इस शुभ अवसर का इंतजार करते हैं। इस अवसर पर मंदिरों में सोमवार रात 12 बजे से ही दर्शन पूजन का सिलसिला शुरू हो गया। हनुमान सेतु मंदिर में रात 12 बजे हनुमान जी की आरती हुई और बड़ी संख्या में भक्तों ने अपने आराध्य देव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया। वहीं, अलीगंज का नया हनुमान मंदिर में भक्तों ने रात 12 बजे दंडवत करते भक्तों ने महावीर के दरबार में हाजिरी लगाई। इस बार पूराने अलीगंज के बजरंगबली को 60 लाख रुपए का 50 तोला सोने का मुकुट पहनाया गया है। क्यों लखनऊ में ही बड़ा मंगल इतने धूमधाम से मनाया जाता है? बड़े मंगल की कहानी लखनऊ से किस प्रकार से जुड़ी हुई है? आइए विस्तार से जानते हैं।

क्यों लखनऊ में ही बड़ा मंगल को होता है बड़ा उत्सव-

लखनऊ में  बड़ा मंगल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि इसके पीछे की वजह यह है कि अवध के मुगलशासक नवाब मोहम्मद अली शाह के बेटे की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, जिसकी वजह से उनकी बेगम बेहद दुखी रहने लगी और हर संभव प्रयास के बाद भी जब उनका बेटा ठीक नहीं हुआ, तो कुछ लोगों ने नवाब मोहम्मद वाजिद अली शाह की बेगम को लखनऊ के अलीगंज में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में मंगलवार को दुआ मांगने को कहा। लोगों के कहे अनुसार उन्होंने ऐसा ही किया जिसके थोड़े दिन बाद बेटे की तबीयत में सुधार होने लगा। इसकी खुशी में अवध के नवाब और उनकी बेगम ने अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की मरम्मत कराई, जिसका कार्य ज्येष्ठ माह में पूरा हुआ था।  इसके बाद पूरे लखनऊ में गुड़ और प्रसाद बांटा गया। तब से बुढ़वा मंगल के दिन लखनऊ में जलपान कराने, भंडारा कराने और प्रसाद बांटना शुरू हुआ। इसीलिए ये माना है कि तभी से यहां हर साल ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार पर जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया जाने लगा। आपको बता दें कि बड़ा मंगल को बुढ़वा मंगल भी कहते हैं। 

 क्यों कहते हैं बुढ़वा मंगल?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, रावण के घमंड को चकनाचूर करने के लिए हनुमानजी ने वृद्ध वानर का रूप धारण किया था। साथ ही इस दिन बजरंगबली की बूढ़े वानर के रूप में पूजा की जाती है, इसलिए ही बुढ़वा मंगल भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ माह में हनुमान जी की पूजा बेहद फलदायी मानी जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार जब प्रभु राम, माता सीता की खोज में वन में भटकते हुए हनुमान जी से मिले थे तो उस दिन ज्येष्ठ माह का मंगलवार था, इसलिए ज्येष्ठ के हर मंगलवार को बड़े मंगल के रूप में मनाया जाता है। 

बड़े मंगल की धार्मिक मान्यता- 

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ माह के मंगलवार के दिन ही भगवान श्रीराम और हनुमान जी की मुलाकात हुई थी। इसी वजह से इस महीने में पड़ने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है। इस दिन की महिमा भी बहुत बड़ी है, माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से जीवन की सभी दुख-तकलीफें दूर हो जाती हैं। दुनिया भर में हनुमान भक्तों के द्वारा इस दौरान विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी में इस त्योहार की धूम सबसे अलग होती है। 

सआदत अली ने अलीगंज के हनुमान मंदिर का कराया निर्माण-

ज्येष्ठ के पहले बड़े मंगल की शुरुआत लखनऊ के अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर परिसर में मेले के रूप में हुई थी। नवाब सआदत अली के कार्यकाल (1798-1814) के दौरान मंदिर का निर्माण हुआ था। उन्होंने अपनी मां आलिया बेगम के कहने पर मंदिर का निर्माण कराया था। संतान सुख की प्राप्ति होने पर आलिया बेगम ने मंदिर के निर्माण का वादा किया था। मंदिर के गुंबद पर चांद की आकृति हिंदू-मुस्लिम एकता की कहानी बयां करता है। मंदिरों के निर्माण के बाद से यहां मेला लगने लगा। तब से यह परंपरा चलती आ रही है। 

लखनऊ में भंडारे के पीछे की कहानी-

ऐसा कहा जाता है कि यहां केसर का व्यापार करने कुछ व्यापारी आए थे और उनका केसर नहीं बिक रहा था। फिर नवाब वाजिदअली शाह ने  पूरा केसर खरीद लिया था और वह महीना ज्येष्ठ का था एवं दिन मंगल था। इसीलिए व्यापारियों ने इसकी खुशी में यहां भंडारा लगाया था और तब से यह परंपरा चल पड़ी। हर बड़े मंगल पर शहर में लगभग साढ़े तीन हजार भंडारे लगाए जाते हैं।

बजरंगबली की पूजा से लाभ-

ऐसी मान्यता है कि भगवान राम के भक्त हनुमान आज भी जीवित हैं, जो भक्त उनकी पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करता है वे उनके सभी कष्टों को हर लेते हैं। इसलिए उन्हें संकट मोचन भी कहा जाता है। हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार है। कहते हैं कि जो भगवान राम का भक्त होता है उन्हें हनुमान जी कभी कष्ट नहीं होने देते। इसलिए राम भगवान की भक्ति से हनुमान जी का आशीर्वाद भी प्राप्त हो जाता है। हनुमान जी की पूजा से भक्तों के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। 

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