बड़ी खबरें
24 नवंबर 2022 को वरुण धवन और कृति सेनन की फिल्म रिलीज हुई थी जिसका नाम था भेड़िया। यह फिल्म एक ऐसे आदमी की कहानी है जिसे भेड़िए ने काटा है और फिर वो इंसान खुद भेड़िया बनकर लोगों को मारने लगता है। इस तरह के क्रिएचर को वेयरवुल्फ यानी मानव भेड़िया कहा जाता है। 1963 लंदन के गाय्ज हॉस्पिटल के डॉ. ली इलिस ने ऑन पोर्फिरिया एंड द एटिऑलॉजी ऑफ वेयरवुल्फ नाम का एक डॉक्यूमेंट तैयार किया। इस डॉक्यूमेंट में उन्होंने दावा किया है कि जिन लोगों को इतिहास में वेयरवुल्फ कहा जा रहा है असल में वो पोर्फिरिया नाम की बीमारी से ग्रसित हैं, जिनमें धूप से परेशानी, लाल दांत, साइकोटिक बिहेवियर जैसे लक्षण दिखते हैं।
एक ऐसी रेयर बीमारी-
कुछ रिसर्चर ने वेयरवुल्फ की बजाय इन लोगों के हाइपरट्रिचोसिस- बीमारी से पीड़ित होने की संभावना की तरफ इशारा किया। हाइपरट्रिचोसिस एक जेनेटिक बीमारी है जिसमें हेयर ग्रोथ काफी ज्यादा या कहें तो जानवरों की तरह होती है। वुडवर्ड ने ये कहते हुए इस दावे को खारिज किया कि मध्यकालीन यूरोप में वेयरवुल्फ के मामले बहुत ज्यादा हैं, हालांकि हाइपरट्रिचोसिस एक रेयर बीमारी है, जिसके मामले काफी कम हैं। मॉडर्न रिसर्चर ने वेयरवुल्फ और उसके व्यवहार पर कई रिसर्च कीं।डॉक्यूमेंट सामने आते ही दूसरे डॉ. वुडवर्ड ने इस दावे के खिलाफ अपना बयान दिया और बताया कि माइथोलॉजी के अनुसार वेयरवुल्फ भेड़िया ही होते हैं जो इंसानी शरीर में आते हैं। इसका पोफ्रिरिया मेडिकल कंडीशन से लेना-देना नहीं है।
उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का आतंक-
वहीं इन दिनों उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। घरों में सोए हुए बच्चों को खींचकर ले जाना अब आम होता जा रहा है। बहराइच में जिन 10 लोगों की मौत भेड़ियों के हमलों की वजह से हुई है, उनमें 9 बच्चे भी शामिल हैं। भेड़ियों के डर का आलम ये है कि लोग सूरज ढलते ही घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं।
बहराइच के 35 से ज्यादा गांवों में भेड़िये का आतंक-
गांव वालों को भेड़िए के संकट से छुटकारा दिलाने के लिए अब बजरंग बली का ही भरोसा रह गया है। लोगों का सिस्टम के प्रति भरोसा खत्म होता जा रहा है। बहराइच के 35 से ज्यादा गांवों के करीब 60 से 80 हजार लोग हर रात को कयामत की रात की तरह गुजार रहे हैं। उन्हें डर है कि किसी भी पल भेड़िये की दस्तक होगी और वो मौत की नई कहानी लिख देगा। लेकिन आज हम आपको जो बताने वाले हैं वो सिर्फ कहानी ही नहीं बल्कि हकीकत है, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि इस वीडियो में हम जो कुछ भी आपको बताएंगे उसके पीछे हमारा उद्देश्य आपको डराना बिलकुल भी नहीं हैं।
एक कहानी इटली के गांव की-
बात 1541 की है इटली के एक गांव में लोग अचानक से गायब हो रहे थे। कई महीनों की जांच के बाद पुलिस ने पाया कि एक किसान ने ही मानव मांस खाने के लिए इन लोगों की हत्या की थी। उस किसान के शरीर पर भेड़िए की तरह बाल थे। जब किसान को बंदी बनाकर उसके बालों की जांच की गई तो सामने आया कि वो किसान एक अजीब बीमारी से ग्रसित था, जो खुद को भेड़िया मानव समझकर लोगों को खाता था और भेड़िए की तरह ही बर्ताव किया करता था। साइंटिफिक तौर पर ये बात साबित नहीं हो पाई, जिसके बाद उस आदमी को मौत की सजा मिली। गांव के इन लोगों की जो हत्या कर रहा था वो था मानव भेड़िया। जिसे वेयरवुल्फ भी कहा जाता है।
वेयरवुल्फ या मानव भेड़िया एक मिथक क्रिएचर-
वेयरवुल्फ या मानव भेड़िया एक मिथक क्रिएचर है। पुरानी कहानियों में मानव भेड़ियों का जिक्र मिलता है। पौराणिक कहानियों और इतिहासकारों के अनुसार, ऐसा किसी भेड़िए के काटने पर होता है। भेड़िया जब इंसानी शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो उसे मानव भेड़िया कहा जाता है। मानव भेड़ियों को लेकर दुनियाभर में कई तरह की मान्यता है। इतिहास की बात की जाए तो पोलैंड और बेलारूस में कभी नेउरी जनजाति थी। पांचवीं शताब्दी के सबसे पुराने इतिहासकारों में से एक हेरोटोटस ने इसका जिक्र किया था। माना जाता है, इस जनजाति के लोग साल में एक बार भेड़िया बनकर उसकी तरह शिकार करते थे।18वीं शताब्दी के स्वीडिश इतिहासकार ओलोफ वॉन डालिन ने भी एक लेख में नेउरी जाति के लोगों का जिक्र किया। ओलोफ के अनुसार, ये ग्रीक, सीथियन और लेवांटाइन जाति का मिश्रण थे जो 400 ईसा पूर्व स्वीडिश द्वीपों में बसा करते थे।
Baten UP Ki Desk
Published : 4 September, 2024, 6:34 pm
Author Info : Baten UP Ki