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इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से रेल की पटरियों पर कटने वाले जानवरों की बचेगी जान!

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भारत में रेल की शुरूआत 170 से पहले 16 अप्रैल, 1853 में शुरू हुई थी जो आज लगभग 68 हजार किलोमीटर का सफर तय करती है। रेल की पटरियां शहरों, गांवों से होते हुए जंगलों से भी होकर गुजरती है। जब ट्रेन जंगलो से होकर गुजरती है तो अक्सर जंगली जानवरों के लिए खतरनाक साबित होती हैं। कई बार ट्रेन से टकराकर जंगली जानवरों की मौत हो जाती है। लेकिन इन दुर्घटनाओं से बचने का तरीका ढूंढ लिया गया है क्योंकि अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जानवरों को ट्रेन से कटने से बचाएगा। 

कैसे काम करेगी ये तकनीक

एआई के द्वारा ट्रेन के ड्राइवर को 500 मीटर पहले ही पता चल जाएगा कि रेल की पटरी या उसके किनारे पर कोई जानवर है और इंजन में ट्रिगर अलार्म बज जाएगा इसके अलावा स्क्रीन पर वीडियो भी डिस्प्ले हो जाएगा इससे ड्राइवर अलर्ट हो जाएगा और दुर्घटना टल जाएगी। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईल) द्वारा यह  एआई माडल विकसित किया गया है।

63 हजार जानवरों की हुई मौत

CAG की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 से 2021 के बीच रेल दुर्घटनाओं में 63 हजार से अधिक जानवरों की मौत हुई। जिनमें 73 हाथी भी शामिल हैं। हाथी के ट्रेन से टकराने पर उसे तो चोट लगती ही है, साथ ही ट्रेन को भी काफी नुकसान पहुंचता है। 

जानवरों के लिए वरदान बनेगी ये  तकनीक

किसी भी तकनीक से कोई न कोई फायदा जरूर होता है। लेकिन ये तकनीक जानवरों के लिए वरदान साबित होगी और एआई की मदद से आए दिन जानवरों के कटने (कैटिल रन ओवर) की दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगी। इस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा फायदा जंगल वाले इलाकों में होगा। 

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