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- Ankit Verma
(Special Story) लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सियासी गलियारों में चुनाव की गूंज सुनाई देने लगी है। सभी सियासी दल अपने-अपने वोट बैंक को साधने में लग गये हैं। सभी दल प्रचार के लिए अपने तरीकों का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। कोई सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है तो कोई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का। वहीं भाजपा ने एक नया तरीका खोज निकाला है। भाजपा एआई की मदद से पता लगा रही है कि देश की जनता का मूड क्या है? एआई ने अपने शुरुआती फीडबैक में ये बताया कि "मोदी की गारंटी" का मुद्दा सबसे प्रभावशाली है। हाल ही में बीजेपी के मुख्यालय में एआई के फीडबैक पर चर्चा हुई और ये सुनिश्चित किया गया कि विपक्षी दल के प्रत्याशियों की मजबूती को लेकर एआई फीड बैक की मानिटरिंग की जाएगी।
AI ने बताया दक्षिण में भाजपा पीछे-
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से बीजेपी को यह पता चला कि दक्षिण भारत में भाजपा स्थानीय दलों से पीछे है। कर्नाटक और तेलंगाना में भाजपा दमदार प्रत्याशियों के बदौलत ही जीत पाएगी।
चुनाव आयोग भी करेगा AI का इस्तेमाल-
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी की मदद लेने का फैसला किया है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाओं को चिह्नित करने और हटाने के लिए ECI के भीतर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए एक विभाग बनाया गया है।
एआई क्या है
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का मतलब है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। इसकी शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। एआई के ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर एक आदमी का दिमाग काम करता है। AI के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है। अर्थात् यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित किया गया इंटेलिजेंस है। AI कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है। यह इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है।
ऐसे हुई थी शुरुआत
AI का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था लेकिन इसकी महत्ता को 1970 के दशक में पहचान मिली। जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जेनरेशन नामक योजना की शुरुआत की गई थी। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी। इसके बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिये 'एल्वी' नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया। यूरोपीय संघ के देशों ने भी 'एस्प्रिट' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसके बाद 1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर AI पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों, जैसे-Very Large Scale Integrated सर्किट का विकास करने के लिये एक संघ ‘माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की।
AI के फायदे और नुकसान
21वीं सदी में टेक्नोलॉजी ने देश को तरक्की पर पहुंचाया है। वहीं दूसरी तरफ इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कई बुरे कामों में भी होने लगा है। आजकल आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हर-कोई कर रहा है। AI एक सुपर टेक्नोलॉजी है, जिसका प्रयोग हमें सकारात्मक रूप से करना चाहिए, लेकिन जब कोई टेक्नोलॉजी इजाद होती है, तो एक वर्ग ऐसा भी होता है, जो टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल करके लोगों को निशाना बनाता है। लेकिन उसका सही इस्तेमाल कैसे किया जाए ये जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि दुनिया भर में, गलत सूचना फैलाने के लिए डीपफेक का इस्तेमाल किया गया है।
लेकिन इसी सुपर टेक्नोलॉजी के कई फायदे भी हैं। आइए जानते हैं इसके फायदों के बारे में -
*आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अवैध प्रवास पर रोक-
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से 7 देश सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं। इन देशों में भारत, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल, कनाडा, और नाइजीरिया भी शामिल हैं। इनमें ऐसे देश भी हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से देश में होने वाले अवैध प्रवास को रोक रहे हैं।
भारत ने पाकिस्तान और चीन की हरकतों पर नजर रखने के लिए LoC और LAC पर 140 AI सर्विलांस सिस्टम लगाए हैं। ये जमीनी हालात की लाइव फीड देते हैं। इस सिस्टम के तहत हाई-रेजोल्यूशन कैमरा, ड्रोन, रोबोट, सेंसर लगाए गए हैं। ये बॉर्डर पर होने वाली हर हरकत पर नजर रखते हैं।
रेलवे ले रहा है AI से मदद-
झांसी मंडल में फैले तीन हजार किमी लंबे रेलवे ट्रैक पर अब एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) रोबोट नजर रखेगा। पूरे मंडल में कहीं भी रेलवे ट्रैक, इंजन, सिग्नल और ओएचई में आने वाली तकनीकी खामी के बारे में रोबोट अफसरों को पहले से अलर्ट दे देगा। सुरक्षित रेल संचालन के लिए रेलवे ट्रैक, इंजन, सिग्नल, ब्रिज, ओएचई, ट्रेन के पहिये समेत तमाम मशीनों और संचार माध्यम का दुरुस्त होना जरूरी है। हालांकि रेलवे ट्रेनों के संचालन में पूरी सजगता बरतता है, लेकिन कई बार तकनीकी खामी के चलते ट्रेनें दुर्घटना का शिकार हो जाती हैं।
सोशल मीड़िया पर AI का गलत इस्तेमाल-
सोशल मीडिया पर आपको ऐसे कई सबूत मिलते हैं, जिससे पता चलता है कि लोग AI का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें डीपफेक वीडियो, मॉर्फ वीडियो और बच्चों के अश्लील वीडियो शामिल हैं। पीडोफाइल्स (बच्चों के प्रति यौन आकर्षण रखने वाले) के कई ग्रुप इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक्टिव हैं। इतना ही नहीं डार्क वेब पर इसका पूरा कारोबार चल रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों को इस तरह के कंटेंट का पेड एक्सेस दिया जा रहा है। सोशल मीडिया कंपनियां ऐसे अकाउंट्स पर कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन फिर भी ऐसे अकाउंट्स की भरमार है।
AI से जुड़े अपराधों को रेगुलेट करने की जरूरत-
पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। लेकिन तकनीक के फायदों के साथ उसके गलत इस्तेमाल पर रोक लगानी जरूरी है।
Baten UP Ki Desk
Published : 2 March, 2024, 9:00 am
Author Info : Baten UP Ki