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जल्द ही फ्लेक्स फ्यूल से सरपट दौड़ेगीं कार, भविष्य में क्या हैं इसके फायदे और चुनौतियां ?

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जैसे-जैसे दुनिया ऊर्जा संसाधनों की कमी और पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रही है, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में 'फ्लेक्स फ्यूल' या 'लचीला ईंधन' एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में उभर रहा है। अब जल्द ही देश में फ्यूल टेक्नोलॉजी से चलती हुई कारें दिखाई देंगी।

इस तरह बनाया जाता है इंजन-

आपने फ्लैक्स फ्यूल वाहनों के बारे में सुना होगा। इसका सीधा संबंध लोगों की जेब से है। इसके इंजन को इस तरह से तैयार किया जाता है कि यह पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण से चल सकें। जिसकी मात्रा 100 फीसदी तक होती है। इसके साथ ही यह इंजन को शक्ति प्रदान करने के लिए बैटरी का इस्तेमाल भी कर सकेंगे।

 क्या है फ्लेक्स फ्यूल?

फ्लेक्स फ्यूल एक प्रकार का ईंधन है जिसे सामान्य पेट्रोल इंजन में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आमतौर पर एथनॉल और पेट्रोल का मिश्रण होता है। आमतौर पर फ्लेक्स फ्यूल में 85% एथनॉल (E85) और 15% पेट्रोल होता है, लेकिन यह मिश्रण अनुपात भिन्न हो सकता है। यह मिश्रण एक अनुपात पूर्व-निर्धारित सीमा में लचीला होता है, इसलिए इन्हें फ्लेक्स फ्यूल कहा जाता है। जहां एक तरफ फ्यूल की कीमतें लगातार उतार-चढ़ाव करती रहती हैं। जिसकी वजह से फ्लेक्स फ्यूल टेक्नॉलॉजी काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।

  क्या होते हैं फ्लेक्स फ्यूल के फायदे:

  1. पर्यावरण के लिए बेहतर: एथनॉल, जो कि जैविक स्रोतों से प्राप्त होता है, जीवाश्म ईंधन के मुकाबले कम कार्बन उत्सर्जन करता है। इससे ग्रीनहाउस गैसों में कमी आती है और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है।

  2. आर्थिक लाभ: फ्लेक्स फ्यूल वाहनों के उपयोग से पेट्रोलियम आयात पर निर्भरता कम हो सकती है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है।

  3. कृषि को बढ़ावा: एथनॉल के उत्पादन के लिए फसलों (जैसे कि मक्का और गन्ना) का उपयोग होता है, जिससे कृषि क्षेत्र को आर्थिक लाभ मिलता है।

  4. इंजन की सफाई: एथनॉल इंजन को साफ रखने में मदद करता है, जिससे इंजन की दीर्घायु बढ़ती है और रखरखाव की लागत कम होती है।

क्या आ सकती हैं चुनौतियां?

  1. उत्पादन की लागत: एथनॉल उत्पादन की लागत अभी भी उच्च है, खासकर उन देशों में जहां कृषि संसाधन सीमित हैं।

  2. ईंधन दक्षता: एथनॉल का ऊर्जा घनत्व पेट्रोल की तुलना में कम होता है, जिससे गाड़ियों की माइलेज कम हो सकती है।

  3. प्रौद्योगिकी का विकास: फ्लेक्स फ्यूल वाहनों और इंजन के विकास में निवेश और अनुसंधान की आवश्यकता है।

  4. लॉजिस्टिक्स: फ्लेक्स फ्यूल की आपूर्ति श्रृंखला और इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना एक बड़ी चुनौती है। पेट्रोल पंपों को भी इस ईंधन को संभालने के लिए संशोधित करने की आवश्यकता होती है।

आगामी समय में बन सकता है ऊर्जा का प्रमुख स्रोत-

फ्लेक्स फ्यूल एक महत्वपूर्ण और संभावित समाधान हो सकता है, लेकिन इसके व्यापक उपयोग के लिए कई चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है। सरकारों, उद्योगों और शोधकर्ताओं के सामूहिक प्रयासों से यह संभव हो सकता है कि फ्लेक्स फ्यूल आने वाले समय में एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत बन सके।

फ्लेक्स फ्यूल के लिए नीतियों में सुधार की आवश्यकता-

फ्लेक्स फ्यूल न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है, बल्कि यह आर्थिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी हो सकता है। लेकिन इसके लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और नीतियों में सुधार की आवश्यकता है। यदि इन चुनौतियों का समाधान किया जाता है, तो फ्लेक्स फ्यूल ऊर्जा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

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