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वैज्ञानिकों ने वैश्विक जलवायु संकट को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी की है। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर और हैम्बर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए ताज़ा अध्ययन के मुताबिक, मौजूदा वैश्विक जलवायु नीतियां अगर जल्द नहीं बदली गईं, तो पृथ्वी पर क्लाइमेट टिपिंग पॉइंट्स सक्रिय हो सकते हैं। इसका मतलब यह है कि जलवायु व्यवस्था में ऐसे स्थायी और अपरिवर्तनीय परिवर्तन हो सकते हैं जो मानवता के लिए विनाशकारी साबित हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने की जलवायु प्रणालियों की गहन पड़ताल
यह अध्ययन प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका अर्थ सिस्टम डायनामिक्स में प्रकाशित हुआ है। इसमें वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की 16 प्रमुख जलवायु प्रणालियों का विश्लेषण किया है, जिनमें अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरों का पिघलना, अमेजन वर्षावनों का सूखना और उष्णकटिबंधीय प्रवाल भित्तियों का नष्ट होना जैसे खतरे शामिल हैं। शोध में यह भी बताया गया है कि मौजूदा नीतियों को बरकरार रखा गया तो 62 फीसदी संभावना है कि ये खतरनाक टिपिंग पॉइंट्स सक्रिय हो जाएं। इसके परिणामस्वरूप जलवायु में स्थायी बदलाव होंगे, जिन्हें पलटना लगभग असंभव होगा।
क्या होते हैं 'टिपिंग पॉइंट्स'?
टिपिंग पॉइंट वह बिंदु होता है जब जलवायु प्रणाली में किसी एक परिवर्तन की प्रतिक्रिया श्रृंखलाबद्ध होकर पूरी व्यवस्था को स्थायी रूप से बदल देती है। जैसे, आर्कटिक समुद्री बर्फ के पिघलने से सूरज की गर्मी अधिक अवशोषित होती है, जिससे और तेज़ी से बर्फ पिघलती है – यह एक खतरनाक चक्र है। इसी तरह, अटलांटिक महासागर की गहराई में चलने वाली 'मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन' प्रणाली के कमजोर पड़ने से यूरोप और अन्य क्षेत्रों में मौसम पूरी तरह से बदल सकता है।
अब भी बचाव संभव – लेकिन समय कम
वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी भी समय है इन खतरनाक परिवर्तनों को रोका जा सकता है – लेकिन इसके लिए वैश्विक स्तर पर त्वरित, निर्णायक और प्रभावी हरित नीतियां लागू करनी होंगी। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में ठोस और तत्काल कमी लानी होगी। ग्लोबल सिस्टम्स इंस्टीट्यूट, एक्सेटर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टिम लेंटन ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर हम इन जलवायु टिपिंग पॉइंट्स को सक्रिय होने देते हैं, तो इसके परिणाम विनाशकारी होंगे। अब तक के वैज्ञानिक संकेत हमें साफ बता रहे हैं कि हम एक खतरनाक दिशा में बढ़ रहे हैं।”
अब नहीं चेते तो बहुत देर हो जाएगी
यह रिपोर्ट न सिर्फ वैज्ञानिक जगत के लिए, बल्कि नीति निर्धारकों, सरकारों और आम लोगों के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है। यदि अभी कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में इस धरती पर जीवन का स्वरूप ही बदल सकता है। क्या मानवता समय रहते चेतावनी को समझ पाएगी? यही सवाल अब भविष्य का रास्ता तय करेगा।
Baten UP Ki Desk
Published : 30 April, 2025, 1:19 pm
Author Info : Baten UP Ki