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लाइलाज नहीं है ये बीमारी, सावधानी से टल सकता है खतरा..

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(Special Story) जब भी किसी बीमारी के बारे में आप सुनते हैं तो एक डर सा बैठ जाता है। दुनिया में ऐसी कई बीमारिया हैं जो लाइलाज हैं। और कुछ बीमारियों का इलाज समय के साथ खोज लिया गया है। दुनिया की एक ऐसी घातक संक्रामक बीमारी जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है। आज हम आपको इसी बीमारी के बारे में विस्तार से बताएंगे।

क्यों मनाया जाता है (टीबी) दिवस ?

दुनियाभर में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक बड़ी समस्या रही है जिससे हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। भारत भी इस गंभीर स्वास्थ्य जोखिम से परेशान रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तपेदिक (टीबी) को दुनिया के सबसे घातक संक्रामक रोगों में रखा है। टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। इसे क्षयरोग भी कहा जाता है। हर साल टीबी की बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए 24 मार्च को विश्‍व क्षय दिवस (World Tuberculosis Day) मनाया जाता है। इसे विश्‍व तपेदिक दिवस के नाम से भी जाना जाता है।

ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) डे का इतिहास

अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार 24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबकुलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) बैक्टीरिया की खोज की थी। डॉ. रॉबर्ट कोच की ये खोज आगे चलकर टीबी के इलाज में बहुत मददगार साबित हुई। उनकी इस खोज की वजह से डॉ. रॉबर्ट कोच को साल 1905 में नोबेल पुरस्‍कार से भी सम्‍मानित किया गया। यही वजह है कि इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए  24 मार्च की तारीख को चुना गया और 24 मार्च को विश्‍व तपेदिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हुई। हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) टीबी के सामाजिक, आर्थिक और सेहत के लिए हानिकारक नतीजों पर दुनिया में पब्लिक अवेयरनेस फैलाने और दुनिया से टीबी के खात्मे की कोशिशों में तेजी लाने के लिए ये दिन मनाता आ रहा है।

क्या कहते हैं भारत के आंकड़े?

भारत में हर साल टीबी के लाखों मरीज सामने आते हैं।  साल 2022 में भारत में दर्ज किए गए टीबी के कुल मामलों की संख्या 21.42 लाख थी, जिनमें से अकेले तेलंगाना में 72 हजार 8 सौ 78 मामले दर्ज किए गए। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर देश में साल 2022 में टीबी के कुल मामलों में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन लाइलाज नहीं है। समय रहते इस बीमारी का इलाज करवा लिया जाए तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं सभी लोगों को टीबी रोग को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहना जरूरी है। बचाव के लिए आवश्यक है कि हमें इस रोग के लेकर सही जानकारी हो। 


WHO का टीबी खत्म करने का संकल्प

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के अनुसार टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक किलर डिजीज में से एक है। डब्‍ल्‍यूएचओ की ओर से साल 2030 तक दुनिया को पूरी तरह से टीबी मुक्‍त करने का लक्ष्‍य रखा गया है। वहीं भारत की ओर से 2025 तक देशवासियों की टीबी की बीमारी से पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है। हर साल विश्‍व क्षय रोग दिवस के मौके पर डब्‍ल्‍यूएचओ और भारत सरकार की ओर से लोगों को बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जाते हैं। 

किसी को भी हो सकती है टीबी

स्वास्थ्य विशेषज्ञ का मानना है टीबी का संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इसका जोखिम अधिक देखा जाता रहा है। इस आयु वर्ग में टीबी की समस्या मस्तिष्क-रीढ़ की हड्डी के आसपास के तरल पदार्थ में गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है, जिसे मेनिनजाइटिस कहा जाता है। बुजुर्गों में टीबी के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। बैक्टीरिया के कारण युवा-वयस्कों में भी खतरा हो सकता है, इसलिए जरूरी है कि सभी लोगों को टीबी से बचाव करते रहना जरूरी है। 

कम उम्र के लोगों में टीबी का जोखिम ज्यादा

दुनियाभर में कम उम्र के लोगों में टीबी की समस्या बड़ा खतरा रही है। साल 2021 में अमेरिकी राज्यों में कुल 7,882 टीबी मामलों की सूचना थी। साल 2021 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में 14 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों में टीबी के 317 मामले देखे गए थे। इस साल अमेरिका में टीबी के 4% मामले 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में रिपोर्ट हुए थे। 

टीबी से कैसे बचें?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, जिन देशों में टीबी की समस्या आम है, वहां शिशुओं को बैसिल कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) टीका लगाकर संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके अलावा कम वेंटिलेशन वाली जगहों पर टीबी या किसी अन्य प्रकार के श्वसन संक्रमण के तेजी से फैलने का खतरा होता है, इसलिए जरूरी है कि कमरे में हवा के आने-जाने की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मास्क पहनना भी श्वसन संक्रमणों के खतरे से आपको सुरक्षित रखने का प्रभावी तरीका हो सकता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 'बातें यूपी की' लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है।

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