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(Special) एक ऐसी बीमारी जिसका प्रकोप मध्य एवं दक्षिण भारत में फैला हुआ है और जो बच्चों पर ज्यादा प्रभावी है जिसमें रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और सेल का आकार गोल नहीं बनता है। इसके कारण बच्चों की ग्रोथ पर काफी असर पड़ता है। साथ ही दूसरे बच्चों की तुलना में उसकी इम्युनिटी भी कमजोर होती है। अगर समय पर इस बीमारी का इलाज न कराया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकती है। यह एक जेनेटिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होती है जिसका नाम सिकल सेल है। इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के संघर्ष के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 19 जून को विश्व सिकल सेल डिजीज (World Sickle Cell Day) मनाया जाता है।
सिकल सेल डिजीज( SCD) एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है, जिसमें कठोर, सिकल यानी हंसिया या दंराती के आकार के रेड ब्लड सेल्स सामान्य ब्लड फ्लो में बाधा डालती हैं। यह गंभीर समस्या है, लेकिन बावजूद इसके लोगों के बीच इसे लेकर जागरूकता की कमी है। भारत में यह बीमारी खासतौर से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पूर्वी गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिमी ओडिशा और उत्तरी तमिलनाडु में ज्यादा देखने को मिलती है। इस मौके पर हर साल कई कार्यक्रमों और रैलियों का का आयोजन किया जाता है।
इस दिन को मनाने के पीछे क्या है इतिहास?
पहली बार सिकल सेल जागरूकता दिवस 19 जून 2009 को आयोजित किया गया था। ग्लोबल अलायंस ऑफ सिकल सेल डिजीज आर्गेनाईजेशन की स्थापना 10 जनवरी, 2020 को एम्स्टर्डम, नीदरलैंड में की गई थी। इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 22 दिसंबर 2008 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा में 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस (World Sickle Cell Awareness Day) के रूप में मनाए जाने का फैसला लिया गया था। जिसके बाद से हर साल इस दिन को विश्व स्तर पर मनाया जाता है।
अक्सर अनदेखा किए जाने वाले लक्षण-
कोई भी बीमारी भयावह और जानलेवा तब हो जाती है जब उसकी अनदेखी की जाती है। इसी अनदेखी के कारण यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है, अगर समय रहते इसकी पहचान और फिर सही इलाज न किया जाए। इस स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि सिकल सेल डिजीज के लक्षणों के बारे में सही जानकारी हो। आइए जानते हैं कुछ आम लक्षणों के बारे में, जिन्हें आपको बिल्कुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
सिकल सेल डिजीज में, रेड ब्लड सेल्स का जीवनकाल सामान्य 120 दिनों की तुलना में कम होता है, जिससे एनीमिया और आरबीसी की कमी हो जाती है।
खराब इम्युनिटी भी सिकल सेल डिजीज का लक्षण हो सकती है। बिगड़ा हुआ ब्लड फ्लो इम्युनिटी कमजोर करता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ाता है, जिससे सिकल सेल डिजीज (एससीडी) वाले व्यक्तियों के लिए जानलेवा संक्रमणों से बचने के लिए दवाओं के सहारे रहना पड़ता है।
सिकल सेल डिजीज होने पर शरीर में आरबीसी की कमी होने लगती है, जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, जिसकी वजह शरीर में थकान और कमजोरी होने लगती है।
सिकल सेल एनीमिया होने पर रेड ब्लड सेल्स सिकल के आकार के हो जाते हैं, जिसकी वजह से रक्त प्रवाह यानी ब्लड फ्लो बाधित होता है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में गंभीर दर्द की वजह बनता है।
हाथ-पांव में सूजन और दर्द भी इस बीमारी का प्रमुख लक्षण हो सकता है। सिकल सेल डिजीज होने पर हाथों और पैरों में ब्लड सर्कुलेशन संबंधी समस्याएं होने लगती है, जिसकी वजह से सूजन और दर्द होता है। इसके लिए तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है।
किस प्रकार सिकल सेल रोग से हो सकता है बचाव
सिकल सेल रोग को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह एक आनुवंशिक स्थिति है। यदि आप गर्भवती हैं आनुवंशिक परीक्षण के माध्यम से इसके खतरे का पता लगाने में मदद मिल सकती है। जिन बच्चों में इस रोग का निदान किया जाता है उन्हें उपचार के तौर पर दवाओं के साथ ब्लड ट्रांसफ्यूजन, बोन मैरो ट्रांसप्लांट और जीन थेरेपी की जरूरत हो सकती है।
विश्व सिकल सेल दिवस 2024 की थीम-
विश्व सिकल सेल दिवस को हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल विश्व सिकल सेल दिवस की थीम- ('Hope Through Progress: Advancing Sickle Cell Care Globally') “प्रगति के माध्यम से आशा: सिकल सेल देखभाल को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाना” है, जो मुख्य रूप से जागरूकता बढ़ाने, शिक्षा को बढ़ावा देने और दुनिया भर में सिकल सेल रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच की वकालत करने पर केंद्रित है।
Baten UP Ki Desk
Published : 19 June, 2024, 4:46 pm
Author Info : Baten UP Ki