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कहां से कहां तक पहुंच गई दुनिया की आबादी, 2050 तक ये अफ्रीकी देश बन जाएगा तीसरी बड़ी जनसंख्या

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(Special Story) आज पूरे विश्व में 'विश्व जनसंख्या दिवस' मनाया जा रहा है। हर साल 11 जुलाई को यह दिवस जनसंख्या से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाधान खोजने के उद्देश्य से मनाया जाता है। भारत दुनिया के सबसे बड़े और घनी आबादी वाले देशों में से एक है। विश्व जनसंख्या समीक्षा के अनुमान के अनुसार जुलाई 2024 तक भारत की आबादी 144 करोड़ से ज्यादा है। इसके साथ ही भारत जनसंख्या के मामले में टॉप पर है। साल 2022 में भारत चीन को पछाड़ कर सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गया है।

वैश्विक चिंता है दुनिया की बढ़ती जनसंख्या-

जिस तरह दुनिया में जनसंख्या बढ़ रही है वह एक वैश्विक चिंता है। माना जा रहा है कि 2050 तक दुनिया के साथ साथ भारत और चीन की जनसंख्या भी तेजी से बढ़ जाएगी।  नवंबर 2022 में वैश्विक जनसंख्या आधिकारिक तौर पर आठ अरब लोगों तक पहुंच चुकी है। हैरानी की बात है कि साल 1955 में पृथ्वी पर 2.8 बिलियन लोग थे। लेकिन आज यह अकेले भारत और चीन की जनसंख्या के बराबर है।

2050 तक इतनी होगी दुनिया की जनसंख्या-

रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2050 तक भारत और चीन के बाद नाइजीरिया विश्व का तीसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। जिसके बाद क्रमश संयुक्त राज्य अमेरिका, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, ब्राजील, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया और बांग्लादेश का स्थान होगा। रिपोर्ट्स कहती हैं कि 2050 तक दुनिया की जनसंख्या 9.7 बिलियन तक पहुंच जाएगी। वहीं इसमें अकेले भारत की जनसंख्या 1.67 बिलियन तक पहुंच जाएगी। इसके बाद चीन की जनसंख्या 1.31 बिलियन और नाइजीरिया की जनसंख्या 377 मिलियन तक पहुंच जाएगी। 

कैसे हुई विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत?

विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत 11 जुलाई 1989 को हुई थी। यह तारीख संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा चुनी गई थी, जब 1987 में वैश्विक जनसंख्या 5 अरब को पार कर गई थी। उस समय के जनसंख्या वृद्धि की दर ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया था, और इसी के चलते जनसंख्या से संबंधित मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए यह दिवस निर्धारित किया गया। इस दिन को 'डे ऑफ फाइव बिलियन' के रूप में मनाया गया था

क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस?

विश्व जनसंख्या दिवस का मुख्य उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण, परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, मातृ स्वास्थ्य, और गरीबी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना है। जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित करना पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।

इस वर्ष की थीम क्या है?

हर साल इस दिवस पर एक विशेष विषय चुना जाता है। इस साल विश्व जनसंख्या दिवस 2024 की थीम है "किसी को पीछे न छोड़ना, सभी की गिनती करना"। ये थीम दुनिया में मौजूद लोगों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जनसंख्या डेटा एकत्र करने के महत्व पर प्रकाश डालती है।

क्या कहते हैं जनसंख्या के आंकड़े?

वर्तमान में, विश्व की जनसंख्या लगभग 8 अरब के आसपास है। इतनी बड़ी जनसंख्या का प्रबंधन एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, और इसके लिए नीतियों और योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन आवश्यक है। भारत की जनसंख्या भी तेजी से बढ़ रही है और यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है। यहां जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हैं, जैसे कि परिवार नियोजन कार्यक्रम, शिक्षा के प्रसार और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता।

चलाए जाते हैं जागरूकता कार्यक्रम-

इस दिवस के अवसर पर कई देशों में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। सेमिनार, कार्यशालाएं, रैलियां, और जनसंख्या वृद्धि से जुड़े मुद्दों पर चर्चाएं की जाती हैं। विश्व जनसंख्या दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जनसंख्या संबंधी मुद्दे हमारे भविष्य को प्रभावित करते हैं और इन्हें सुलझाने के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। इस प्रकार, विश्व जनसंख्या दिवस केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन है जो दुनिया को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम है। भारत में भी कई संगठनों और संस्थाओं द्वारा इस दिवस को मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य लोगों को जनसंख्या वृद्धि के प्रभावों और परिवार नियोजन के महत्व के बारे में जागरूक करना होता है। कुछ इस प्रकार बढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सकता है-

  • परिवार नियोजन

विश्व जनसंख्या दिवस का मुख्य उद्देश्य परिवार नियोजन के महत्व को जागरूक करना है। सही जानकारी और संसाधनों की मदद से लोग अपनी परिवार की योजना बना सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

  • महिला सशक्तिकरण

जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के मुद्दों में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इस दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है और उन्हें सशक्त बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

  • स्वास्थ्य सेवाएं

विश्व जनसंख्या दिवस का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य मातृ स्वास्थ्य और नवजात स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना है। उचित स्वास्थ्य सेवाओं की मदद से मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।

जनसंख्या वृद्धि का पर्यावरण पर प्रभाव-

जनसंख्या वृद्धि का पर्यावरण पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। अधिक जनसंख्या का मतलब है अधिक संसाधनों की खपत, अधिक कचरा, और अधिक प्रदूषण। पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, और जैव विविधता की हानि जैसी समस्याओं का एक मुख्य कारण भी जनसंख्या वृद्धि है। इन समस्याओं से निपटने के लिए जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देना आवश्यक है।

भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएं-

जनसंख्या वृद्धि की चुनौतियाँ बहुत बड़ी हैं, लेकिन यदि सही तरीके से योजनाएं बनाई जाएं और उन पर अमल किया जाए, तो इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, और परिवार नियोजन के साधनों की पहुंच सुनिश्चित करना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। विश्व जनसंख्या दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जनसंख्या संबंधी मुद्दे हमारे भविष्य को प्रभावित करते हैं और इन्हें सुलझाने के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। इस प्रकार, विश्व जनसंख्या दिवस केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन है जो दुनिया को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम है। जनसंख्या वृद्धि के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके, हम एक स्थिर और समृद्ध भविष्य की दिशा में बढ़ सकते हैं।

विश्व के सबसे कम जनसंख्या वाले देश

आइए अब जानते हैं दुनिया के सबसे कम जनसंख्या वाले देश कौनसे हैं? इन देशों का ग्रोथ रेट भी बेहद कम है और इनमें से एक देश की आबाद 1000 के पार भी नहीं है।

  • वेटिकन सिटी - 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वेटिकन सिटी (Vatican City) सबसे कम जनसंख्या वाला देश हैं. 2023 -2024 के बीच वेटिकन सिटी की जनसंख्या केवल 764 थी। 

  • टोकेलौ -

प्रशांत महासागर में स्थित यह द्वीप 26 स्क्वैर किलोमीटर में फैला है और यहां लगभग 1,915 लोग रहते हैं। यहां पहुंचने की कुछ खास सुविधा ना होना ही इसकी कम आबादी की एक बड़ी वजह है।

  • निउए -

प्रशांत महासागर में स्थित द्वीप समूह हे निउए. यहां की आबादी केवल 1,925 है। न्यूज़ीलैंड के साथ स्वतंत्र रूप से जुड़े इस स्व-शासित द्वीप देश का क्षेत्रफल मात्र 260 वर्ग किलोमीटर है। 

  • फॉकलैंड -

फॉकलैंड द्वीप समूह की पृथक स्थिति और कठोर उप-अंटार्कटिक जलवायु इसे बड़े पैमाने पर बसने के लिए एक अनाकर्षक गंतव्य बनाती है। यही कारण है कि यहां 3,500 के करीब की आबादी है। इस द्वीप की अर्थव्यवस्था (Economy) मछली पकड़ने और पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर है। 

  • मॉण्टसेराट-

इस कैरेबियाई द्वीप राष्ट्र की अनुमानित आबादी 4,372 है, जिसका मुख्य कारण 1990 के दशक में एक विनाशकारी ज्वालामुखी विस्फोट था, जिसने द्वीप के अधिकांश हिस्से को नष्ट कर दिया और कई निवासियों को भागने के लिए मजबूर किया। देश का सीमित भूमि क्षेत्र और ज्वालामुखी गतिविधि जनसंख्या वृद्धि में बाधा बनी हुई है।

अब सवाल उठता है कि कौन-कौन दुनिया की बड़ी आबादी वाले देश हैं, तो भारत चीन को पछाड़ते हुए जनसंख्या के मामले में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है। भारत के अलावा कुछ और देश हैं जो दुनिया में काफी बड़ी जनसंख्या वाले देश हैं-

  • चीन की जनसंख्या-

चीन की जनसंख्या 1.4 बिलियन से अधिक है लेकिन 2024 में इसमें गिरावट आई। फिलहाल चीन 142 की जनसंख्या के साथ सूची में दूसरे स्थान पर है।

  • अमेरिका की जनसंख्या-

अमेरिका में 34 करोड़ की आबादी के साथ है। इसके साथ अमेरिका दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है।

  • इंडोनेशिया की जनसंख्या-

जुलाई 2024 तक इंडोनेशिया की जनसंख्या 27 करोड़ पहुंच चुकी है। यह जनसंख्या के हिसाब से देशों की सूची में चौथे स्थान पर है।

  • बांग्लादेश की जनसंख्या-

बांग्लादेश की आबादी 17 करोड़ है। सबसे ज्यादा आबादी वाले लिस्ट में इसका भी नंबर है। ये देश साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बना था।

  • नाइजीरिया की जनसंख्या-
नाइजीरिया अफ़्रीका के सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। ये 2050 तक दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश बन सकता है। इसकी आबादी 22 करोड़ के साथ ये छठे स्थान पर है।
 
  • इथियोपिया की जनसंख्या-
इथियोपिया की आबादी 12 करोड़ से ज्यादा है। इथियोपिया ने 2.52 फीसदी की वृद्धि दर देखी और दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों की शीर्ष 10 सूची में मेक्सिको को पीछे छोड़ दिया है।
 
By Ankit Verma 

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