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World Earth Day 2024: धरती विरासत नहीं अमानत है

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(Special story) ब्रह्मांड में एकमात्र पृथ्वी ही ऐसा खगोलीय पिंड है जिसमें जीवन है जहां कई करोड़ मनुष्यों के साथ पशु, पक्षी और जीव-जन्तु रह रहे हैं। इसके अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीवन की खोज जारी है। पृथ्वी का निर्माण लगभग 4.5 अरब साल पहले हुआ था और पृथ्वी के भौतिक गुणों, इसके भूवैज्ञानिक इतिहास और इसकी कक्षा ने लाखों सालों तक जीवन को अस्तित्व में बनाए रखा है। यानी इतने सालों बाद भी यहां जीवन है। एक मात्र ऐसा ग्रह जहां हवा भी है, पानी भी है, तापमान भी हमारे अनुसार है और वायुमंडल भी है। अगर ये सब पृथ्वी पर नहीं होते, तो न हम और आप होते और न ही कोई अन्य जीव। कहा जाता है कि धरती हमें विरासत में नहीं मिली है बल्कि हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है। इसका मतलब है कि पृथ्वी पर मौजूद सभी संसाधनों का इस्तेमाल हमें ऐसे करना चाहिए कि हम अपने आने वाली पीढ़ी के लिए जीवन जीने के लिए अनुकूल वातावरण और संसाधन छोड़ सकें। मगर ऐसे बहुत से काम हैं जिनसे हम इस पृथ्वी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और धीरे-धीरे इस पृथ्वी की प्राकृतिक संपदाओं और पर्यावरण को नष्ट करते जा रहे हैं जो कि आने वाले समय में खतरनाक साबित हो सकता है। 

पृथ्वी सिर्फ हमारा घर न हो करके करोड़ों जीव जंतुओं और वनस्पतियों का भी घर है, लेकिन मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पृथ्वी को कई तरह के नुकसान पहुंचा रहा है। जिसके चलते बाढ़, प्रदूषण, क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी कई समस्याएं देखने को मिल रही हैं। अभी भी अगर इन समस्याओं पर ध्यान न दिया गया, तो आने वाले समय और कई खतरों की वजह बन सकता है। लोगों को पृथ्वी और प्रकृति के महत्व के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 22 अप्रैल को 'विश्व पृथ्वी दिवस' (World Earth Day) मनाया जाता है।  इस दिन को मनाने का खास मकसद लोगों को पृथ्वी के महत्व को समझाना पर्यावरण को बचाना और उसे बेहतर बनाने के प्रति जागरूक करना है। अब आपको बताते हैं इसकी शुरूआत कैसे हुई थी, इस साल की थीम क्या है और भी कई अन्य बातें..

कैसे हुई थी पृथ्वी दिवस की शुरुआत?

इस साल 54वां पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है। पृथ्वी दिवस को मनाने का विचार पहली बार 1969 में यूनेस्को सम्मेलन में शांति कार्यकर्ता जॉन मैककोनेल द्वारा दिया गया था। शुरू में, इस दिन को मनाने का उद्देश्य पृथ्वी का सम्मान करना और पर्यावरण का हो रहे नुकसान के प्रति चिंता थी। 22 अप्रैल, 1970 को सबसे पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में पृथ्वी दिवस मनाया गया था। 1990 में डेनिस हेस ने विश्व स्तर पर इस दिन को मनाने का प्रस्ताव रखा जिसमें 141 देशों ने भाग लिया। साल 2016 में, पृथ्वी दिवस को जलवायु संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया गया। 22 अप्रैल, 1970 में तकरीबन 2 करोड़ अमेरिकी जल प्रदूषण, तेल के स्त्राव, जंगल में लगने वाली आग और वायु प्रदूषण जैसे संकटों के खिलाफ सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन किया, इसके बाद से ही इस प्रदर्शन ने वैश्विक रूप लिया और पर्यावरण को बचाने की तरफ बड़े कदम उठाए जाने लगे। वर्तमान में, पृथ्वी दिवस नेटवर्क 190 देशों में 20,000 साझेदारों और संगठनों में फैला हुआ है।

क्या है विश्व पृथ्वी दिवस का उद्देश्य?

पृथ्वी दिवस को मनाने का मकसद पर्यावरण को होने वाले खतरों के प्रति लोगों को जागरूक करना है और पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है. भूस्खलन, ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण के कारण पर्यावण को अत्यधिक नुकसान पहुंचता है. ऐसे में यदि व्यक्ति अपने स्तर पर भी पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे और पर्यावरण को सुरक्षित रखने का प्रण ले तो हमारी पृथ्वी फलती-फूलती रहेगी. इसका मकसद है, कि लोग पृथ्वी के महत्व को समझकर अपने आसपास के पर्यावरण को अच्छा बनाने के लिए काम करें। यह मौका पर्यावरण संरक्षण और पृथ्वी की बिगड़ती सेहत को लेकर लोगों को सचेत करने का है।

जरूरी है प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा-

पृथ्वी पर मौजूद अन्य जीव-जंतुओं के मुकाबले हम मनुष्यों की संख्या बेहद कम है मगर इस पृथ्वी को सबसे ज्यादा नुकसान हम मनुष्य ही पहुंचा रहे हैं। पृथ्वी का जीवन नष्ट करने वाले जो भी बड़े कारक हैं भले हम उन्हें न रोक पाएं मगर कम से कम अपनी आने वाली संतान, अपनी पीढ़ियों और उनके शरीर के रूप में अपने वंश को जीवित रखने के लिए हम अपनी कुछ छोटी-छोटी आदतें तो बदल ही सकते हैं। पृथ्वी पर मौजूद सभी संसाधनों का इस्तेमाल हमें ऐसे करना चाहिए, ताकि हम अपने आने वाली पीढ़ी के लिए जीवन जीने के लिए अनुकूल वातावरण और संसाधन छोड़ सकें। इसलिए कुछ ऐसे उपाय बताने वाले हैं जिन्हें अपनाकर आप प्राकृतिक संसाधनों को भी बचा सकते हैं और वातावरण को होने वाले नुकसान को भी कम कर सकते हैं।

बिजली का करें कम इस्तेमाल-

दिन के समय अपने घर की खिड़की और बालकनी के दरवाजे खोलकर रख सकते हैं, जिससे सूरज की रोशनी घर में आएगी और घर में उजाला फैलेगा। इससे आपको लाइट बल्ब जलाने की जरूरत नहीं होगी। सूरज की रोशनी घर में आने से आपको अच्छा भी महसूस होगा, क्योंकि इससे आपको विटामिन-डी मिलेगा और आपका मूड भी बेहतर रहेगा। बिजली बचाने का यह अच्छा उपाय हो सकता है। इसके अलावा, आप चाहें तो दिन के समय अपना कुछ काम अपनी बालकनी या घर के बरामदे में भी कर सकते हैं। बाहर की रोशनी के कारण आपको काम करने में दिक्कत भी नहीं होगी और बिजली की बचत भी होगी।

पानी के दुरुपयोग से बचें-

सोचिये अगर आपको तेज प्यास लगी हो और पीने के लिए कहीं भी पानी न हो, तो क्या होगा? विज्ञान के मुताबिक बिना पानी के आप ज्यादा से ज्यादा 3 दिन तक जिंदा रह सकते हैं। अगर पानी हमारे लिए इतना महत्वपूर्ण है, तो इसका बचे रहना भी बहुत जरूरी है। पीने के अलावा बड़े स्तर पर पानी का जो घरेलू इस्तेमाल है उसमें नहाना, कपड़े धुलना, बर्तन धुलना और खाना बनाना शामिल हैं। ये मूलभूत काम हैं इसलिए इन्हें करें मगर कम से कम पानी में करें। वहीं कुछ लोग पानी का दुरुपयोग करते हैं जैसे जमीन धुलना, घर के बाहर छिड़कना, जल्दी-जल्दी गाड़ी धुलना या नल खुला छोड़े देना। अगर कभी-कभी आप भी भूल से ऐसा करते हैं, तो संकल्प लें कि अब ऐसा नहीं करेंगे ताकि आपके बच्चों को पानी पेट्रोल से मंहगे कीमत पर घंटों लाइन में खड़े रहकर न खरीदना पड़े।

ऑर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल करें

हमारे घर में ऐसी कई चीजें पाई जाती हैं, जिन्हें बदलकर आप उनकी जगह ऑर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे प्लास्टिक के डिब्बों की जगह स्टील या कांच के डिब्बों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जूट बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं, ऑर्गेनिक और इको-फ्रेंडली बेडशीट और गद्दे ले सकते हैं, केमिकल फर्टिलाइजर की जगह घर पर कंपोस्ट बना सकते हैं, प्लास्टिक के गमलों की जगह मिट्टी के गमलों का इस्तेमाल कर सकते हैं, प्लास्टिक के डेकोरेटिव पीसेज के बदले वुडन या सेरेमाइड से बनी चीजों का इस्तेमाल करके घर को सजा सकते हैं।

फास्ट फैशन से बचें-

अक्सर सोशल मीडिया की चका-चौंध देखकर हम भूल कर बैठते हैं कि हमें हमेशा ट्रेंडी कपड़े पहनने हैं और एक कपड़े को पहनकर दोबारा फोटो पोस्ट नहीं कर सकते। इसके कारण लोग अक्सर एक कपड़े को कुछ समय तक पहनकर हटा देते हैं और नए कपड़े खरीदते हैं, ताकि वे फैशन ट्रेंड को फॉलो कर सकें। यह आपके सोशल मीडिया के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन इसकी वजह से वातावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। इसलिए हमेशा सोच-समझकर कपड़े खरीदें और उनका सही तरीके से इस्तेमाल करें। अपने कम इस्तेमाल में आने वाले कपड़ों को आप थ्रिफटिंग के लिए दे सकते हैं या डोनेट कर सकते हैं, जिससे वे किसी और के काम आ सकें।

ऑर्गेनिक फूड खाएं-

ऑर्गेनिक फार्मिंग से उगाए गए फूड्स या डेयरी प्रोडक्ट्स को ऑर्गेनिक फूड कहा जाता है। ये मिट्टी और पानी के प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, इको-फ्रेंडली तरीके से उगाए जाने की वजह से इनमें हानिकारक फर्टिलाइजर नहीं होते, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। इनके छिलकों या बचे हुए खाने से आप कम्पोस्टिंग भी कर सकते हैं, जिससे आपको नेचुरल खाद मिल सकती है।

प्लास्टिक के इस्तेमाल से रहें दूर-

सामानों को ले आने-ले जाने और संभालकर रखने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल आप भी करते होंगे। प्लास्टिक का प्रयोग सुविधाजनक है और ये काफी वजन को उठा सकता है। इसलिए इनका इस्तेमाल धड़ल्ले से हम सब करते हैं। मगर इस प्लास्टिक का हमारे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि ये सैकड़ों सालों तक मिट्टी के नीचे दबी रहने के बावजूद पूरी तरह गलती नहीं हैं। हमारी धरती के नीचे और हमारे समंदर के अंदर इस तरह का कचरा बहुत मात्रा में दफ्न है जो गल नहीं सकता जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इसलिए प्लास्टिक पॉलिथीन की जगह आपको कपड़े या जूट के बैग और पैकेट्स का इस्तेमाल करना चाहिए।

वर्ल्ड अर्थ डे 2024 की थीम

हर साल वर्ल्ड अर्थ डे को एक थीम के साथ मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस की थीम इस साल 'प्लेनेट वर्सेज प्लास्टिक' (Planet vs Plastic) है, यानी ग्रह बनाम प्लास्टिक है. इस साल की थीम का मकसद लोगों को प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए प्रेरित करना और प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है. साथ ही, इस थीम (Theme) के माध्यम से यह कोशिश की जाएगी कि आने वाले साल 2040 तक प्लास्टिक के इस्तेमाल में 60 फीसदी तक गिरावट आ सके।

  By Ankit verma 

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