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बायोफ्यूल, जिसे जैव ईंधन भी कहा जाता है, पौधों, फसलों और जानवरों के अपशिष्ट जैसे जैविक स्रोतों से प्राप्त होता है। यह पारंपरिक जीवाश्म ईंधन का एक बेहतर विकल्प माना जाता है। कोई भी ईंधन जो बायोमास से मिलता है, जैसे पौधे, कृषि अपशिष्ट, फसलें, शैवाल आदि, उसे बायोफ्यूल के रूप में जाना जाता है। पर्यावरण के प्रति बढ़ती चिंताओं के साथ, यह नवीकरणीय ईंधन कार्बन उत्सर्जन को 90% तक कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस कारण, एक हरित दुनिया के लिए बायोफ्यूल का बहुत अधिक महत्व है।
बायोफ्यूल के मामले में भारत की क्षमता क्या है?
भारत दुनिया में बायोफ्यूल के शीर्ष उत्पादकों में से एक है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2021-22 (1 दिसंबर से 30 नवंबर तक) के दौरान, सार्वजनिक क्षेत्र की ऑइल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) ने घरेलू उत्पादकों से 433.6 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा और इसे पेट्रोल के साथ मिश्रित किया। यह स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। इसके अलावा, इथेनॉल की आपूर्ति 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2020-21 में 322 करोड़ लीटर (अनुबंधित) हो गई है। इसके अतिरिक्त, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, डीजल के साथ मिश्रण के लिए 5.83 करोड़ लीटर बायो-डीजल खरीदा गया, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भारत को मदद मिली।
बायोफ्यूल पर राष्ट्रीय नीति - 2018 क्या है?
इस नीति को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 4 जून 2018 को अधिसूचित किया था। इस नीति का उद्देश्य 2030 तक 20% इथेनॉल-मिश्रण और 5% बायो-डीजल-मिश्रण हासिल करना है। बायोफ्यूल के क्षेत्र में प्रगति के कारण, 2018 की नीति में संशोधन किए गए हैं। 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन संशोधनों को मंजूरी दी।
मुख्य संशोधन इस प्रकार हैं-
भारत का विज़न और G20 का नेतृत्व-
बायोफ्यूल के लिए भारत का दृष्टिकोण उसकी "जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति - 2018" में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इस रणनीतिक फ्रेमवर्क में जैव ईंधन उत्पादन बढ़ाने की रूपरेखा तैयार की गई है, जिससे आयातित पेट्रोलियम उत्पादों पर देश की निर्भरता कम हो जाएगी। भारत अपनी G20 अध्यक्षता के दौरान ऊर्जा सुरक्षा और जैव ईंधन एवं हाइड्रोजन जैसे उभरते ईंधनों के विस्तार के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर जोर दे रहा है। सरकार ने 2जी इथेनॉल बायो रिफाइनरीज की स्थापना के लिए आर्थिक मदद देकर देश में पेट्रोकेमिकल रूट सहित सेल्यूलोसिक और लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास से सेकंड जनरेशन (2जी) इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन - वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना भी अधिसूचित की है। कार्बन उत्सर्जन में चिंताजनक वृद्धि के कारण अब जैव ईंधन को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।
बायोफ्यूल के भारत में हैं कई विकल्प-
भारत में बायोफ्यूल के कई विकल्प मौजूद हैं, जिन्हें लगातार बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इनमें पहला विकल्प बायोइथेनॉल है, जो गन्ना, चुकंदर, मीठा ज्वार, या ऐसी सामग्री से प्राप्त होता है जिसमें स्टार्च होता है, जैसे आलू, शैवाल, मक्का आदि। इसके अलावा, लकड़ी का कचरा और कृषि अवशेष भी बायोइथेनॉल के प्रमुख स्रोत हो सकते हैं। हाल ही में सरकार ने दावा किया था कि बहुत जल्द ऐसी कारें मार्केट में होंगी जो बायोइथेनॉल से चलाई जा सकेंगी। इसके अलावा, बायोडीजल, उन्नत जैव ईंधन, भुट्ठे का स्टोवर, ड्रॉप-इन ईंधन, और बायो सीएनजी जैसे विकल्प भी पारंपरिक ईंधन का बड़ा विकल्प बन सकते हैं।
By Ankit Verma
Baten UP Ki Desk
Published : 10 August, 2024, 1:04 pm
Author Info : Baten UP Ki