बड़ी खबरें

ब्राजील दौरे पर पहुंचे पीएम मोदी का हुआ भव्य स्वागत, जी20 देशों के सम्मेलन में होंगे शामिल, पिछले साल भारत की अध्यक्षता में हुआ था जी20 सम्मेलन 3 दिन पहले स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल की हुई सफल टेस्टिंग, 1500 किलोमीटर से ज्यादा रेंज, साउंड से 5 गुना तेज है इसकी रफ्तार 3 दिन पहले जहरीली हुई गाजियाबाद की हवा,AQI 400 के पार, NCR में ग्रेप-4 लागू, सबसे ज्यादा लोनी इलाका प्रभावित 3 दिन पहले झांसी में 10 बच्चों की मौत के बाद जागा प्रशासन, पूरे यूपी में ताबड़तोड़ कार्रवाई, 80 अस्पतालों को बंद करने का नोटिस 3 दिन पहले यूपी के 46 स्टेट हाइवे सहित 196 सड़कों को किया जाएगा चौड़ा, खराब सड़क बनाने वालों पर गाज गिरनी तय 3 दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा TGT 2013 भर्ती मामला, 6 सप्ताह बाद होगी सुनवाई, चयनित अभ्यर्थियों को विद्यालय आवंटित न किए जाने का उठाया गया मुद्दा 3 दिन पहले यूपी बोर्ड 2025 के लिए घोषित हुईं परीक्षा की संभावित तारीखें, महाकुंभ की वजह से इस बार देरी से हो सकती हैं परीक्षाएं 3 दिन पहले लखनऊ में लगातार गिर रहा पारा, लालबाग और तालकटोरा में हवा का प्रदूषण खतरनाक, पछुआ हवा ने दूर किया कोहरा 3 दिन पहले लखनऊ के KGMU में जल्द शुरू होगा बोन बैंक, ट्रांसप्लांट मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत,हड्डी के ट्यूमर पर एक्सपर्ट ने दी टिप्स 3 दिन पहले IIT दिल्ली में इंग्लिश लैंग्वेज इंस्ट्रक्टर की निकली भर्ती, एज लिमिट 45 साल, 75 हजार तक मिलेगी सैलरी 3 दिन पहले

ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत, जो अनंत है, प्रदूषण से भी हमें बचाने में करता है मदद

Blog Image

पारंपरिक ईंधनों जैसे डीजल और पेट्रोल की खपत लगातार बढ़ती जा रही है, जिसके कारण इनका भंडार घट रहा है और कीमतों में भी उछाल देखा जा रहा है। आने वाले समय में इनकी कीमतें और भी बढ़ सकती हैं। ऐसे में बायोफ्यूल यानी जैव ईंधन एक बड़ी राहत के रूप में उभर सकते हैं। जैव ईंधन न केवल ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम कर सकते हैं, बल्कि पारंपरिक ईंधनों की बढ़ती खपत और उससे होने वाले प्रदूषण से भी हमें बचा सकते हैं। जैव ईंधन ऊर्जा का एक ऐसा स्रोत है, जो अनंत है, यानी कभी खत्म नहीं होने वाला। बायोफ्यूल के महत्व को समझने और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हर साल 10 अगस्त को 'वर्ल्ड बायोफ्यूल डे' मनाया जाता है।

इस दिन को चुने जाने का खास कारण यह है कि 10 अगस्त के ही दिन सर रूडोल्फ डीजल ने वनस्पति तेल के उत्पादन का सफल प्रयोग किया था। उन्होंने मूंगफली के तेल से एक इंजन को सफलतापूर्वक चलाया था, जो बायोफ्यूल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इस दिन का उद्देश्य लोगों को बायोफ्यूल के उपयोग के लाभ और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। 

वर्ल्ड बायोफ्यूल डे मनाने का उद्देश्य क्या है?

इस दिन को मनाने को उद्देश्य लोगों को पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में गैर-जीवाश्म ईंधन के महत्व के बारे में जागरूक करना है। यह दिन उन प्रयासों को उजागर करने के लिए समर्पित है जो जैव ईंधन क्षेत्र में हो रहे हैं, खासकर सरकार द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को। विश्व जैव ईंधन दिवस को रुडोल्फ डीजल की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने डीजल इंजन का आविष्कार किया था। उन्होंने पहली बार मूंगफली के तेल का उपयोग करके इंजन चलाया था, जिससे यह साबित हुआ कि जैव ईंधन भी इंजन के लिए एक सशक्त ऊर्जा स्रोत हो सकता है। साल 2015 से, भारत सरकार का पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय इस दिन को विशेष रूप से मनाता है, ताकि जैव ईंधन के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके और इसे ऊर्जा का मुख्य स्रोत बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

जैव ईंधन के उपयोग करने से क्या होता है?

जैव ईंधन के उपयोग से न केवल पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है, बल्कि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत बनाता है। जैव ईंधन, जो कि प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होता है, पर्यावरण के लिए भी कम हानिकारक होता है। इस प्रकार के ईंधन के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आती है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायक है। सरकार भी विभिन्न योजनाओं और नीतियों के माध्यम से जैव ईंधन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने का काम कर रही है। इसलिए, विश्व जैव ईंधन दिवस न केवल जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि यह भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना और जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना है, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा स्रोत उपलब्ध हो सके।

बायोफ्यूल क्या है?

बायोफ्यूल, जिसे जैव ईंधन भी कहा जाता है, पौधों, फसलों और जानवरों के अपशिष्ट जैसे जैविक स्रोतों से प्राप्त होता है। यह पारंपरिक जीवाश्म ईंधन का एक बेहतर विकल्प माना जाता है। कोई भी ईंधन जो बायोमास से मिलता है, जैसे पौधे, कृषि अपशिष्ट, फसलें, शैवाल आदि, उसे बायोफ्यूल के रूप में जाना जाता है। पर्यावरण के प्रति बढ़ती चिंताओं के साथ, यह नवीकरणीय ईंधन कार्बन उत्सर्जन को 90% तक कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस कारण, एक हरित दुनिया के लिए बायोफ्यूल का बहुत अधिक महत्व है।

बायोफ्यूल के मामले में भारत की क्षमता क्या है?

भारत दुनिया में बायोफ्यूल के शीर्ष उत्पादकों में से एक है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2021-22 (1 दिसंबर से 30 नवंबर तक) के दौरान, सार्वजनिक क्षेत्र की ऑइल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) ने घरेलू उत्पादकों से 433.6 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा और इसे पेट्रोल के साथ मिश्रित किया। यह स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। इसके अलावा, इथेनॉल की आपूर्ति 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2020-21 में 322 करोड़ लीटर (अनुबंधित) हो गई है। इसके अतिरिक्त, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, डीजल के साथ मिश्रण के लिए 5.83 करोड़ लीटर बायो-डीजल खरीदा गया, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भारत को मदद मिली।

बायोफ्यूल पर राष्ट्रीय नीति - 2018 क्या है?

इस नीति को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 4 जून 2018 को अधिसूचित किया था। इस नीति का उद्देश्य 2030 तक 20% इथेनॉल-मिश्रण और 5% बायो-डीजल-मिश्रण हासिल करना है। बायोफ्यूल के क्षेत्र में प्रगति के कारण, 2018 की नीति में संशोधन किए गए हैं। 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन संशोधनों को मंजूरी दी।

मुख्य संशोधन इस प्रकार हैं-

  • बायोफ्यूल के उत्पादन के लिए अधिक फीडस्टॉक की अनुमति देना।
  • पेट्रोल में इथेनॉल के 20% मिश्रण के लक्ष्य को 2030 से आगे बढ़ाकर इथेनॉल सप्लाई ईयर 2025-26 तक करना।
  • 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) और निर्यात उन्मुख इकाइयों (EOUs) में स्थित यूनिट्स द्वारा देश में जैव ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देना।

भारत का विज़न और G20 का नेतृत्व-

बायोफ्यूल के लिए भारत का दृष्टिकोण उसकी "जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति - 2018" में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इस रणनीतिक फ्रेमवर्क में जैव ईंधन उत्पादन बढ़ाने की रूपरेखा तैयार की गई है, जिससे आयातित पेट्रोलियम उत्पादों पर देश की निर्भरता कम हो जाएगी। भारत अपनी G20 अध्यक्षता के दौरान ऊर्जा सुरक्षा और जैव ईंधन एवं हाइड्रोजन जैसे उभरते ईंधनों के विस्तार के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर जोर दे रहा है। सरकार ने 2जी इथेनॉल बायो रिफाइनरीज की स्थापना के लिए आर्थिक मदद देकर देश में पेट्रोकेमिकल रूट सहित सेल्यूलोसिक और लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास से सेकंड जनरेशन (2जी) इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन - वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना भी अधिसूचित की है। कार्बन उत्सर्जन में चिंताजनक वृद्धि के कारण अब जैव ईंधन को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है।

बायोफ्यूल के भारत में हैं  कई विकल्प-

भारत में बायोफ्यूल के कई विकल्प मौजूद हैं, जिन्हें लगातार बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इनमें पहला विकल्प बायोइथेनॉल है, जो गन्ना, चुकंदर, मीठा ज्वार, या ऐसी सामग्री से प्राप्त होता है जिसमें स्टार्च होता है, जैसे आलू, शैवाल, मक्का आदि। इसके अलावा, लकड़ी का कचरा और कृषि अवशेष भी बायोइथेनॉल के प्रमुख स्रोत हो सकते हैं। हाल ही में सरकार ने दावा किया था कि बहुत जल्द ऐसी कारें मार्केट में होंगी जो बायोइथेनॉल से चलाई जा सकेंगी। इसके अलावा, बायोडीजल, उन्नत जैव ईंधन, भुट्ठे का स्टोवर, ड्रॉप-इन ईंधन, और बायो सीएनजी जैसे विकल्प भी पारंपरिक ईंधन का बड़ा विकल्प बन सकते हैं।

By Ankit Verma 

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें