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महज इतने फीसदी ही तकनीक और इंजीनियरिंग में है महिलाओं की हिस्सेदारी! इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा...

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विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) जैसे क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर महिलाओं की हिस्सेदारी आज भी सिर्फ 35% पर अटकी हुई है। यह आंकड़ा बीते दस वर्षों से लगभग स्थिर बना हुआ है। यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र की शैक्षिक संस्था यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी (GEM) टीम ने अपनी हालिया रिपोर्ट में किया है।

गणित का डर और लैंगिक सोच बनी लड़कियों की प्रगति में बाधा

रिपोर्ट में कहा गया है कि लड़कियों और महिलाओं की STEM में भागीदारी कम रहने के पीछे दो बड़ी वजहें हैं – गणित से जुड़ा डर और समाज में गहराई तक फैली लैंगिक रूढ़िवादी सोच। GEM टीम के अनुसार, लड़कियों को बचपन से ही यह विश्वास दिलाया जाता है कि वे गणित में कमजोर हैं, चाहे वे उसमें अच्छे अंक क्यों लाएं। इससे उनका आत्मविश्वास धीरे-धीरे खत्म होता चला जाता है और वे विज्ञान तकनीक जैसे क्षेत्रों में जाने से हिचकिचाती हैं।

AI और डिजिटल दुनिया में महिलाओं की भागीदारी बेहद कम

डिजिटल परिवर्तन की बात करें तो यहां भी महिलाओं की स्थिति बेहद कमजोर है। रिपोर्ट के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डाटा साइंस जैसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में 2018 से 2023 के बीच महिलाओं की हिस्सेदारी महज 26% रही। इंजीनियरिंग में यह आंकड़ा 15% और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में तो केवल 12% ही है। GEM टीम ने इसे कार्यस्थल में लैंगिक असमानता की बड़ी मिसाल बताया है।

नीतियां तो हैं, पर महिला केंद्रित नहीं

रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के 68% देशों में STEM शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए नीतियां तो मौजूद हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ आधी ही लड़कियों और महिलाओं पर केंद्रित हैं। इससे लैंगिक असंतुलन बना हुआ है। उदाहरण के तौर पर, यूरोपीय संघ में IT की डिग्री लेने वाली हर चार महिलाओं में से केवल एक ही डिजिटल नौकरी पा सकी, जबकि पुरुषों में यह संख्या दो में से एक है।

रोल मॉडल और मेंटरशिप से बदलेगी सोच

GEM टीम का मानना है कि लड़कियों को STEM में सफल महिलाओं को रोल मॉडल के रूप में देखने का अवसर मिलना चाहिए। इससे वे खुद भी ऐसे करियर का सपना देख पाएंगी। स्कूलों को चाहिए कि वे छात्राओं के लिए STEM क्लब शुरू करें, स्थानीय व्यवसायों से जुड़ाव बढ़ाएं और महिला प्रोफेशनल्स से मिलने के मौके उपलब्ध कराएं।

बदलाव की शुरुआत स्कूल से होनी चाहिए

यूनेस्को ने यह भी सिफारिश की है कि बदलाव की शुरुआत स्कूली शिक्षा से की जानी चाहिए। प्राथमिक स्तर पर लिंग-निरपेक्ष भाषा का इस्तेमाल हो, महिला विशेषज्ञों को कक्षा में आमंत्रित किया जाए और शिक्षकों को उनके भीतर मौजूद लैंगिक पूर्वाग्रहों से अवगत कराया जाए। इसके अलावा, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और STEM को लड़कियों की रुचियों से जोड़ने की भी आवश्यकता है।

STEM में लैंगिक असंतुलन समाज की समग्र प्रगति में बाधा

STEM में महिलाओं की कम भागीदारी केवल एक लैंगिक मुद्दा नहीं, बल्कि यह समाज की प्रगति को सीमित करने वाला एक बड़ा अवरोध है। अगर हमें तकनीकी रूप से समृद्ध और समावेशी भविष्य की ओर बढ़ना है, तो लड़कियों को बचपन से ही यह यकीन दिलाना होगा कि विज्ञान, तकनीक और गणित की दुनिया में उनकी भी उतनी ही जगह है जितनी किसी और की।

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