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22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने 23 अप्रैल को हुई बैठक में पांच बड़े फैसले लिए। इनमें सबसे बड़ा निर्णय सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का है। यह समझौता 1960 से लागू था, जिसके तहत पाकिस्तान को भारत से पानी मिलता था। अब इस पर रोक लगा दी गई है।
भारत के 5 बड़े फैसले:
सिंधु जल समझौते पर रोक: जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए ठोस और विश्वसनीय कदम नहीं उठाता, तब तक यह समझौता स्थगित रहेगा।
अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: कानूनी रूप से जो लोग इस चेक पोस्ट से भारत आ चुके हैं, उन्हें 1 मई से पहले वापस जाना होगा।
SAARC वीजा छूट योजना रद्द: पाकिस्तान के नागरिकों को वीजा छूट योजना के तहत भारत आने की अनुमति नहीं होगी। सभी वीजा रद्द कर दिए गए हैं और पाकिस्तानियों को 48 घंटे के भीतर भारत छोड़ना होगा।
उच्चायोग से सैन्य सलाहकारों की वापसी: दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात सभी रक्षा और सैन्य सलाहकारों को देश छोड़ना होगा। भारत भी अपने सलाहकारों को इस्लामाबाद से बुलाएगा।
कर्मचारियों की संख्या में कटौती: भारत और पाकिस्तान के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी। यह नियम 1 मई 2025 से लागू होगा।
इन फैसलों का असर:
खेती पर संकट: पाकिस्तान की 90% खेती सिंधु जल पर निर्भर है। 4.7 करोड़ एकड़ जमीन पर खेती होती है, जिससे ग्रामीण आबादी की जीविका चलती है।
बिजली उत्पादन पर असर: पाकिस्तान के मंगल और तारबेला डैम को पानी नहीं मिलेगा। इससे बिजली उत्पादन में 30% से 50% तक गिरावट हो सकती है।
व्यापार पर असर: अटारी बॉर्डर बंद होने से भारत-पाक व्यापार (2023-24 में 3,886 करोड़ रु.) रुक जाएगा।
यात्रा और इलाज पर असर: पाक नागरिक भारत में इलाज कराने आते हैं, उन्हें अब मुश्किल होगी।
राजनीतिक और डिप्लोमैटिक रिश्तों पर असर: सैन्य सलाहकारों की वापसी और कर्मचारियों की कटौती से दोनों देशों के रिश्ते न्यूनतम स्तर पर पहुंचेंगे।
सिंधु जल समझौते का इतिहास:
सिंधु नदी प्रणाली में 6 नदियां शामिल हैं: सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज।
1947 में बंटवारे के बाद पानी के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हुआ।
1960 में भारत और पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में सिंधु जल समझौते पर दस्तखत किए।
क्या भारत समझौते को पूरी तरह रद्द कर सकता है?
सिंधु जल समझौता एक स्थायी संधि है, जिसे एकतरफा रद्द नहीं किया जा सकता।
लेकिन 'वियना लॉ ऑफ ट्रीटीज' की धारा 62 के तहत भारत यह तर्क दे सकता है कि पाकिस्तान आतंकवाद के लिए इस पानी का गलत इस्तेमाल कर रहा है।
इसके लिए भारत को डैम, बैराज और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा, ताकि पानी रोका या मोड़ा जा सके।
भारत के प्रोजेक्ट्स:
पूर्वी नदियों पर प्रोजेक्ट्स: भाखड़ा नागल बांध, पोंग डैम, रंजीत सागर डैम, हरिके बैराज, इंदिरा नहर चालू हैं। शाहपुर कांडी प्रोजेक्ट, सतलुज-ब्यास लिंक और उझ डैम निर्माणाधीन हैं।
पश्चिमी नदियों पर प्रोजेक्ट्स: बगलीहार डैम और किशनगंगा प्रोजेक्ट चालू हैं। रतले और पाकल डुल प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं।
भारत-पाक जंग के बावजूद समझौता क्यों जारी रहा?
वर्ल्ड बैंक ने गारंटी दी थी और इसे एक ट्रांसबाउंड्री जल संधि माना जाता है।
युद्ध के समय भी इसे कायम रखा गया था क्योंकि पानी को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए।
भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को बचाने के लिए भी इसे कायम रखा गया था।
अब पाकिस्तान क्या कर सकता है?
पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक, संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों का रुख कर सकता है।
लेकिन पहलगाम हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता स्पष्ट होने से कोई भी देश खुलकर उसका समर्थन नहीं करेगा।
पाकिस्तान चीन की मदद की उम्मीद कर सकता है, लेकिन चीन ने भी पहलगाम हमले की निंदा की है।
भारत ने उठाया अहम कदम: पाकिस्तान को आतंकवाद रोकने का दबाव-
भारत के हालिया फैसले पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देते हैं कि अब आतंकवाद के समर्थन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सिंधु जल समझौते पर रोक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और जनजीवन पर गहरा असर डालेगी। भारत अब अपने हितों के अनुसार जल संसाधनों का उपयोग करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
Baten UP Ki Desk
Published : 24 April, 2025, 8:29 pm
Author Info : Baten UP Ki