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मध्य पूर्व एक बार फिर से दुनिया के सबसे संवेदनशील और अशांत क्षेत्रों में तब्दील हो चुका है। अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ हमास और इजरायल के बीच का संघर्ष अब नए मोर्चों पर फैल चुका है, और हाल ही में ईरान द्वारा इजरायल पर की गई मिसाइलों की बौछार ने हालात को और भी अधिक नाजुक बना दिया है। इस युद्ध की गूंज अब न सिर्फ गाजा और लेबनान तक सीमित है, बल्कि ईरान का सीधा हस्तक्षेप इस संघर्ष को और भी जटिल बना रहा है।
इजरायल पर 200 से अधिक मिसाइलों का हमला-
ईरान ने हाल ही में इजरायल पर एक बड़ा हमला करते हुए 200 से अधिक मिसाइलें दागी हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता, अयातुल्लाह अली खामेनेई, ने इस हमले को "इजरायल को समाप्त करने की दिशा में एक कदम" करार दिया है। उनका बयान क्षेत्रीय शांति के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर रहा है। इजरायल इस हमले का अभी तक सीधा जवाब नहीं दे पाया है, लेकिन उसकी तैयारी बड़े पैमाने पर जारी है। इजरायल को अब एक रणनीतिक दोराहे पर खड़ा देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि ईरान की यह आक्रामकता सिर्फ एक संकेत नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
क्या है 'ऑक्टोपस वॉर' की रणनीति ?
ईरान इजरायल को 'ऑक्टोपस वॉर' में उलझाने की कोशिश कर रहा है, जो एक बेहद जटिल युद्ध रणनीति है। इस युद्ध में इजरायल को सिर्फ एक मोर्चे पर नहीं, बल्कि अलग-अलग स्थानों से हमलों का सामना करना पड़ रहा है। इस रणनीति के तहत, इजरायल पर गाजा, लेबनान, इराक, यमन और सीरिया से लगातार हमले हो रहे हैं। इससे इजरायल को अपने विभिन्न सुरक्षा मोर्चों पर एक साथ ध्यान देने में दिक्कत आ रही है। यह स्थिति इजरायल की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पेश कर रही है, क्योंकि उसके लिए यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि वह अपने मौजूदा मोर्चों पर ध्यान दे या ईरान पर सीधा हमला करे।
आठ मोर्चों पर जूझता इजरायल-
इजरायल पर इस समय आठ अलग-अलग मोर्चों से हमले हो रहे हैं, जिससे उसकी सुरक्षा चुनौतियां बढ़ गई हैं। इनमें प्रमुख मोर्चे निम्नलिखित हैं:
रूस की भूमिका: हिज़्बुल्लाह को समर्थन-
इजरायल के लिए मुश्किलें और बढ़ गई हैं, जब यह दावा किया गया कि रूस अब इस संघर्ष में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो गया है। रूस पर आरोप है कि वह हिज़्बुल्लाह को ड्रोन और उन्नत हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। कहा जा रहा है कि रूस का यह कदम ईरान के दबाव में उठाया गया है, क्योंकि रूस और इजरायल के बीच पहले से ही यूक्रेन युद्ध को लेकर तनाव है। इजरायल द्वारा यूक्रेन को हथियार मुहैया कराने के बाद से रूस और इजरायल के बीच के रिश्तों में तनाव बढ़ गया था, और अब यह मध्य पूर्वी संघर्ष में खुलकर सामने आ रहा है।
क्या पड़ेगा वैश्विक प्रभाव?
मध्य पूर्व में चल रहा यह 'ऑक्टोपस वॉर' केवल इजरायल और ईरान के बीच का संघर्ष नहीं रह गया है। इसमें क्षेत्रीय ताकतों के साथ-साथ वैश्विक शक्तियों की भी भागीदारी हो रही है, जिससे यह युद्ध और भी अधिक जटिल होता जा रहा है। जहां इजरायल को अपनी सुरक्षा बनाए रखने के लिए कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ रही है, वहीं ईरान अपनी आक्रामक रणनीति के जरिए उसे कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। इस संघर्ष का क्षेत्रीय संतुलन और वैश्विक राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
अंततः, यह 'ऑक्टोपस वॉर' एक लंबे और कठिन संघर्ष की ओर संकेत कर रहा है, जिसमें न केवल इजरायल और ईरान, बल्कि पूरे मध्य पूर्व की स्थिरता दांव पर है। वैश्विक समुदाय को इस क्षेत्रीय तनाव पर नजर रखनी होगी, क्योंकि इसका असर विश्व राजनीति और सुरक्षा पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 13 October, 2024, 1:22 pm
Author Info : Baten UP Ki