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क्या केवल 5 लाख में मिली थी 2 हजार करोड़ की संपत्ति? जानिए यंग इंडियन और AJL की कहानी...

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'नेशनल हेराल्ड' मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 15 अप्रैल को एक अहम कदम उठाते हुए पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस चार्जशीट में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और पत्रकार सुमन दुबे के नाम शामिल हैं। मामला एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के जरिए कथित रूप से की गई आर्थिक अनियमितताओं से जुड़ा है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 25 अप्रैल की तारीख तय की है और ED से केस डायरी भी तलब की है। इस कार्रवाई के  होते ही कांग्रेस ने 17 अप्रैल को देशभर के ED कार्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन का ऐलान भी कर दिया। आइए इस लेख के जरिए जानते हैं इस मामले में क्या हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ... जैसे सभी जवाब।

15  अप्रैल को कोर्ट में क्या हुआ? — मनी लॉन्ड्रिंग केस ने पकड़ा गंभीर मोड़

इस केस में मंगलवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में कानूनी बहस और प्रक्रियात्मक गहराइयों का दिलचस्प मिश्रण देखने को मिला। कोर्टरूम में जैसे ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की नई चार्जशीट पेश हुई, स्पेशल जज (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह शिकायत PMLA, 2002 की धारा 3 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का स्पष्ट मामला है, जिसे धारा 70 के साथ जोड़ा गया है और यह धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध है।

हालांकि यह केस पहले से एडीशनल चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में विचाराधीन था, लेकिन जज गोगने ने साफ किया कि PMLA की धारा 44(1)(C) के अनुसार, इस मामले की सुनवाई उसी अदालत में होनी चाहिए जिसने मनी लॉन्ड्रिंग अपराध पर संज्ञान लिया है। यानी अब दोनों मामलों की सुनवाई एक ही क्षेत्राधिकार में, एक साथ होनी चाहिए — ताकि केस के तथ्यों में कोई टकराव न आए और न्याय प्रक्रिया सुसंगत रहे।

चार्जशीट से पहले ED की बड़ी कार्रवाई: जब्त की गई करोड़ों की संपत्ति

इस कानूनी हलचल से पहले ED ने आरोपियों की कथित "अपराध से अर्जित संपत्ति" को लेकर बड़ा एक्शन लिया था। 661 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति पर शिकंजा कसते हुए ED ने दिल्ली के प्रतिष्ठित हेराल्ड हाउस (5A, बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग), मुंबई के बांद्रा (ईस्ट) और लखनऊ के विशेश्वर नाथ रोड पर स्थित AJL की इमारतों पर नोटिस चस्पा किए। इन इमारतों को "अपराध की आय" बताकर एजेंसी ने इन्हें जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इतना ही नहीं — नवंबर 2023 में ED ने AJL के 90.2 करोड़ रुपये के शेयरों को भी अस्थायी रूप से कुर्क किया था, ताकि कथित आरोपी इन परिसंपत्तियों को न बेच सकें और न ही किसी तरह से साक्ष्य को नष्ट कर सकें।

क्या है पूरा मामला?

नेशनल हेराल्ड केस की नींव 2012 में पड़ी, जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) का अधिग्रहण अनियमित तरीके से किया। स्वामी का दावा है कि इस सौदे के पीछे मकसद था दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की लगभग 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर कब्जा करना।

नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ मिलकर की थी। अखबार की मालिकाना कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) थी। वर्ष 2011 में कांग्रेस पार्टी ने AJL की 90 करोड़ रुपये की देनदारियां अपने ऊपर लेते हुए एक नयी कंपनी यंग इंडियन लिमिटेड बनाई, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि शेष 24% हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज (अब दिवंगत), सुमन दुबे और सैम पित्रोदा के पास थी।

यंग इंडियन को कैसे मिला AJL का स्वामित्व?

कांग्रेस द्वारा 90 करोड़ रुपये का कर्ज देने के बाद, एजेएल के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को सौंप दिए गए। इसके बदले में यंग इंडियन को कांग्रेस का कर्ज चुकाना था, लेकिन पार्टी ने बाद में यह कर्ज भी माफ कर दिया। इससे यंग इंडियन को केवल 5 लाख रुपये में एक कंपनी के 99% शेयर मिल गए जिसकी संपत्ति हजारों करोड़ में थी।

ED के आरोप और जांच क्या कहते हैं?

प्रवर्तन निदेशालय ने इस पूरे सौदे को मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताया है। एजेंसी का दावा है कि यंग इंडियन के जरिए 2,000 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर कब्जा किया गया और करीब 988 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई। जांच में पता चला है कि एजेएल के पास देश के विभिन्न शहरों—दिल्ली, मुंबई, लखनऊ आदि में—661.69 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियाँ हैं। ईडी ने कहा कि यंग इंडियन को AJL में जो शेयर ट्रांसफर किए गए, वह 90.21 करोड़ रुपये की "अपराध आय" के अंतर्गत आते हैं।

क्या है कांग्रेस का पक्ष?

कांग्रेस पार्टी लगातार इस मामले को राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार देती रही है। पार्टी का कहना है कि 90 करोड़ की राशि AJL को चेक के जरिए दी गई थी, जिसमें से 67 करोड़ कर्मचारियों के वेतन में खर्च हुए, जबकि बाकी धन बिजली, किराया और भवन रखरखाव में। पार्टी का कहना है कि किसी राजनीतिक दल का कर्ज देना न तो गैरकानूनी है और न ही मुनाफा कमाने का कोई इरादा था। कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि यंग इंडियन एक "नॉट फॉर प्रॉफिट" कंपनी है और इसके सदस्य—सोनिया गांधी, राहुल गांधी—इससे कोई सैलरी, डिविडेंड या वित्तीय लाभ नहीं ले सकते, न ही वे इसके शेयर बेच सकते हैं।

आगे क्या?

अब सबकी नजरें 25 अप्रैल पर टिकी हैं, जब इस मामले में अगली सुनवाई होगी। यदि अदालत में आरोप साबित होते हैं, तो यह केस भारत की राजनीति में बड़ी हलचल मचा सकता है।

 

By Ankit Verma 

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