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(Special Story) भारत में इन दिनों चुनाव की चहुंओर चर्चा है। इसके बीच सबसे गरमा-गरम मुद्दा है चुनावी बॉण्ड। चुनावी बॉण्ड के जरिए ही राजनीतिक पार्टियां चंदा ले रही थीं। अब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित कर रद्द कर दिया है। पांच जजों की पीठ ने फैसला दिया कि चुनावी बॉण्ड योजना अनुच्छेद 19 1 (A) में वर्णित सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। इसकी वैधता को लेकर कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थीं। जिन पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया। तब से चुनावी भट्टी पर चढ़े राजनीतिक माहौल में और उबाल आ गया है। चुनावी बॉण्ड योजना नरेंद्र मोदी सरकार लेकर आई थी। इसलिए विपक्ष ने मोदी सरकार को आड़े हाथों ले रखा है। वहीं सरकार का तर्क है कि कैश डोनेशन का हिसाब-किताब नहीं मिल पाता था। इसलिए पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए चुनावी बॉण्ड स्कीम लाई गई।
आखिर है क्या चुनावी बॉण्ड-
चुनावी बॉण्ड योजना वित्तीय बिल (2017) में पेश किया गया था। इसे जनवरी 2018 में एनडीए सरकार ने अधिसूचित किया। यह योजना 29 जनवरी 2018 से प्रभाव में आई। चुनावी बॉण्ड एक प्रॉमिस नोट होता है जिसे कोई भी भारतीय नागरिक का कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की कुछ चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकती है। साथ ही अपनी पसंद के किसी भी पंजीकृत राजनीतिक दल को दान कर सकती है। इस योजना को सक्षमता प्रदान करने के लिए वित्त अधिनियम 2017, लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम 1951, आयकर अधिनियम 1961 और कंपनी अधिनियम 2013 में संशोधन के द्वारा राजनीतिक फंडिंग के स्रोत के रूप में अधिसूचित किया गया। प्रत्येक तिमाही के प्रारंभ में 10 दिनों की अवधि के लिए सरकार की तरफ से चुनावी बांण्ड की बिक्री के लिए उपलब्ध कराये जाते हैं। चुनावी बांण्ड की खरीद के लिए जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह के प्रथम 10 दिन तय किए गए।
बॉण्ड पर एक नजर
सुप्रीम कोर्ट की दलीलें-
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने फैसले में स्पष्ट कहा कि किसी राजनीतिक दल को वित्तीय योगदान देने से राजनीति और धन के मध्य संबंध स्थापित होगा और इससे एकदूसरे के प्रति उपकार की व्यवस्था हो जाएगी। दरअसल चुनावी बॉण्ड स्कीम में पता नहीं चल रहा था कि किसने कितने रुपए के बॉण्ड खरीदे हैं। बॉण्ड किसे दिए हैं ? सुप्रीम कोर्ट ने दानदाता को गुप्त रखने को सिरे से खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय के ये कारण बताए हैं-
SC ने लगाई थी SBI को फटकार-
इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 18 मार्च को एकबार फिर से SBI को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा है था कि SBI 21 मार्च तक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध कराए। सुप्रीम कोर्ट ने नए आदेश में उन यूनीक बॉन्ड नंबर्स के खुलासे का भी आदेश दिया, जिनके जरिए बॉन्ड खरीदने वाले और फंड पाने वाली राजनैतिक पार्टियों के लिंक का पता चलता हो।
Baten UP Ki Desk
Published : 20 March, 2024, 11:59 am
Author Info : Baten UP Ki