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भारत, जहां सालभर सूरज की किरणें बिखरी रहती हैं-वहां विटामिन डी की व्यापक कमी हैरान करती है। आईसीआरआईईआर की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, हर पांचवां भारतीय इस महत्वपूर्ण विटामिन की कमी से जूझ रहा है। यह एक "छुपी हुई महामारी" का रूप ले चुकी है, जो स्वास्थ्य के कई पहलुओं को प्रभावित कर रही है।
शहरीकरण और प्रदूषण: सूरज की राह में रोड़े
रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर भारत में विटामिन डी की कमी जहां 9.4% है, वहीं पूर्वी भारत में यह आंकड़ा 39% तक पहुंच गया है। कई शहरों में वायु प्रदूषण यूवीबी किरणों को त्वचा तक नहीं पहुंचने देता, जिससे शरीर विटामिन डी नहीं बना पाता। साथ ही, आधुनिक जीवनशैली – जैसे घर के अंदर रहना, स्क्रीन टाइम में बढ़ोतरी, और ढके कपड़े पहनना – स्थिति को और बिगाड़ रही है।
फोर्टिफिकेशन और सरकारी पहलें
सरकार ने इस संकट को पहचानते हुए कई जरूरी कदम उठाए हैं:
दूध और खाद्य तेल में विटामिन डी का फोर्टिफिकेशन
विटामिन डी को आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल करना
आईसीएमआर द्वारा सूरज के संपर्क में रहने के दिशा-निर्देश जारी करना
ये पहलें उम्मीद की एक किरण ज़रूर हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं।
49 करोड़ लोग प्रभावित – खतरे की घंटी
2022 में 'नेचर' जर्नल की एक रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि भारत में लगभग 49 करोड़ लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। यह समस्या सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है – पाकिस्तान, ट्यूनीशिया, अफगानिस्तान और कई अफ्रीकी देशों में भी स्थिति चिंताजनक है।
सिर्फ हड्डियों की नहीं, पूरे शरीर की ज़रूरत
विटामिन डी को अक्सर सिर्फ हड्डियों से जोड़ा जाता है, लेकिन इसकी कमी के बहुआयामी प्रभाव हो सकते हैं:
मांसपेशियों की कमजोरी
थकान और डिप्रेशन
दिल की बीमारियाँ और टाइप-2 डायबिटीज़
स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा
इम्यून सिस्टम की कमजोरी
अब भी समय है – सूरज को साथी बनाएं!
विटामिन डी की कमी से बचाव के लिए सबसे सस्ता और प्रभावी उपाय है – धूप में कुछ वक्त बिताना।
सुबह की हल्की धूप या शाम के समय थोड़ी देर सूरज की किरणों से नहाना न केवल विटामिन डी देगा, बल्कि आपकी समग्र सेहत को भी बेहतर बनाएगा।
Baten UP Ki Desk
Published : 11 April, 2025, 1:01 pm
Author Info : Baten UP Ki