बड़ी खबरें

बोनी-अनिल कपूर की मां निर्मल कपूर का निधन, 90 की उम्र में ली आखिरी सांस 7 घंटे पहले भारत ने पाकिस्तानी पीएम शरीफ का ब्लॉक किया यूट्यूब चैनल, 4 क्रिकेटरों के इंस्टाग्राम अकाउंट भी बंद 6 घंटे पहले IPL में गुजरात Vs हैदराबाद मैच:शुभमन गिल की लगातार तीसरी फिफ्टी 6 घंटे पहले

'एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस' से जूझ रहा है देश, 25 सालों में 3.9 करोड़ मौतों का खतरा!

Blog Image

अगर आपको लगता है कि एंटीबायोटिक दवाएं हर संक्रमण का इलाज हैं, तो यह खबर आपको चौंका सकती है। एक ताज़ा रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि भारत में साल 2019 में सिर्फ 8% बैक्टीरियल इंफेक्शन का ही सही इलाज हो पाया। यानी हर 100 में से केवल 8 मरीजों को ही सही और प्रभावी इलाज मिला। यह रिपोर्ट प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज में प्रकाशित हुई है। इसमें बताया गया है कि भारत सहित 8 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बैक्टीरियल इंफेक्शन के 15 लाख से ज्यादा मामले सामने आए, जिनमें से 10 लाख से अधिक मामले केवल भारत में दर्ज किए गए।

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस: एक चुपचाप बढ़ता संकट

अध्ययन के अनुसार, इन संक्रमणों का इलाज करने वाली शक्तिशाली एंटीबायोटिक दवा कार्बापेनम के प्रति भी बैक्टीरिया अब प्रतिरोधी होते जा रहे हैं। यह दवा आमतौर पर अस्पतालों में गंभीर संक्रमणों के इलाज में दी जाती है, लेकिन अब इसका असर भी घटता जा रहा है।

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस यानी दवाओं का असर न करना, एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर यही स्थिति बनी रही तो अगले 25 सालों में दुनिया भर में 3.9 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है – जिनमें अधिकांश मौतें दक्षिण एशिया में होंगी।

दवाएं खरीदीं, फिर भी इलाज अधूरा

रिपोर्ट के मुताबिक, 15 लाख संक्रमणों में से केवल 1.03 लाख मरीजों को ही उपचार की दवाएं दी गईं। भारत ने सबसे ज्यादा यानी 83,000 दवाएं खरीदीं, जो कुल खरीदी गई दवाओं का 80.5% थीं, फिर भी केवल 7.8% मरीजों को ही प्रभावी इलाज मिल पाया। सबसे अधिक इस्तेमाल हुई दवा टाइगेसाइक्लिन थी, जो गंभीर संक्रमणों में अस्पतालों में दी जाती है। लेकिन इसका असर भी सीमित हो गया है।

क्या है समाधान?

शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हम अब भी नहीं चेते, तो यह समस्या एक महामारी का रूप ले सकती है। इसके लिए ज़रूरी है कि:

  • एंटीबायोटिक दवाओं का विवेकपूर्ण उपयोग हो

  • स्वास्थ्य नीति में सुधार किया जाए

  • डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं का सेवन रोका जाए

  • और नए एंटीबायोटिक विकल्पों पर शोध और निवेश को बढ़ावा दिया जाए

जब दवा बन जाए दुश्मन: एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की खतरनाक सच्चाई

यह रिपोर्ट केवल आंकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि एक गहरी चेतावनी है – अगर हम आज भी बैक्टीरियल इंफेक्शन और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को हल्के में लेंगे, तो कल इसका अंजाम जानलेवा हो सकता है। क्या आपकी दवा आपके दुश्मन में बदल रही है? अब समय आ गया है गंभीरता से सोचने का।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें