अगर भारत में अचानक अनाज की कमी हो जाए, तो देश की खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाला संगठन है भारतीय खाद्य निगम (FCI)। इसकी स्थापना 1964 में संसद द्वारा बनाए गए 'फूड कॉरपोरेशन एक्ट' के तहत हुई थी। FCI का मुख्य उद्देश्य है किसानों के हितों की रक्षा करना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पूरे देश में अनाज का वितरण करना और खाद्य सुरक्षा के लिए पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करना। यह सुनिश्चित करता है कि देश में अनाज की कमी की स्थिति में भी पहले से तैयारी हो।
किसानों को उचित मूल्य और गरीबों तक खाद्यान्न पहुँचाना-
FCI न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से अनाज खरीदता है ताकि उन्हें उचित मूल्य मिले और वे मजबूरी में कम दाम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर न हों। इसके तहत खरीदी गई गेहूँ और धान जैसी फसलों को गरीब तबके के लोगों तक पहुँचाया जाता है, जिससे हर व्यक्ति के लिए भोजन सुलभ हो सके। साथ ही, अगर देश में कहीं प्राकृतिक आपदा आती है या किसी क्षेत्र में भोजन की कमी होती है, तो FCI राहत सामग्री के रूप में अनाज भेजता है।
खाद्य सुरक्षा की चुनौतियाँ और कुपोषण का बढ़ता स्तर-
भारत में 19.5 करोड़ लोग कुपोषण का सामना कर रहे हैं, जिनमें महिलाओं और बच्चों की संख्या अधिक है। सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कुपोषण कम करने का प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद कई लोग, खासकर ग्रामीण और कमजोर तबके, इन योजनाओं से वंचित रह जाते हैं। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र की धीमी वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण और खादों के असंतुलित उपयोग जैसी समस्याएँ भी खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन गई हैं।
FCI की आर्थिक स्थिति और CCEA द्वारा नई मदद-
हाल के वर्षों में FCI को कार्यशील पूंजी की कमी का सामना करना पड़ा है, जिससे कई किसानों का भुगतान लंबित हो गया। इसी को देखते हुए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने FCI के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में ₹10,700 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। इस राशि से FCI अपने भंडारण और वितरण कार्यों को सुचारू रूप से चला सकेगा और किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य समय पर मिल सकेगा।
FCI का भंडारण और वितरण नेटवर्क-
देशभर में FCI के पास अनाज भंडारण के लिए कई बड़े गोदाम और साइलो हैं। इन भंडारगृहों में अनाज सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाता है और जब जरूरत पड़ती है, तो इसे विभिन्न क्षेत्रों में भेजा जाता है। किसी क्षेत्र में अनाज की कमी होने पर वहाँ FCI से अनाज भेजा जाता है, ताकि हर क्षेत्र में खाद्यान्न की उपलब्धता बनी रहे। इसके अतिरिक्त, FCI देश के रक्षा और अर्धसैनिक बलों के लिए भी अनाज की आपूर्ति करता है और आपदा के समय राहत कार्यों में मदद करता है।
शांता कुमार समिति की सिफारिशें और सुधार के कदम-
2014 में FCI में सुधार के लिए शांता कुमार समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, जिनमें से प्रमुख हैं:
- खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों की संख्या को 67% से घटाकर 40% करना।
- निजी कंपनियों को अनाज की खरीद और भंडारण की अनुमति देना।
- MSP और खाद्य सब्सिडी को सीधे किसानों और लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर करना।
- FCI केवल उन्हीं राज्यों में खाद्यान्न की खरीद में शामिल हो, जहाँ यह आवश्यक है, जबकि अन्य राज्यों में यह काम राज्य सरकार द्वारा किया जाए।
FCI की कार्यप्रणाली और उसके व्यापक महत्व-
FCI का काम सिर्फ अनाज की खरीद तक सीमित नहीं है; इसके लिए कई नीतियाँ लागू की गई हैं, जिनसे भंडारण, वितरण और मूल्य स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है। नई स्वीकृत राशि से FCI को अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिसका सीधा फायदा हमारे किसानों और आम जनता को मिलेगा। भारत में खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने और किसानों की मदद करने में FCI की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार की नई आर्थिक सहायता से इस संगठन को नई ताकत मिलेगी और देश की खाद्य सुरक्षा और भी मजबूत होगी।