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सरोगेसी: उम्मीद की किरण या विवाद का कारण?

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सरोगेसी, एक ऐसी प्रथा, जो किसी के लिए संतान की खुशी लाने का माध्यम है, तो किसी के लिए मानवीय गरिमा और अधिकारों का सवाल। जब किसी कपल को संतान प्राप्ति में समस्या होती है, तो वे सरोगेसी का सहारा लेते हैं। इसमें एक महिला, जिसे सरोगेट मां कहा जाता है, कपल के लिए बच्चा जन्म देती है।

सरोगेसी क्या है?

सरोगेसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:

  1. नॉन-कमर्शियल सरोगेसी - इसमें सरोगेट मां केवल मदद करती है और इसके बदले उसे केवल मेडिकल खर्च दिया जाता है।
  2. कमर्शियल सरोगेसी - इसमें सरोगेट मां को आर्थिक मुआवजा दिया जाता है।

इस प्रक्रिया में आमतौर पर इंविट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक का उपयोग होता है, जिसमें अंडाणु और शुक्राणु को लैब में मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है और उसे सरोगेट मां के गर्भ में रखा जाता है।

इतिहास में सरोगेसी का जिक्र

सरोगेसी का इतिहास बेबीलोन सभ्यता से जुड़ा है। आधुनिक सरोगेसी की शुरुआत 1970 के दशक में अमेरिका में हुई, जब आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के जरिए एक कपल ने इसका उपयोग किया। इसके बाद से यह प्रक्रिया दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई।

पोप फ्रांसिस का बयान और इटली का प्रतिबंध

हाल ही में कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस ने सरोगेसी को मां और बच्चे की गरिमा के खिलाफ बताया। उन्होंने इसे अजन्मे बच्चों की तस्करी जैसा करार दिया और इसके लिए यूनिवर्सल बैन की मांग की। इसी संदर्भ में इटली ने सरोगेसी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इटली के नागरिक अब विदेशों में जाकर भी सरोगेट मां का सहारा नहीं ले सकते। प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सरकार ने इसे शादी की पवित्रता और मानव गरिमा के खिलाफ बताया। हालांकि, विपक्ष इसे संतान पाने की इच्छा रखने वाले दंपतियों के साथ अन्याय मान रहा है।

यूरोप में सरोगेसी पर कड़े कानून

यूरोप के अधिकतर देशों में सरोगेसी पर प्रतिबंध है:

  • जर्मनी, फ्रांस और स्पेन - पूरी तरह से बैन।
  • यूनाइटेड किंगडम - केवल नॉन-कमर्शियल सरोगेसी की अनुमति।
  • स्वीडन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड - कमर्शियल सरोगेसी पर रोक।

हालांकि, यूक्रेन और मैक्सिको जैसे देशों में सरोगेसी का बाजार फल-फूल रहा है। यूक्रेन में 2023 में ही 1,000 से अधिक बच्चे सरोगेसी के जरिए पैदा हुए।

भारत में सरोगेसी का कानून

भारत में सरोगेसी को लेकर 2021 में सरोगेसी (रेगुलेशन) अधिनियम लागू किया गया। इसके तहत:

  • कमर्शियल सरोगेसी पूरी तरह से बैन है।
  • केवल मदद के लिए सरोगेसी की अनुमति है।
  • सरोगेट मां करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए, जिसकी उम्र 25 से 35 वर्ष हो और जिसके पास पहले से एक बच्चा हो।
  • विदेशी नागरिक भारत में सरोगेसी नहीं करा सकते।

समाज और सरकार के लिए सवाल

सरोगेसी के समर्थक इसे संतानहीन दंपतियों के लिए वरदान मानते हैं, जबकि आलोचकों का कहना है कि यह मां और बच्चे की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरोगेसी पैरेंट्स के अधिकारों की रक्षा करती है या मानवीय गरिमा के खिलाफ जाती है? यह एक ऐसा विषय है, जिस पर हर देश को अपनी सामाजिक, नैतिक और कानूनी प्राथमिकताओं के आधार पर विचार करना होगा।

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