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सुबह उठें और शरीर सुन्न लगे! ये कौन सी बीमारी है? नया बैक्टीरिया बना है बढ़ते मामलों की वजह

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क्या हो अगर आप सुबह उठें और पाएँ कि आपके हाथ-पैर सुन्न पड़ चुके हैं? धीरे-धीरे इतनी कमजोरी आ जाए कि हिलना-डुलना तक मुश्किल हो जाए? यह किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) नामक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी की वास्तविकता है, जो इन दिनों महाराष्ट्र में तेजी से फैल रही है। अब तक राज्य में 160 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है।

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम?

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक रेयर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो 78,000 में से किसी एक व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। यह बीमारी तब होती है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) गलती से अपनी ही नसों (Nerves) पर हमला कर देती है। इससे नसों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और शरीर के अंग सुन्न पड़ने लगते हैं।

GBS के प्रमुख लक्षण:

  • हाथ-पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी महसूस होना
  • मांसपेशियों की कमजोरी
  • चलने-फिरने में कठिनाई
  • गंभीर मामलों में पूरी तरह से हिलने-डुलने में असमर्थता

महाराष्ट्र में अचानक क्यों बढ़ रहे हैं GBS के मामले?

विशेषज्ञों का मानना है कि GBS अक्सर बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के बाद होता है। इस बार महाराष्ट्र में इस प्रकोप का सबसे बड़ा संदिग्ध Campylobacter jejuni नामक बैक्टीरिया है।

  •  यह बैक्टीरिया गैस्ट्रोइंटेराइटिस (मतली, उल्टी, दस्त) का कारण बनता है, जो GBS के पहले के लक्षण हो सकते हैं।
  • दुर्लभ मामलों में, ज़िका वायरस, कुछ COVID-19 वैक्सीन रिएक्शन, या श्वसन संक्रमण (Respiratory Infection) भी GBS को ट्रिगर कर सकते हैं।

भारत में GBS का इतिहास

इस बीमारी की खोज पहली बार 1916 में हुई थी, जब फ्रांस के दो सैनिक अचानक लकवे का शिकार हो गए थे। भारत में GBS कोई नया नहीं है! 2014-2019 के बीच बेंगलुरु स्थित NIMHANS संस्थान ने 150 मरीजों का अध्ययन किया था, जिसमें 79% मामलों में किसी बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण पाया गया था।

क्या GBS संक्रामक है?

नहीं! GBS किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता, लेकिन दूषित पानी और अधपका मांस इसके प्रमुख कारण बन सकते हैं।

कैसे करें बचाव?

✅ साफ और ताजा भोजन करें।
✅ अधपका मांस, चिकन या मटन खाने से बचें।
✅ केवल उबला हुआ पानी पिएं।
✅ दस्त, उल्टी या कमजोरी महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

क्या है इसका इलाज?

GBS का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन Plasma Exchange (Plasmapheresis) और Intravenous Immunoglobulin (IVIG) जैसी तकनीकों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जल्दी पहचान और उपचार से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है।

बड़ा सवाल: महाराष्ट्र में GBS के मामलों में वृद्धि क्यों?

  • क्या पुणे और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में पानी दूषित हो गया है?
  • क्या लोगों ने कहीं अधपका मांस खाया है?
  • या फिर यह किसी नए बैक्टीरिया का म्यूटेशन है, जो पहले से अधिक खतरनाक हो चुका है?

स्वास्थ्य विभाग इन सवालों के जवाब खोजने में जुटा है। इस बीच, नागरिकों को सतर्क रहने और बचाव के उपाय अपनाने की सख्त जरूरत है।

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