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दवा के नाम पर मार्केट में बिक रहा ज़हर? CDSCO की जांच में खुला बड़ा स्कैम!

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देशभर में दवाओं के लाइसेंस देने की प्रक्रिया पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की ताजा जांच रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है—भारतीय बाजार में बिना वैज्ञानिक जांच और नियमों को दरकिनार कर करीब तीन दर्जन प्रतिबंधित दवाएं बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। इन दवाओं का इस्तेमाल बुखार, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और फैटी लिवर जैसी आम बीमारियों के इलाज में किया जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक ये दवाएं स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं।

क्या है पूरा मामला?

जांच में सामने आया कि देश के कई राज्यों में फार्मा कंपनियों को बिना आवश्यक जांच और मंजूरी के ही फिक्स्ड डोज़ कॉम्बिनेशन (FDC) दवाओं के लाइसेंस जारी कर दिए गए। FDC यानी ऐसी दवाएं जिनमें दो या उससे अधिक सक्रिय तत्व मिलाकर एक निश्चित खुराक तैयार की जाती है। बिना वैज्ञानिक मूल्यांकन के जारी किए गए ये लाइसेंस अब देशभर के मरीजों की सेहत को खतरे में डाल रहे हैं।

राज्य सरकारों की लापरवाही पर केंद्र सख्त

जांच में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, जब इन कंपनियों को नोटिस भेजा गया तो उन्होंने जवाब में कहा कि उन्हें ये लाइसेंस संबंधित राज्य प्राधिकरण से मिले हैं, इसलिए वे किसी नियम का उल्लंघन नहीं कर रहे। यह जवाब मिलने के बाद CDSCO ने 12 से अधिक राज्यों की जांच शुरू की, जहां से ऐसे लाइसेंस जारी किए गए थे। चौंकाने वाली बात यह रही कि इनमें से कई राज्यों ने नियमों के बावजूद दवाओं की सुरक्षा और प्रभाव की जांच तक नहीं की थी।

ड्रग कंट्रोलर ने जताई नाराजगी

भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने इस मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। 11 अप्रैल को जारी आदेश में उन्होंने कहा कि,

"बिना वैज्ञानिक मूल्यांकन के दवाओं का लाइसेंस देना, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है।"

उन्होंने सभी राज्यों के औषधि नियंत्रकों से अपने लाइसेंसिंग प्रोसेस की समीक्षा करने और नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा है।

35 से अधिक दवाओं के लाइसेंस रद्द

CDSCO ने राज्यों को निर्देश के साथ एक सूची जारी की है, जिसमें लगभग 35 प्रतिबंधित FDC दवाएं शामिल हैं। इन सभी दवाओं के लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द करने और कंपनियों से लाइसेंस सरेंडर करने को कहा गया है।

मरीजों की जान से खिलवाड़

विशेषज्ञों का कहना है कि इन दवाओं का बिना उचित परीक्षण के उपयोग मरीजों में दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकता है, या फिर दूसरे गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को जन्म दे सकता है। कुछ मामलों में दवा के सक्रिय तत्व एक-दूसरे के प्रभाव को बिगाड़ सकते हैं, जिससे इलाज के बजाय नुकसान होता है।

सरकार की अगली कार्रवाई पर नज़र

अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या राज्य सरकारें इन निर्देशों का सख्ती से पालन करेंगी और क्या दोषी अधिकारियों और कंपनियों पर कोई कार्रवाई होगी। अगर आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो उसके संयोजन की जानकारी अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से जरूर लें। किसी भी नई दवा को लेने से पहले उसकी विश्वसनीयता और प्रमाणिकता की जांच करना बेहद जरूरी है।

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