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जलवायु परिवर्तन का खतरा अब केवल औसत तापमान में वृद्धि तक सीमित नहीं रहा है। एक ताजा वैश्विक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि दुनिया के कई हिस्सों में अब मौसम के मिजाज में तेजी से आने वाले अप्रत्याशित बदलाव-जिन्हें वैज्ञानिकों ने "रैपिड टेम्परेचर फ्लिप्स" कहा है-नई चुनौती बनकर उभर रहे हैं। इन तापमान झटकों से न केवल मानव स्वास्थ्य, बल्कि कृषि, पारिस्थितिकी और बुनियादी ढांचे पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
60% धरती पर बढ़े मौसमी झटके
चीन, अमेरिका और कनाडा के विभिन्न शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में 1961 से 2023 तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि बीते छह दशकों में पृथ्वी के 60 फीसदी से अधिक हिस्से में गर्मी और सर्दी के बीच तापमान में अचानक बदलाव की घटनाएं बढ़ी हैं। यह अध्ययन प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।
स्वास्थ्य और कृषि पर बड़ा असर
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तापमान बेहद कम समय में तेज गर्मी से कड़ाके की ठंड या ठंड से गर्मी में बदलता है, तो जीव-जंतुओं और इंसानों के लिए इससे सामंजस्य बैठाना मुश्किल हो जाता है। इससे हीट स्ट्रोक, हाइपोथर्मिया जैसे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं और कृषि चक्र भी गड़बड़ा जाते हैं। मार्च 2012 में उत्तर अमेरिका में तापमान सामान्य से 10 डिग्री सेल्सियस अधिक बढ़ने के बाद कुछ ही दिनों में 5 डिग्री गिर गया था, जिससे फसलों को भारी नुकसान हुआ।
विकासशील देश सबसे अधिक प्रभावित
अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि यदि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन एसएसपी 5–8.5 या एसएसपी 3–7.0 जैसे उच्च परिदृश्यों के तहत तेज़ी से बढ़ता रहा, तो सदी के अंत तक तापमान में अचानक बदलाव की घटनाएं दोगुनी से भी अधिक हो सकती हैं। खासतौर पर अफ्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण अमेरिका जैसे विकासशील क्षेत्रों में यह खतरा वैश्विक औसत से चार से छह गुना अधिक हो सकता है।
जब फसलें और जनजीवन प्रभावित हुए
अप्रैल 2021 में यूरोप में वसंत की गर्मी के बीच अचानक से ठंड लौट आई, जिससे फसलों को भारी नुकसान हुआ। इसी तरह अमेरिका की रॉकी पर्वत श्रृंखला में भीषण गर्मी के बाद तापमान में 20 डिग्री से अधिक गिरावट दर्ज की गई, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हुई और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
अनियंत्रित उत्सर्जन से बढ़ेगा मौसम का कहर
इस अध्ययन ने स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब अधिक जटिल और खतरनाक रूप ले चुका है। यदि वैश्विक तापमान वृद्धि और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर शीघ्र नियंत्रण नहीं पाया गया, तो आने वाले दशकों में दुनिया को और अधिक गंभीर जलवायु झटकों का सामना करना पड़ सकता है। क्या आप चाहेंगे कि इस समाचार लेख के लिए एक इन्फोग्राफिक या वीडियो स्क्रिप्ट भी तैयार कर दूं?
Baten UP Ki Desk
Published : 30 April, 2025, 1:53 pm
Author Info : Baten UP Ki