महाकुंभ के श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाने के लिए रेलवे ने एक नई और विशेष रंगीन टिकट प्रणाली पेश की है। यह पहल यात्रियों के मार्गदर्शन और गंतव्य तक पहुंच को सरल बनाने के लिए शुरू की गई है, जिससे महाकुंभ के दौरान रेल यात्रा और भी ज्यादा सुव्यवस्थित और सुरक्षित हो सके। उत्तर रेलवे के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, कुलदीप तिवारी के अनुसार, इस रंगीन टिकट प्रणाली का मुख्य उद्देश्य भीड़ प्रबंधन को प्रभावी तरीके से करना है।
कलर कोडेड टिकट: सही मार्ग की पहचान आसान
रंगीन टिकट प्रणाली से प्रत्येक यात्री के गंतव्य को स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकेगा, जिससे उन्हें अपने ट्रेन, प्लेटफॉर्म और आश्रय स्थल तक पहुंचने में कोई भ्रम नहीं होगा। रेलवे द्वारा जारी किया गया हर टिकट एक विशिष्ट रंग में होगा, जो यात्रा मार्ग और आश्रय स्थल की पहचान करेगा।
- पीला रंग: वाराणसी और जौनपुर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए पीला रंग निर्धारित किया गया है। ये यात्री गेट नंबर 2 से प्रवेश करेंगे और पीले रंग के आश्रय नंबर 2 में जाएंगे।
- हरा रंग: लखनऊ की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए हरे रंग का टिकट रहेगा। ये यात्री गेट नंबर 3 से प्रवेश करेंगे और हरे रंग के आश्रय नंबर 3 में जाएंगे।
- नीला रंग: अयोध्या जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए नीले रंग की टिकट होगी। ये यात्री गेट नंबर 3 से प्रवेश करेंगे और नीले रंग के आश्रय नंबर 4 में जाएंगे।
दस करोड़ श्रद्धालुओं का स्वागत: रेलवे की विशेष तैयारी
महाकुंभ के दौरान रेलवे का अनुमान है कि करीब दस करोड़ लोग रेल मार्ग से यात्रा करेंगे। ऐसे में रेलवे ने प्रयागराज के सभी प्रमुख स्टेशनों पर इस विशेष व्यवस्था के तहत तैयारी शुरू कर दी है। रंगीन टिकटों के माध्यम से न केवल यात्रा को सुविधाजनक बनाया जाएगा, बल्कि भीड़ और यात्री प्रवाह को नियंत्रित करना भी आसान होगा।