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देश की 3 करोड़ से ज्यादा किराना दुकानों को संकट में डाल रहे हैं 'डार्क स्टोर्स'! CAIT करेगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन

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देशभर के 9 करोड़ से अधिक व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) अब ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी में है। संगठन ने 16 से 18 मई के बीच नई दिल्ली और वृंदावन में एक तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य इन कंपनियों की कथित अनैतिक और अवैध प्रथाओं के खिलाफ एकजुट होकर रणनीतिक आंदोलन की रूपरेखा तैयार करना है।

डार्क स्टोर्स से किराना व्यापार को खतरा

कैट का कहना है कि अमेजन, फ्लिपकार्ट, ब्लिंकिट, स्विगी, इंस्टामार्ट, जेप्टो जैसी विदेशी निवेश से संचालित ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियां 'डार्क स्टोर' मॉडल के जरिए देश के 3 करोड़ से अधिक पारंपरिक किराना दुकानों की आजीविका को संकट में डाल रही हैं। इन कंपनियों पर FDI (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) नीतियों के उल्लंघन, भारी डिस्काउंट के नाम पर बाजार को बिगाड़ने और चुनिंदा विक्रेताओं को फायदा पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

कंपनियों पर 'नई ईस्ट इंडिया कंपनी' जैसा आरोप

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया ने इन कंपनियों को "आधुनिक युग की ईस्ट इंडिया कंपनी" करार देते हुए आरोप लगाया कि इनका मकसद देश के छोटे खुदरा कारोबार को खत्म कर बाजार पर एकाधिकार स्थापित करना है। उन्होंने कहा, "ये कंपनियां एफडीआई का उपयोग बुनियादी ढांचे के निर्माण के बजाय घाटा पूरा करने और गहरी छूट देने के लिए कर रही हैं, जो स्पष्ट रूप से नीति का उल्लंघन है।"

500 शहरों में होगा आंदोलन

कैट चेयरमैन बृज मोहन अग्रवाल ने बताया कि संगठन ने पहले ही एक विस्तृत श्वेत पत्र सरकार को सौंपा है, जिसमें इन कंपनियों की अनियमितताओं और बाज़ार में उनकी अनुचित बढ़त पर चिंता जताई गई है। आगामी सम्मेलन में देश के 100 से अधिक प्रमुख व्यापारिक नेता शामिल होंगे और रणनीतिक चिंतन के जरिए यह तय करेंगे कि 500 से अधिक शहरों में आंदोलन किस प्रकार से संचालित किया जाएगा।

क्या है सम्मेलन का एजेंडा?

  • 16 मई: नई दिल्ली में एक दिवसीय सम्मेलन

  • 17-18 मई: वृंदावन में चिंतन शिविर

  • सम्मेलन समापन: एकीकृत राष्ट्रीय आंदोलन की घोषणा और मांग – या तो कानून मानें या देश छोड़ें।

कैट का कहना है कि अब समय आ गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियां भारत के प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 और एफडीआई नियमों का पालन करें। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो देश का पारंपरिक खुदरा व्यापार समाप्त हो सकता है। CAIT के इस आह्वान से देशभर में एक नया व्यापारी आंदोलन शुरू होने की संभावना है, जो सरकार पर नियामक हस्तक्षेप के लिए दबाव बना सकता है। यह देखना अहम होगा कि आने वाले दिनों में सरकार और नियामक संस्थाएं इस पर क्या रुख अपनाती हैं।

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