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अब इस नए नाम से जाना जाएगा 'पोर्ट ब्लेयर', स्वतंत्रता के लिए बलिदानों की मूक गवाह रही है ये जगह

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केंद्र सरकार ने हाल ही में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करने की घोषणा की है। इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स के माध्यम से दी। इस नाम परिवर्तन को लेकर देश में एक नई चर्चा शुरू हो गई है, क्योंकि यह बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संकल्प से प्रेरित है, जिसके तहत वे देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्त कर रहे हैं। गृह मंत्री ने अपने पोस्ट में लिखा, “देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और नया नाम-

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई नायकों से जुड़ा हुआ है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस द्वीप पर सबसे पहले 1943 में तिरंगा फहराया था, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसके साथ ही, अंडमान के सेलुलर जेल का भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय स्थान है, जहां वीर सावरकर और अन्य क्रांतिकारी सेनानी अंग्रेज़ों के खिलाफ संघर्ष करते हुए कैद रहे थे। इस जेल को काला पानी के नाम से जाना जाता था, और यह भारतीय स्वतंत्रता के लिए दिए गए बलिदानों की एक मूक गवाह रही है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की गौरवशाली ऐतिहासिक धरोहर और स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय योगदान को समर्पित है। गृह मंत्री अमित शाह ने अपने बयान में इस बात को स्पष्ट किया कि यह बदलाव केवल नाम का नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और उससे जुड़े महान नायकों को सम्मान देने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा, "यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा मां भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है।"

चोल साम्राज्य से वर्तमान तक-

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का इतिहास न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है, बल्कि यह द्वीप चोल साम्राज्य के समय से ही एक महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा रहा है। चोल साम्राज्य के समय में यह द्वीप भारतीय समुद्री व्यापार और सैन्य रणनीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था। चोल राजाओं की नौसेना ने यहां से दूर-दूर तक समुद्री अभियान चलाए और इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस द्वीप की भौगोलिक स्थिति के कारण यह भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग और सैन्य अड्डा रहा है। आज, यह द्वीप भारतीय सेना और नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक केंद्र बना हुआ है। इसके अलावा, हाल के वर्षों में, यह क्षेत्र पर्यटन और विकास के दृष्टिकोण से भी तेजी से उभर रहा है। गृह मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह द्वीप अब देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है।

 नाम परिवर्तित करने का महत्व-

पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय केवल एक प्रतीकात्मक बदलाव नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा संदेश छिपा है। यह नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले सभी नायकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम में ‘विजय’ का उल्लेख भारतीय स्वतंत्रता की उस महान गाथा को दर्शाता है, जिसमें लाखों भारतीयों ने अपने प्राणों की आहुति दी। यह नया नाम न केवल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा।

पिछले कुछ वर्षों में देशभर के कई स्थानों के बदले नाम-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में देशभर में कई स्थानों के नाम बदले हैं, जो अंग्रेजी शासन के दौरान या उससे पहले के समय से चले आ रहे थे। इसका उद्देश्य उन प्रतीकों को हटाना है जो किसी न किसी रूप में भारत के उपनिवेशवाद से जुड़े रहे हैं। ऐसे में ‘श्री विजयपुरम’ नाम एक सकारात्मक और गौरवपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल इस द्वीप के इतिहास को संरक्षित करता है, बल्कि इसके भविष्य को भी नई दिशा देता है।

स्वतंत्रता संग्राम और पर्यटन-

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं, और इसके साथ ही यह क्षेत्र अब पर्यटन के लिए भी एक आकर्षक गंतव्य बन गया है। सेलुलर जेल, जिसे काला पानी के नाम से भी जाना जाता है, पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यह जेल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय क्रांतिकारियों के बलिदान का प्रतीक है। अब, जब इस द्वीप का नाम ‘श्री विजयपुरम’ किया गया है, तो यह न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को उजागर करेगा, बल्कि देश और विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी यह द्वीप अधिक आकर्षक बन जाएगा। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य, समुद्री जीवन और ऐतिहासिक धरोहर पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं।

आने वाले वर्षों में विकास की दिशा-

‘श्री विजयपुरम’ का नामकरण एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। इसके माध्यम से न केवल ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित किया जा रहा है, बल्कि यह क्षेत्र देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हो रहा है। सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिनमें पर्यटन, रक्षा, और आर्थिक विकास शामिल हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की भौगोलिक स्थिति इसे भारतीय समुद्री व्यापार और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाती है। आने वाले वर्षों में, यहां के बंदरगाहों और नौसैनिक अड्डों को और अधिक विकसित किया जाएगा, ताकि यह क्षेत्र भारतीय रक्षा और आर्थिक हितों के लिए और अधिक योगदान दे सके।

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