बड़ी खबरें
(Special Story) लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पांच राज्यों के नतीजे आए हैं जिनमें से चार राज्यों में सीएम का शपथ ग्रहण भी हो चुका है। इस बीच एक बार फिर से विपक्ष ने अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने के राग को तेज कर दिया। दरअसल, लखनऊ में सपा कार्यालय के बाहर एक होर्डिंग लगाई गई है। जिसमें लिखा गया है कि 'ईवीएम हटाओ और देश बचाओ', 'ईवीएम हटाओ बैलट लाओ। बता दें कि यह होर्डिंग समाजवादी युवाजन सभा के पूर्व प्रदेश सचिव आशुतोष सिंह ने लगवाई है। उनका कहना है कि अमेरिका की तरह बैलेट पर भारत में भी चुनाव होने चाहिए।
राजनीतिक दलों की EVM पर अटकी गाड़ी-
इतना ही नहीं कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव दिलीप कुमार निषाद ने केंद्रीय चुनाव आयोग को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 80 सीटों पर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की है। पत्र में दिलीप ने हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव का हवाला भी दिया है। उन्होंने पत्र में लिखा कि मध्य प्रदेश में 40 प्रतिशत, राजस्थान में 39 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 42 प्रतिशत और तेलंगाना में 39 प्रतिशत मतदाताओं ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। दूसरी ओर भाजपा को 37 प्रतिशत वोट मिले। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनी। तीन राज्यों में भाजपा की सरकार है।
प्रदेश सचिव दिलीप 80 सीटों पर की बैलेट की मांग-
मतदाताओं से लेकर राजनीतिक दल तक ईवीएम पर सवाल खड़े कर रहे हैं। पूर्व सीएम मायावती एवं पूर्व सीएम अखिलेश यादव तमाम दलों के नेताओं ने सवालिया निशान खड़ा किया। यह जनतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है। दिलीप ने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक है। ईवीएम को लेकर लोगों में संदेह की स्थिति है जिसको दूर करने के लिए प्रयोग के तौर पर कम से कम उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर बैलेट पेपर पर चुनाव कराया जाना चाहिए। उनकी मांग का आल इंडिया कांग्रेस कामेटी के सदस्य व पूर्व लोकसभा प्रत्याशी मधुसूदन त्रिपाठी , प्रदेश महासचिव पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ देवेन्द्र निषाद धनुष समेत अन्य कांग्रेसियों ने भी समर्थन किया है।
हैक हो सकती है EVM: बसपा सुप्रीमो
सपा मुखिया अखिलेश यादव समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी ईवीएम मशीन पर सवाल उठाते हुए बैलेट पेपर पर चुनाव कराने की मांग की है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बैलेट से चुनाव पर विचार करने की बात को लेकर सोशल मीडिया एक्स के जरिए बताया कि ईवीएम को लेकर एक जनमत कराने की आवश्यकता है। लोकतंत्र में जनता को सिर्फ सरकार चुनने का ही अधिकार नहीं होता, चुनने के माध्यम को भी चुनने का भी अधिकार होता है। इसी के आधार पर दुनिया के विकसित देशों ने ईवीएम के स्थान पर फिर से बैलेट पेपर यानी मतपत्र से चुनाव कराना शुरू कर दिया है। बैलेट पेपर निर्वाचन की सत्यता का पुख्ता सुबूत होता है। हालांकि 10 दिसंबर 2023 को बसपा सुप्रीमों ने भी लखनऊ में राष्ट्रीय पदाधिकारी की बैठक में ईवीएम पर सवाल उठाया था और कहा था कि बसपा बैलट-पेपर से चुनाव के पक्ष में है। यह मशीन है। हैक भी हो सकती है और खराब भी हो सकती है। इसलिए बैलट पेपर से चुनाव कराया जाए। कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि हम बार-बार कह रहे हैं कि इस देश के लोकतंत्र में भरोसा बना रहे, इसलिए ईवीएम को हटाने पर मंथन की जरूरत है। ऐसा नहीं हो सकता है कि जमीन पर जनता की मंशा अलग है और जब चुनाव परिणाम शुरू होते हैं तो ईवीएम कुछ अलग बोलता है।
सीएम ममता ने किया EVM का विरोध-
बता दे कि ऐसा पहली बार नहीं है जब ईवीएम मशीन पर सवाल उठे है। इससे पहले भी कई नेता मंत्रियों ने बैलेट पेपर पर चुनाव कराने की मांग की है। पं. बंगाल सीएम ममता बनर्जी भी ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग कर चुकी है। कांग्रेस, आप समेत कई दल भी ईवीएम पर सवाल खड़े कर चुके हैं। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी दावा किया कि जिस भी मशीन में चिप होती है, उसे हैक किया जा सकता है। इतना ही नहीं, बीजेपी वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी 2009 में पुरानी पद्धति से (बैलट से) से चुनाव कराने की मांग कर चुके हैं। इसको लेकर एक बीजेपी नेता ने एक किताब डेमोक्रेसी एट रिस्क! कैन वी ट्रस्ट अवर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?' भी लिखी थी।
इसके अलावा बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी साल 2009 में दावा किया था कि ईवीएम के जरिए वोटों का होलसेल फ्रॉड संभव है। हालांकि ईवीएम को हैक करने के आरोपों पर चुनाव आयोग ने कुछ साल पहले राजनीतिक दलों को हैक करने की चुनौती दी थी, लेकिन उस समय कोई दल इस चुनौती को स्वीकार नहीं कर पाया था।
एडवोकेड ML शर्मा ने EVM के खिलाफ दायर की याचिका-
इतना ही नहीं इसके बाद जनवरी 2022 में एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में EVM से मतदान के खिलाफ याचिका दायर की थी और जल्द सुनवाई करने की मांग की थी। जिस पर जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि क्या अब उनको EVM मशीन से दिक्कत है ? शर्मा ने कहा कि बैलेट पेपर से ही चुनाव होने चाहिए। हम कानून के लिहाज से बात कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि विधानसभा चुनावों से पहले सुनवाई हो। इस पर जस्टिस रमना ने कहा कि वो देखेंगे।
शर्मा ने अपनी याचिका में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 61(a) को चुनौती दी। जिसमें बैलेट पेपर की जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से मतदान कराए जाने का प्रावधान किया गया है। शर्मा की याचिका के मुताबिक, इस प्रावधान को अब तक संसद से मंजूरी नहीं मिली है। लिहाजा इसके जरिए कराए गए अब तक के सारे चुनाव अवैध रहे। सब जगह बैलेट के जरिए फिर से मतदान कराया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इंकार-
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2022 अगस्त में एडवोकेट एमएल शर्मा की याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुन्द्रेश की पीठ ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट एम एल शर्मा ने कहा कि उन्होंने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 61 ए को चुनौती दी है, जिसे लोकसभा या राज्यसभा में मतदान के माध्यम से पारित नहीं किया गया था।
इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका के संबंध में वकील से शर्मा से पूछा कि वे किसे चुनौती दे रहे हैं? क्या वे सदन को चुनौती दे रहे हैं, या सामान्य चुनावों को चुनौती दे रहे हैं? इस प्रश्न पर शर्मा ने कहा कि वे कानून की धारा 61 ए को चुनौती दे रहे हैं, जो ईवीएम के प्रयोग की स्वीकृति देती है, लेकिन यह सदन द्वारा पारित नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमें इसमें कोई योग्यता नहीं मिली… खारिज’ ("We find no merit…Dismissed.)।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी बैलेट पर चुनाव की मांग की-
बता दें कि याचिका में केंद्रीय कानून मंत्रालय को दूसरा पक्ष बनाया गया था। इसमें मांग रखी गई थी कि उक्त प्रावधान को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित किया जाए। इतना ही नहीं ईवीएम के खिलाफ कई दलों ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था। दो महीने पहले कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ईवीएम के बजाए बैलेट पेपर से वोट डलवाने की मांग की थी। कांग्रेस नेता ने कहा था कि लोकतंत्र इतना कीमती है कि इसे तकनीक पर नहीं छोड़ा जा सकता। मेरा प्वाइंट सिंपल है कि ईवीएम आखिरकार मशीन ही है और किसी अन्य मशीन की तरह उसके साथ भी हेराफेरी और छेड़छाड़ की जा सकती है।
EVM क्या है...
ईवीएम को दो यूनिटों से तैयार किया गया है। कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट। इन यूनिटों को केबल से एक दूसरे से जोड़ा जाता है। ईवीएम की कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है। बैलेटिंग यूनिट को मतदाताओं द्वारा मत डालने के लिए वोटिंग कंपार्टमेंट के भीतर रखा जाता है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि मतदान अधिकारी आपकी पहचान की पुष्टि कर सके। ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के साथ, मतदान पत्र जारी करने के बजाय, मतदान अधिकारी बैलेट बटन को दबाएगा जिससे मतदाता अपना मत डाल सकता है। मशीन पर अभ्यर्थी के नाम और / या प्रतीकों की एक सूची उपलब्ध होगी जिसके बराबर में नीले बटन होंगे। मतदाता जिस अभ्यर्थी को वोट देना चाहते हैं उनके नाम के बराबर में दिए बटन दबा सकते हैं।
बैलेट पेपर पर चुनाव-
देश में जब पहला आमचुनाव हुआ तो 1952 के आमचुनावों में बैलेट बॉक्स का प्रयोग किया गया। फिर लंबे समय तक देश में बैलेट बॉक्स का इस्तेमाल ही चुनावों में होता रहा। इसमें वोटर्स कागज के प्रिंटेट मतपत्रों पर ठप्पा लगाकर अपने पसंद के उम्मीदवार पर मुहर लगाते हैं। वर्ष 2004 में पूरे देश में पहली बार इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से चुनाव हुए। तब से अब राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव होते हैं। लेकिन राष्ट्रपति का चुनाव अब भी पारंपरिक बैलेट बॉक्स से ही होता है।
इन देशों में होता है EVM का प्रयोग
भारत समेत कई देशों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अलावा ब्राजील, मालदीव, नामीबिया, नेपाल, भूटान मिस्र, फिलीपींस, बेल्जियम, एस्टोनिया, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेजुएला और जॉर्डन में किया जा रहा है।
इन देशों में है EVM पर बैन
अमेरिका समेत कई देशों में बैलट से वोटिंग होती है जबकि कई देश में ईवीएम को बैन कर दिया गया है। इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और अमेरीका में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता है। इटली ने नतीजे बदले जाने की आशंका पर बैन लगा दिया है। जर्मनी, इंग्लैंड और फ्रांस में कभी ईवीएम का इस्तेमाल नहीं हुआ है, जबकि नीदरलैंड और इटली में ईवीएम पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है।
Baten UP Ki Desk
Published : 13 December, 2023, 3:50 pm
Author Info : Baten UP Ki