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विश्व रेडियो दिवस पर जानिए कहां है देश का सबसे बड़ा रेडियो म्यूजियम

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(Special Story) रेडियो जो पुराने जमाने में मनोरंजन का एकमात्र साधन हुआ करता था... गांवों में तकरीबन हर घर तक इसकी पहुंच थी। लोग घंटों रेडियो पर अपने मनपसंद कार्यक्रम सुनते रहते थे। कुछ लोग तो पत्र लिखकर अपने मनपसंद गानों की फरमाइश भी करते थे। लेकिन आज के संचार क्रांति के इस युग में शायद रेडियो कहीं खो सा गया है। 
यह सब हम आपको क्यों बता रहे हैं क्योंकि आज विश्व रेडियो दिवस है। इसे हर साल की तरह आज यानि 13 फरवरी को मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य रेडियो के योगदान के महत्व को बताना है, क्योंकि आज के दौर में डिजिटल प्रौद्योगिकी के उदय के चलते रेडियो को तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि रेडियो अभी भी तमाम लोगों के लिए एक आवश्यक उपकरण है जो उनको देश-दुनिया से जोड़े हुए है। आइए आज विश्व रेडियो दिवस पर जानते हैं इसके इतिहास, इसकी थीम और देश के सबसे बड़े रेडियो म्यूजियम के बारे में विस्तार से...

13 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है विश्व रेडियो दिवस-

आपको बता दें कि 13 फरवरी, 2011 को यूनेस्को द्वारा की गई एक परामर्श प्रक्रिया के आधार पर सामान्य सम्मेलन में विश्व रेडियो दिवस मनाने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद यूनेस्को के तत्कालीन महानिदेशक ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में घोषित किया। इसे पहली बार 13 फरवरी, 2013 को  संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में अपनाया गया था। तब से लेकर आज तक हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस  मनाया जाता है।


संचार क्रांति के चलते कई लोगों को लगता है कि अब रेडियो किसी काम का नहीं है लेकिन यह आज भी कई जगहों पर संचार के लिए एक आवश्यक उपकरण है। जहां अभी भी इंटरनेट और टीवी जैसी सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुताबिक, विश्व रेडियो दिवस का उद्देश्य रेडियो के महत्व के बारे में जनता के बीच अधिक से अधिक जागरूकता बढ़ाना है।

विश्व रेडियो दिवस की थीम-

विश्व रेडियो दिवस को मनाने के लिए हर साल  संयुक्त राष्ट्र एक थीम निर्धारित करता है। उस थीम के मुताबिक ही दुनियाभर में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर स्कूल, कॉलेज और रेडियो कार्यालय में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा हर साल रेडियो के विकास के लिए अच्छा काम करने वाले रेडियो स्टेशनों को पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जाता है। इस साल विश्व रेडियो दिवस की थीम 'रेडियो: सूचना देने, मनोरंजन करने और शिक्षित करने की एक सदी' है। यह थीम रेडियो के इतिहास, समाचार, संगीत और खेल पर इसके शक्तिशाली प्रभाव पर प्रकाश डालती है।

पहला रेडियो प्रसारण-

आपको बता दें कि पहला रेडियो प्रसारण 1895 में गुग्लिल्मो मार्कोनी नामक व्यक्ति ने किया था। लेकिन रेडियो 1905-1906 के आसपास अस्तित्व में आया और 1950 के दशक तक रेडियो और इसकी प्रसारण प्रणाली दुनियाभर में एक आम बात हो गई थी।

भारत में  देश की आजादी की सूचना रेडियो ने दी-

भारत में अगर रेडियो की बात करें तो यहां अंग्रेजों के जमाने में कांग्रेस रेडियो और आजाद हिंद रेडियो वगैरह के जरिए जन-जन तक सूचनाओं को पहुंचाने का काम किया गया। इतना ही नहीं, 15 अगस्‍त 1947 को जब देश आजाद हुआ, तो इसकी घोषणा भी रेडियो पर ही की गई थी। उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक भाषण दिया था जो 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' के नाम से जाना जाता है।

भारत में रेडियो का इतिहास-

भारत में रेडियो के इतिहास की बात की जाए तो जुलाई 1923 में जब भारत पर ब्रिटिश का राज था उसी समय भारत में रेडियो प्रसारण शुरू हुआ। 23 जुलाई 1927 को बंबई (आज का मुंबई) में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी के नाम से प्रसारण शुरू किया गया। 26 अगस्त 1927 को कलकत्ता से भी रेडियो प्रसारण शुरू हो गया। 8 जून 1936 को रेडियो को एक नया नाम मिल गया जो कि ‘ऑल इंडिया रेडियो’ था, जिसे आज हम ‘आकाशवाणी’ के नाम से भी जानते हैं। 
गौरतलब है कि पहले रेडियो की कीमत काफी अधिक थी लेकिन 1940 के दशक में सेमीकंडक्टर के आविष्कार के साथ, छोटे, सस्ते और गुणवत्ता के मामले में अधिक टिकाऊ रेडियो का उत्पादन भी शुरू हुआ। 1960 के दशक तक आते-आते रेडियो की कीमत भी कुछ कम हुई और बाजार में तरह-तरह के रेडियो सेट उपलब्ध हो गए।

आइए अब आपको मिलवाते हैं एक ऐसे व्यक्ति से जो रेडियो के इतने शौकीन हैं कि उन्होंने रेडियो के लिए संग्रहालय की तैयार कर दिया.. 

यूपी में कहां है रेडियो संग्रहालय-

राम सिंह के पास 1900 के दशक का रेडियो उपलब्ध है, और इनके मुताबिक यह देश का सबसे बड़ा रेडियो म्यूजियम भी है। इस संग्रहालय में 8-10 नहीं, बल्कि 1500 से भी अधिक पुराने रेडियो के कलेक्शन मौजूद हैं। यूपी के अमरोहा जिले के नाईपुरा मोहल्ला निवासी राम सिंह अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि 1960 में जब वे अपने पुराने घर यानी मुरादाबाद के मोहम्मदपुर में रहा करते थे तब उनके गांव के प्रधान ने पूरे गांव को आकाशवाणी का प्रसारण सुनने के लिए आमंत्रित किया था। जिसे पहली बार सुनते हुए सभी बेहद खुश हुए, लेकिन 11 वर्षीय राम सिंह पर इसका कुछ अलग ही असर हुआ। रेडियो की अहमियत को समझते हुए उन्होंने 1977 में अपना पहला रेडियो खरीदा, जिसके लिए उन्होंने अपने पूरे महीने के वेतन यानी 350 रुपए खर्च कर दिए। वे कहते हैं कि ‘इतिहास का छात्र होने के नाते मैं पूरे संग्रहालय का दौरा करता था। इस बीच मैंने महसूस किया कि जिस रेडियो को हम सुनते हुए बड़े हुए हैं उसके लिए एक भी संग्रहालय नहीं है.’ वे इस बात से परेशान थे कि आने वाली पीढ़ी रेडियो के महत्त्व और इसके विकास को कभी नहीं जान पाएंगी, इसके बाद उन्होंने अपना संग्रहालय बनाने का फैसला किया।



67 वर्षीय राम सिंह ने बनाया रेडियो संग्रहालय-

वेयरहाउस कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के पर्यवेक्षक के पद से रिटायर हुए 67 वर्षीय राम सिंह बौद्ध अपना अधिकांश समय इन रेडियो के बेशकीमती संग्रह के साथ बिताते हैं। उनका यह संग्रहालय अमरोहा जिले के नेशनल हाईवे-9 स्थित मोहल्ला नाईपुरा के सिद्धार्थ इंटर कॉलेज की ऊपरी मंजिल पर स्थित है। जहां टेबल रेडियो से लेकर पॉकेट और बॉल रेडियो आदि मौजूद हैं। राम सिंह ने इसे मेरठ, दिल्ली और अन्य शहरों के कबाड़ बाजार से जमा किया है। इनके रेडियो संग्रहालय में तरह-तरह के छोटे बड़े रेडियो मौजूद हैं। ‘मार्कोनीफोन 7200 इंग्लैंड’ लेबल वाले रेडियो, जिसे 1920 में बनाया गया था, उनके कलेक्शन में यह सबसे पुराना रेडियो है, और इसके लिए वह अपना नाम ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज कराना चाहते हैं। इसे बनाने वाली कंपनी की स्थापना रेडियो अग्रणी और नोबेल पुरस्कार विजेता गुग्लिल्मो मार्कोनी ने की थी। इसके अलावा एक जर्मन कंपनी द्वारा बनाया गया रेडियो, जिसे ग्रुडिंग कहा जाता है, यह 1936 मॉडल है और इसे केवल बड़े व संपन्न लोगों के घरों में देखा जा सकता है। उस समय इसकी कीमत 15,000 रूपए थी, यानी उस वक्त में एक ट्रैक्टर की राशि में इसे खरीदा जा सकता था।


एम. प्रकाश नाम के एक अन्य भारतीय ने जुलाई 2005 में 625 तरह के अलग-अलग रेडियो के अपने संग्रह के साथ रिकॉर्ड बनाया था। जानकारी के लिए बता दें कि एम. प्रकाश ने इन रेडियो को 1970 के दशक से इकठ्ठा किया था। उनके संग्रह में सबसे छोटा रेडियो बोतल के ढक्कन के आकार का है और केवल 4 सेमी (1.57 इंच) चौड़ा है।

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