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अब बच्चों के इंस्टा अकाउंट्स पर रखी जाएगी सख्त नजर! मेटा ने उठाया बड़ा कदम

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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर मेटा (Meta) ने बड़ा कदम उठाया है। इंस्टाग्राम, फेसबुक और मैसेंजर जैसे प्लेटफॉर्म्स के मालिक मेटा ने 16 साल से कम उम्र के यूजर्स के लिए नए सुरक्षा उपाय लागू किए हैं। अब बिना माता-पिता की अनुमति के बच्चे इंस्टाग्राम पर न तो नग्नता से जुड़ी सामग्री देख सकेंगे और न ही लाइवस्ट्रीम कर सकेंगे। मेटा ने यह बदलाव 8 अप्रैल से लागू कर दिए हैं, जिनका उद्देश्य बच्चों को ऑनलाइन शोषण, साइबरबुलीइंग और आपत्तिजनक सामग्री से बचाना है। शुरुआती तौर पर ये नियम अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में लागू होंगे और कुछ महीनों में अन्य देशों में भी लागू किए जाएंगे।

"टीन अकाउंट प्रोग्राम" से मिले अभिभावकों को ज्यादा अधिकार

सितंबर 2024 में मेटा ने "Teen Account Program" की शुरुआत की थी, जिससे अभिभावक अपने बच्चों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर रख सकें। इसके जरिए बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार पर नियंत्रण और मार्गदर्शन देने के लिए कई विकल्प दिए गए थे।

बच्चों के सामने आ रहे थे ये बड़े खतरे

  1. ऑनलाइन शोषण और साइबरबुलीइंग: अजनबी लोग सोशल मीडिया पर बच्चों से आसानी से संपर्क कर सकते थे, जिससे यौन उत्पीड़न, धमकी या भावनात्मक शोषण जैसी समस्याएं बढ़ रही थीं।

  2. नग्नता और आपत्तिजनक तस्वीरें: बच्चों के बीच अश्लील और अनुचित तस्वीरों के आदान-प्रदान के मामले तेजी से बढ़ रहे थे, जो न केवल उनकी सुरक्षा बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहे थे।

  3. समय की बर्बादी और नींद में खलल: सोशल मीडिया पर घंटों बिताने और रात में लगातार नोटिफिकेशन्स से बच्चों की पढ़ाई और नींद प्रभावित हो रही थी।

नए नियमों के तहत लागू किए गए मुख्य बदलाव:

  • इंस्टाग्राम लाइव पर रोक: 16 साल से कम उम्र के बच्चे माता-पिता की अनुमति के बिना लाइवस्ट्रीम नहीं कर सकेंगे।

  • संदिग्ध नग्नता वाली तस्वीरें धुंधली होंगी: प्रत्यक्ष संदेशों (DMs) में ऐसी तस्वीरें अब तब तक धुंधली रहेंगी जब तक अभिभावक अनुमति न दें।

  • प्राइवेट अकाउंट डिफॉल्ट: किशोरों के इंस्टाग्राम अकाउंट्स अब डिफ़ॉल्ट रूप से निजी होंगे।

  • अजनबियों से संदेशों पर रोक: अजनबियों द्वारा भेजे गए निजी संदेश स्वतः ब्लॉक हो जाएंगे।

  • संवेदनशील कंटेंट पर सख्ती: लड़ाई, हिंसा और अन्य संवेदनशील वीडियो कंटेंट पर नियंत्रण बढ़ाया गया है।

  • स्क्रीन टाइम लिमिट: किशोरों को 60 मिनट के बाद ऐप बंद करने का रिमाइंडर मिलेगा।

  • "स्लीप मोड" नोटिफिकेशन बंद: सोने के समय पर नोटिफिकेशन्स बंद कर दिए जाएंगे।

भारत में असर देखने लायक होगा

मेटा का यह कदम निश्चित रूप से डिजिटल दुनिया में किशोरों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। अब देखने वाली बात यह होगी कि भारत जैसे विशाल बाजार में इन बदलावों को किस तरह लागू किया जाता है और ये कितना असरदार साबित होते हैं।

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