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अब न डीज़ल, न बिजली –इस ईंधन से दौड़ेंगी भारत की ट्रेनें! जानिए कैसे बदलेगा रेल यात्रा का फ्यूचर

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भारत अब उस ऐतिहासिक दौर में प्रवेश कर चुका है, जहां ट्रेनें न डीज़ल पर चलेंगी, न बिजली से दौड़ेंगी… बल्कि अब हाइड्रोजन गैस से सफर तय होगा। चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी (ICF) में हाल ही में हाइड्रोजन से चलने वाले ट्रेन कोच का सफल परीक्षण किया गया है। और खास बात ये कि अब भारत दुनिया के चुनिंदा देशों की उस टेक्नोलॉजी क्लब में शामिल होने जा रहा है, जहां हाइड्रोजन ट्रेनों का संचालन वास्तविकता बन चुका है।

हाइड्रोजन ट्रेन: विज्ञान नहीं, अब हकीकत!

हाइड्रोजन ट्रेन क्या होती है? सीधा जवाब: ऐसी ट्रेन जिसमें न बिजली की जरूरत है, न डीज़ल की। इंजन में लगे हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक क्रिया होती है, जिससे ऊर्जा (गर्मी) मिलती है और बाय-प्रोडक्ट के रूप में केवल पानी (H₂O) निकलता है।

यानि 100% प्रदूषण मुक्त ट्रेन!

क्यों है हाइड्रोजन ट्रेन खास?

तुलना डीज़ल ट्रेन बिजली ट्रेन हाइड्रोजन ट्रेन
ऊर्जा स्रोत जीवाश्म ईंधन बिजली (अक्सर कोयले से) हाइड्रोजन गैस
प्रदूषण बहुत अधिक अप्रत्यक्ष (कोयले से बिजली) लगभग शून्य
पर्यावरण प्रभाव ग्रीनहाउस गैसें सीमित सुधार कार्बन-फ्री

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 'Hydrogen for Heritage' मिशन के तहत पहले चरण में 35 हाइड्रोजन ट्रेनें शुरू करने की योजना का एलान किया है।

  • हर एक ट्रेन पर: ₹80 करोड़ खर्च

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर (स्टेशन, टैंक आदि): ₹70 करोड़

  • पहला पायलट ट्रायल: जींद-सोनीपत (हरियाणा) रूट पर सफल

  • अगला ट्रायल: कालका-शिमला जैसे हेरिटेज रूट्स पर

तकनीकी चुनौती क्या है?

मुख्य चुनौती:

  • हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स की क्षमता बढ़ाना

  • अधिक दूरी व गति हासिल करना

  • फ्यूल टैंक का साइज, सेफ्टी और स्टोरेज

लेकिन रेल मंत्रालय के अनुसार, अधिकतर समस्याएं सुलझाई जा चुकी हैं और जल्द ही व्यावसायिक स्तर पर ट्रेनें दौड़ेंगी।

कौन-कौन से देश दौड़ा रहे हैं हाइड्रोजन ट्रेनें?

भारत से पहले जिन 5 देशों ने इस तकनीक को अपनाया, वे हैं:

🔹 जर्मनी – सबसे पहले हाइड्रोजन ट्रेन लॉन्च करने वाला देश (2018 से कमर्शियल संचालन)
🔹 ब्रिटेन – पुरानी ट्रेनों को HydroFLEX मॉडल में बदला
🔹 फ्रांस – 2025 से 15 हाइड्रोजन ट्रेनें चलेंगी
🔹 स्विट्ज़रलैंड – गिनीज रिकॉर्ड वाली ट्रेन, एक बार में 2803 KM चली
🔹 चीन – पानी को भी रिसाइकल कर यात्रियों की सुविधा में इस्तेमाल

भारत कब करेगा कमाल?

रेलवे के मुताबिक, 2025-26 तक देश के कुछ खास रूट्स पर हाइड्रोजन ट्रेनें यात्रियों के लिए चालू कर दी जाएंगी। इससे भारत न सिर्फ रेलवे क्षेत्र में नई क्रांति लाएगा, बल्कि कार्बन-फ्री यात्रा का आदर्श भी बन सकता है। ट्रेन अब सिर्फ सफर का ज़रिया नहीं, भविष्य की टेक्नोलॉजी का प्रतीक बनने वाली है। हाइड्रोजन ट्रेनों के जरिए भारत सिर्फ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम नहीं रख रहा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, स्थायी और स्मार्ट भविष्य की नींव भी रख रहा है।

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