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मोदी सरकार की इस योजना के कारण, बिना घरवाली के 'घर' के लिए भटक रहे पुरूष!

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एक ओर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) और मुख्यमंत्री आवास योजना (सीएमएवाई) के तहत एक लाख 22 हजार से अधिक लोगों को मकान मिल चुका है। वहीं, प्रयागराज में ऐसे 3200 पुरुष हैं, जो अपनी जमीन होने के बावजूद मकान बनाने के लिए सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं। इनकी समस्या यह है कि आवास योजना के नियमों में महिलाओं को वरीयता दी जाती है। आवेदक के तौर पर महिला मुखिया होना अनिवार्य है। ऐसे में जिन पुरुषों की पत्नी नहीं हैं—चाहे वे अविवाहित हों या विधुर—उनका आवेदन स्वीकृत नहीं हो पा रहा है।

महिलाओं को प्राथमिकता का नियम: नारी सशक्तीकरण की दिशा में कदम-

सरकार की कई योजनाएं, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला गैस कनेक्शन, और राशन कार्ड, महिलाओं को वरीयता प्रदान करती हैं। नारी सशक्तीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए इन योजनाओं में महिला मुखिया की अनिवार्यता तय की गई है। इसी कारण जिले के 23 ब्लॉकों में रहने वाले 3200 पुरुष आवेदकों का आवेदन अटका हुआ है। इन परिवारों में महिलाओं की अनुपस्थिति के कारण उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल रहा। अफसरों के मुताबिक, जब भी किसी ब्लॉक में आवास योजना के लिए कोटा जारी होता है, तो महिला आवेदकों को प्राथमिकता के आधार पर चुना जाता है।

अधिकारियों की सफाई: नियमों का पालन अनिवार्य-

जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के परियोजना निदेशक अशोक कुमार मौर्या का कहना है कि दस्तावेजों और नियमों के आधार पर ही चयन प्रक्रिया की जाती है। महिला आवेदकों को वरीयता देना सरकारी नीति का हिस्सा है, जिसका पालन अनिवार्य है।

आपदाग्रस्त पुरुषों को मिल रहा है विशेष लाभ-

हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में पुरुषों को भी आवास योजना का लाभ मिल रहा है। यदि किसी व्यक्ति का घर प्राकृतिक आपदा जैसे बारिश, आग, या भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गया हो, तो उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। इस प्रक्रिया में लेखपाल द्वारा सत्यापन के बाद पहले आपदा राहत मद से 3200 रुपये दिए जाते हैं। इसके बाद, एक लाख 20 हजार रुपये की सरकारी सहायता दी जाती है। जिले में कई ऐसे पुरुष आवेदक हैं, जिन्हें आपदाग्रस्त श्रेणी में शामिल कर मकान का लाभ दिया गया है।

समाज पर प्रभाव: महिला केंद्रित योजनाओं की सीमा-

महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से बनाई गई योजनाएं निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। हालांकि, यह भी सच है कि इन नियमों के कारण पुरुष आवेदकों का एक वर्ग लाभ से वंचित रह जाता है। सरकार और प्रशासन को ऐसी स्थिति के लिए वैकल्पिक प्रावधानों पर विचार करना चाहिए, ताकि जरूरतमंद पुरुषों को भी योजनाओं का लाभ मिल सके।

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