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शिक्षा, रोजगार, सूचना और चांद से मंगल तक पहुंचने की ललक रखते थे मनमोहन सिंह...उनके फैसलों ने बदली देश की तस्वीर

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह, जिनका निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ, एक असाधारण नेतृत्व की मिसाल थे। दिल्ली विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर से लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, वित्त मंत्री और फिर दस वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में उनका सफर एक प्रेरणा है। 2004 से 2014 के बीच उनकी सरकार ने कुछ ऐतिहासिक फैसले लिए, जिन्होंने न सिर्फ देश की तकदीर को बदला, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी। उनकी सरकार ने लागू किए ऐसे क्रांतिकारी कदम जैसे रोजगार का अधिकार, सूचना का अधिकार, भोजन का अधिकार और चांद से मंगल तक का सफर। ये फैसले आज भी भारतीय जनता के जीवन में गहरे प्रभाव डालते हैं और उनके दूरदर्शी नेतृत्व की गवाही देते हैं।

1-भारत की जीडीपी वृद्धि दर 10.08% पर पहुँची: ऐतिहासिक उपलब्धि

भारत की अर्थव्यवस्था ने 2006-07 में एक ऐतिहासिक पड़ाव छुआ, जब जीडीपी की वृद्धि दर 10.08% तक पहुँच गई। यह आंकड़ा राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की रियल सेक्टर सांख्यिकी समिति द्वारा तैयार की गई पिछली श्रृंखला के डेटा में सामने आया। इस असाधारण उपलब्धि ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन को रेखांकित किया। यह रिपोर्ट सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MSPI) की वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई है।

  • 1991 के उदारीकरण के बाद की सबसे बड़ी छलांग

1991 में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के बाद यह पहली बार था जब भारत ने इस स्तर की जीडीपी वृद्धि दर दर्ज की। यह उपलब्धि देश की आर्थिक नीतियों, वैश्विक परिस्थितियों और बुनियादी ढांचे में सुधार के सफल तालमेल का परिणाम थी।

  • स्वतंत्रता के बाद दूसरा सबसे बड़ा रिकॉर्ड

भारत की स्वतंत्रता के बाद सबसे अधिक जीडीपी वृद्धि दर 1988-89 में दर्ज की गई थी, जब देश ने राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में 10.2% की वृद्धि दर हासिल की। यह दशक भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई मायनों में क्रांतिकारी साबित हुआ। इस ऐतिहासिक रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारत के आर्थिक सुधार और मजबूत नेतृत्व ने वैश्विक मंच पर देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उनके नेतृत्व में, न केवल आर्थिक प्रगति को गति मिली बल्कि आधारभूत संरचना भी सशक्त हुई। वाजपेयी सरकार द्वारा शुरू किए गए स्वर्णिम चतुर्भुज और राजमार्ग आधुनिकीकरण कार्यक्रम को सिंह ने नई ऊर्जा और संसाधनों के साथ आगे बढ़ाया। बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में सुधार के लिए उनके प्रयास, किसानों के कर्ज माफी जैसे साहसिक कदम, और उद्योग समर्थक नीतियां उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण हैं।

  • देश में वैट कर प्रणाली की लागू

2005 में, सिंह सरकार ने देश में वैट कर प्रणाली लागू की, जिसने पुराने और जटिल बिक्री कर प्रणाली को बदल दिया। यह कदम देश की कर संरचना को सरल बनाने और व्यवसायों के लिए एक बेहतर माहौल तैयार करने में मील का पत्थर साबित हुआ। डॉ. मनमोहन सिंह का नेतृत्व भारत के आर्थिक स्वर्ण युग के प्रतीक के रूप में याद किया जाता रहेगा। उनके नीतिगत निर्णयों ने न केवल तत्कालिक आर्थिक समस्याओं का समाधान किया, बल्कि भारत को एक नई वैश्विक पहचान भी दी।

2-विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) अधिनियम 2005: भारत की आर्थिक प्रगति का पथप्रदर्शक

डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले कार्यकाल में, भारत की आर्थिक नीति में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) अधिनियम 2005 अस्तित्व में आया। 23 जून 2005 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद, यह अधिनियम 10 फरवरी 2006 को विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) नियम 2006 के साथ प्रभावी हुआ।

  • यह अधिनियम भारत के आर्थिक परिदृश्य को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने और निवेश आकर्षित करने के लिए तैयार किया गया था। इसका उद्देश्य विदेशी मुद्रा अर्जित करते हुए वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित करना और राष्ट्र की समग्र आर्थिक वृद्धि को नई ऊंचाई प्रदान करना था।
  • एसईजेड अधिनियम ने न केवल विशेष आर्थिक क्षेत्रों और उनकी इकाइयों की स्थापना के लिए एक सुदृढ़ कानूनी ढांचा तैयार किया, बल्कि इसमें 'मेक इन इंडिया' जैसे दीर्घकालिक दृष्टिकोण की झलक भी देखी जा सकती है। विदेशी और घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करके अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों का सृजन, और इन क्षेत्रों में हितधारकों की आवश्यकताओं का समग्र समाधान प्रदान करके भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर सशक्त बनाना, इस अधिनियम की प्राथमिकताएं थीं।

3-राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) 2005: ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने का संकल्प

डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में, भारत सरकार ने 2005 में एक ऐतिहासिक सामाजिक सुरक्षा पहल के रूप में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) को प्रस्तुत किया। यह अधिनियम ग्रामीण भारत के लाखों परिवारों को आजीविका, स्थिर आय और रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था।

  • नरेगा ने ग्रामीण परिवारों के लिए वर्ष में न्यूनतम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार सुनिश्चित किया, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सके। यह योजना उन वयस्कों के लिए आरंभ की गई जो स्वेच्छा से अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए तैयार हैं, और यह ग्रामीण समुदायों को आर्थिक सशक्तिकरण का साधन प्रदान करती है।
  • 2 फरवरी 2006 को, इस अधिनियम को भारत के 200 जिलों में लागू किया गया। अप्रैल 2008 में इसका विस्तार किया गया, जिससे यह योजना राष्ट्रीय स्तर पर सभी जिलों तक पहुंच गई। इसके साथ ही, इसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम देकर इसे महात्मा गांधी के ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से जोड़ा गया।
  • यह अधिनियम न केवल रोजगार की गारंटी देता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और संसाधनों के विकास में भी सहायक सिद्ध हुआ, जिससे यह भारत के ग्रामीण परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव का एक स्तंभ बन गया।

    4-भारत-अमेरिका परमाणु समझौता

भारत-अमेरिका परमाणु समझौता, जिसे 21वीं सदी की कूटनीति में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर माना जाता है, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश की दूरदृष्टि का परिणाम था। यह समझौता न केवल भारत की वैश्विक कूटनीतिक स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि उसके ऊर्जा क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार भी खोलता है।

  • 18 जुलाई 2005 को हस्ताक्षरित इस समझौते के तहत, भारत ने अपनी नागरिक और सैन्य परमाणु सुविधाओं को अलग करने और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में नागरिक परमाणु सुविधाओं को लाने पर सहमति व्यक्त की। इसके आधार पर, अमेरिका ने अपने घरेलू कानून, "हाइड एक्ट" (2006) में संशोधन किया, ताकि भारत के साथ परमाणु सहयोग को औपचारिक रूप दिया जा सके।
  • इस समझौते को अमेरिकी कांग्रेस ने 2008 में मंजूरी दी, जिसके बाद भारत को अमेरिकी परमाणु ईंधन और प्रौद्योगिकी तक पहुंच मिली। यह न केवल भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम था, बल्कि भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की नई शुरुआत भी थी।

5-सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), 2005: जनता की ताकत का प्रतीक

2005 में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने एक ऐसा ऐतिहासिक कदम उठाया, जिसने लोकतंत्र में जनता की भूमिका को नया आयाम दिया। सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) न केवल एक कानून था, बल्कि यह आम नागरिकों के हाथ में वह ताकत थी, जिससे वे सरकारी व्यवस्थाओं की परतों को उजागर कर सकें। इस अधिनियम ने हर भारतीय को अधिकार दिया कि वे सरकारी विभागों से जानकारी मांग सकें। इसका असर इतना गहरा था कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता बढ़ी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकी। अब अधिकारी जानते थे कि उनकी हर कार्रवाई पर जनता की नजर है, जिससे कामकाज में जिम्मेदारी और जवाबदेही का नया स्तर स्थापित हुआ। RTI एक ऐसा औजार बन गया, जिसने नागरिकों को सशक्त किया और लोकतंत्र को मजबूत किया।

6-चांद से मंगल तक: भारत की अंतरिक्ष यात्रा का स्वर्णिम अध्याय

मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल ने भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इसी दौर में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद और मंगल तक अपनी सफल उड़ानें भरीं। इन मिशनों ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मानचित्र पर विशेष स्थान दिलाया और दिखा दिया कि हमारा देश पारग्रही अभियानों में भी पूरी तरह सक्षम है। यह वही समय था जब भारत के अंतरिक्ष मानव मिशन की नींव रखी गई, जो भविष्य के असंभव लगने वाले सपनों को साकार करने का प्रतीक बना। इस उपलब्धि ने भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को नया आयाम दिया और अंतरिक्ष में एक नई क्रांति की शुरुआत की।


7-स्किल डेवलपमेंट: भारत की भविष्यवाणी का मार्गदर्शक कदम

मनमोहन सिंह की सरकार ने देश की आर्थिक दिशा और युवा शक्ति को ध्यान में रखते हुए एक दूरदर्शी कदम उठाया—स्किल डेवलपमेंट पर फोकस करना। उनके कार्यकाल में शुरू हुआ स्किल डेवलपमेंट मिशन आज कौशल विकास मंत्रालय के रूप में एक ताकतवर संस्था बन चुका है। यह कदम न केवल भारत की बढ़ती इकोनॉमी की जरूरतों के साथ जुड़ा था, बल्कि इसने युवा पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें रोजगार के योग्य बनाने की दिशा में अहम योगदान दिया। यह कदम एक तरह से भारत की भविष्यवाणी के रूप में था, जो न केवल आज की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि आने वाले दशकों में भी देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने का आधार बनेगा।


8-डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम: सब्सिडी में पारदर्शिता और निष्पक्षता की शुरुआत

1 जनवरी, 2013 को मनमोहन सिंह की सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सब्सिडी के वितरण में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना था। इस योजना के तहत, सरकार ने सब्सिडी राशि को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजने की प्रक्रिया शुरू की, ताकि इससे किसी भी प्रकार की धांधली और मंझले हाथों में धन जाने से बचा जा सके। शुरू में यह योजना 43 जिलों में लागू की गई और धीरे-धीरे पूरे देश में इसका विस्तार हुआ। DBT ने सरकारी मदद को सही हाथों तक पहुंचाने का रास्ता खोला, जिससे न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा, बल्कि लोगों को सीधे और प्रभावी रूप से लाभ मिला।

9-भोजन का अधिकार: हर भूखे को भोजन की गारंटी

मनमोहन सिंह की सरकार ने गरीबों के लिए एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए भोजन का अधिकार कानून लागू किया। यूपीए सरकार में 10 सितम्‍बर, 2013 को इससे निपटने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू किया.   इस कानून के तहत, गरीब परिवारों को सस्ते दरों पर भोजन उपलब्ध कराया गया, जिससे लाखों भारतीयों को भूख की चिंता छोड़कर देश की प्रगति में अपना योगदान देने का मौका मिला। आज जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना चल रही है, वह इसी ऐतिहासिक कानून की देन है। यह कदम न सिर्फ सामान्य जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने का प्रतीक था, बल्कि कोविड महामारी के कठिन समय में गरीबों के लिए जीवन रक्षक साबित हुआ। इस कानून ने समाज के सबसे कमजोर वर्ग को सुरक्षा दी, और यह सिद्ध कर दिया कि जब सरकार अपने नागरिकों के भले के लिए काम करती है, तो वह संकट के समय में सबसे बड़ी ताकत बन जाती है।

10-शिक्षा का अधिकार कानून: हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार

2009 में शिक्षा का अधिकार कानून ने भारत के भविष्य को एक नया रास्ता दिखाया। इस कानून के तहत, 6 से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार मिला, जो न केवल उनके विकास के द्वार खोला, बल्कि समाज में समावेशिता का एक मजबूत संदेश भी दिया। इस कदम के बाद, देश के गांवों में भी स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई, और शिक्षा का स्तर लगातार ऊंचा हुआ। यह कानून सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन गया, जिसने यह सुनिश्चित किया कि हर बच्चा, चाहे वह कहीं भी हो, अपनी जिंदगी में एक उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा प्राप्त कर सके।

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