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आज देशभर में बुद्ध पूर्णिमा की पावन तिथि मनाई जा रही है। यह दिन भगवान बुद्ध की जयंती के रूप में जाना जाता है, लेकिन इतिहास के पन्नों को पलटें तो यह तिथि भारत के सामरिक और वैज्ञानिक इतिहास का भी एक स्वर्णिम अध्याय है। ठीक 51 वर्ष पहले, 18 मई 1974 को भारत ने अपने पहले परमाणु परीक्षण को अंजाम दिया था, जिसने भारत को दुनिया की छठी परमाणु महाशक्ति बना दिया था।
कैसे बना भारत परमाणु महाशक्ति?
1974 में राजस्थान के रेगिस्तान में स्थित पोखरण में भारत ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट सफलतापूर्वक किया। यह परीक्षण ज़मीन के 107 मीटर नीचे एक भूमिगत शाफ्ट में किया गया था। इस मिशन को कोडनेम दिया गया – "ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्ध"। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस नाम को बुद्ध पूर्णिमा की तिथि से प्रेरित होकर चुना गया था। इस ऐतिहासिक दिन के लिए भारत ने ऐसी तिथि को चुना जो शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में जानी जाती है – बुद्ध पूर्णिमा। यह एक गहरा संदेश था कि भारत की परमाणु शक्ति का उद्देश्य हमला करना नहीं, बल्कि शांतिपूर्ण रक्षा नीति और संतुलन बनाए रखना है।
अंतिम क्षणों तक बना रहा संशय
राजनीतिक टिप्पणीकार इंदर मल्होत्रा के अनुसार, इस परीक्षण को लेकर अंतिम समय तक संशय की स्थिति बनी रही। कई वरिष्ठ अधिकारी — जैसे एटॉमिक एनर्जी कमीशन के तत्कालीन प्रमुख राजा रमन्ना, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सलाहकार पीएन हकसर और पीएन धर — इस परीक्षण को टालने की सिफारिश कर रहे थे। यहां तक कि रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार डी. नाग चौधरी भी इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क दे रहे थे।
लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दृढ़ निर्णय लिया और डॉ. रमन्ना को परीक्षण आगे बढ़ाने का निर्देश दिया।
"बुद्ध मुस्कुराए हैं"
18 मई 1974 को भारत ने लगभग 12-13 किलोटन का परमाणु उपकरण सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इस मिशन में 75 वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल थे। अगली सुबह डॉ. रमन्ना ने सभी को सूचना दी: "बुद्ध मुस्कुराए हैं" — एक वाक्य जो इतिहास में दर्ज हो गया। भारत सरकार ने इस परीक्षण को "शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट" करार दिया। इस कदम के जरिए भारत ने यह स्पष्ट किया कि वह परमाणु शक्ति का उपयोग आक्रामकता के लिए नहीं, बल्कि अपने संप्रभु हितों की रक्षा और रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए कर रहा है।
दुनिया को मिला सख्त संदेश
इस परीक्षण से भारत ने वैश्विक मंच पर यह संदेश दिया कि वह अब केवल एक विकासशील राष्ट्र नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से सक्षम राष्ट्र भी है। भारत उन देशों की कतार में शामिल हो गया जो परमाणु शक्ति रखते हैं — अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन — लेकिन इनमें से किसी का स्थायी सदस्य न होते हुए भी।
पोखरण-2 तक की यात्रा
1998 में भारत ने एक बार फिर पोखरण में परमाणु परीक्षण किया, जिसे पोखरण-2 या ऑपरेशन शक्ति के नाम से जाना गया। यह परीक्षण भारत की रक्षा नीति को और मजबूत करने वाला साबित हुआ। बुद्ध पूर्णिमा सिर्फ भगवान बुद्ध की शिक्षाओं की याद दिलाने वाला दिन नहीं है, बल्कि यह भारत की शांति के साथ शक्ति की नीति का भी प्रतीक बन गया है। ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्ध ने भारत की वैश्विक स्थिति को बदल दिया और आज यह दिन देश की विज्ञान, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।
Baten UP Ki Desk
Published : 12 May, 2025, 7:14 pm
Author Info : Baten UP Ki