बड़ी खबरें

हाईकोर्ट ने एमपी के मंत्री विजय शाह पर FIR के दिए निर्देश, कर्नल सोफिया पर दिया था बयान 8 घंटे पहले 'बलूचिस्तान नहीं है पाकिस्तान', बलूच नेता ने किया आजादी का एलान 6 घंटे पहले JNU ने स्थगित किया तुर्किये के विश्वविद्यालय के साथ समझौता, कहा - 'हम राष्ट्र के साथ खड़े हैं' 6 घंटे पहले सरकार ने बताया-भारतीय एयर डिफेंस ने PAK हथियार नष्ट किए 4 घंटे पहले अब हर महीने रोजगार और बेरोजगारी से जुड़ा डाटा जारी करेगी सरकार 4 घंटे पहले

भारत को मिला पहला बौद्ध CJI, डिमॉनेटाइजेशन से लेकर बुलडोजर कार्रवाई तक लिये ये बड़े फैसले

Blog Image

भारत की न्यायपालिका ने आज एक ऐतिहासिक मोड़ लिया। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार14 मई को देश के 52वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। मौजूदा CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो चुका है।

जस्टिस गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित समुदाय से आने वाले CJI हैं। उनका कार्यकाल भले ही सिर्फ 6 महीने का हो, लेकिन उनकी नियुक्ति सामाजिक न्याय और समावेश की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है।

'मेहनत और सेवा का फल मिला': मां कमलताई की भावुक प्रतिक्रिया

शपथ ग्रहण के बाद जस्टिस गवई की मां कमलताई गवई ने मीडिया से कहा,

"भूषण ने हमेशा समाज की सेवा को प्राथमिकता दी। उन्होंने कठिन हालातों में भी हार नहीं मानी। यह पद उनकी मेहनत का इनाम है।"

साधारण स्कूल से सुप्रीम कोर्ट तक,जस्टिस गवई का सफर:

  • जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती (महाराष्ट्र)

  • कानूनी करियर की शुरुआत: 1985 में वकालत शुरू की

  • बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस: 1987

  • एडिशनल जज (2003) से लेकर पर्मानेंट जज (2005) तक का सफर

  • सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति: 24 मई 2019

  • रिटायरमेंट की तारीख: 23 नवंबर 2025

महत्वपूर्ण फैसले जिनका हिस्सा रहे CJI गवई

  • नोटबंदी को वैध ठहराना-2023 

जस्टिस गवई ने 2016 की नोटबंदी योजना को 4:1 बहुमत से वैध ठहराते हुए कहा कि यह निर्णय केंद्र सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक के बीच परामर्श के बाद लिया गया था और यह 'अनुपातिकता की कसौटी पर खरा उतरता है। 

  • ईडी निदेशक के कार्यकाल का अवैध विस्तार 2023

 जुलाई 2023 में जस्टिस गवई की बेंच ने प्रावर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को कार्यकाल के तीसरे विस्तार को अवैध घोषित किया और उन्हें 31 जुलाई 2023 तक पद छोड़ने का निर्देश दिया था। 

  • बुलडोजर कार्रवाई पर रोक-2024

2024 में, जस्टिस गवई और जस्टिस कैची विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि केवल आरोपी या दोषी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना असंवैधानिक है। कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं कर सकते, अगर होती है तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा। 

  • राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई-2022 

जस्टिस गवई की आध्यक्षता बाली बेंच ने 30 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद छह दोषियों की रिहाई का आदेश दिया, यह मानते हुए कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। 

  • वणियार आरक्षण को असंवैधानिक घोषित करना-2022

 तमिलनाडु सरकार के वणियार समुदाय को विशेष आरक्षण देने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया, क्योंकि यह अन्य पिछड़ा वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण था। 

  • तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत- 2023 

अस्टिस गवई की पीठ ने नागरिक अधिकार कार्यकती तीस्ता सीतलवाड़ को 2002 के गोधरा दंगों से संबंधित मामले में नियमित जमानत प्रदान की। 

  • सार्वजनिक अधिकारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता-2023

अस्टिस गवई ने उस संविधान बेंच का हिस्सा वे, जिसने यह निर्णय दिया कि मंत्रियों और सार्वजनिक अधिकारियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अतिरिक प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते।

अगर विश्वास टूटा, तो लोग न्यायपालिका की जगह भीड़ का सहारा लेंगे"

2024 में गुजरात के एक सम्मेलन में उन्होंने चेताया था –

"न्यायपालिका में जनता का विश्वास हिल गया तो समाज में अराजकता फैल सकती है। लोग भीड़ के न्याय या भ्रष्ट साधनों की ओर बढ़ेंगे।"

अब आगे कौन?

जस्टिस गवई के बाद वरिष्ठता क्रम में जस्टिस सूर्यकांत आते हैं। संभावना है कि वह देश के 53वें CJI होंगे।

CJI गवई: न्यायपालिका में सामाजिक प्रतिनिधित्व का प्रतीक

उनकी नियुक्ति केवल एक संवैधानिक पदभार नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है – कि साधारण पृष्ठभूमि से उठकर असाधारण ऊँचाई तक पहुँचना अब भी मुमकिन हैभारत को आज एक ऐसा न्यायाधीश मिला है, जो संविधान, समावेश और सेवा की मिसाल है।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें