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दक्षिण कोरिया, जो अपनी तकनीकी उन्नति, शिक्षा के स्तर और आर्थिक विकास के लिए दुनियाभर में प्रतिष्ठित है, हाल ही में एक अप्रत्याशित राजनीतिक तूफान से गुजरा। राष्ट्रपति यून सुक-योल द्वारा अचानक मार्शल लॉ की घोषणा ने देश के लोकतंत्र को संकट में डाल दिया। संसद पर सैन्य नियंत्रण और राजनीतिक गतिविधियों पर रोक के आदेश ने पूरे राष्ट्र को हिला कर रख दिया। यह राजनीतिक उथल-पुथल आखिर क्यों हुई? इस घटनाक्रम की गहराई में जाकर समझते हैं कि दक्षिण कोरिया किस मोड़ पर खड़ा है।
क्यों लगा मार्शल लॉ?
राष्ट्रपति यून सुक-योल ने अपने संबोधन में कहा कि "देश-विरोधी ताकतें" सक्रिय हो रही हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं। इसी आधार पर उन्होंने मार्शल लॉ लागू किया। इस फैसले के तहत:
सेना ने नेशनल असेंबली का नियंत्रण संभाला।
मीडिया पर सेंसरशिप लागू कर दी गई।
सभी राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई।
हालांकि, यह फैसला न सिर्फ विपक्षी पार्टियों बल्कि राष्ट्रपति की अपनी कैबिनेट को भी मंजूर नहीं हुआ। जनता और संसद के भारी विरोध के बाद, राष्ट्रपति को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
राष्ट्रपति की पत्नी का विवादों से कनेक्शन-
दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम कियोन ही का नाम अक्सर विवादों के साथ जुड़ा रहा है, जिससे राष्ट्रपति यून सुक-योल की राजनीतिक छवि पर भी असर पड़ा है। किम की गतिविधियाँ अक्सर सुर्खियों में रहती हैं, और हाल ही में एक घटना ने उन्हें फिर से विवादों के केंद्र में ला दिया। सितम्बर 2022 में, किम को एक कोरियाई-अमेरिकी पादरी से गुप्त रूप से 30 लाख वॉन (लगभग 1.8 लाख रुपये) का क्रिश्चियन डायर बैग लेते हुए फिल्माया गया था, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इस मामले ने राष्ट्रपति यून को यह बयान देने पर मजबूर कर दिया कि किम को बेहतर तरीके से व्यवहार करना चाहिए था।
क्या मार्शल लॉ में किम का हाथ था?
हालांकि मार्शल लॉ का आदेश हटा लिया गया है, विपक्ष राष्ट्रपति यून सुक-योल पर जमकर हमले कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि मार्शल लॉ का कदम राजनीति से प्रेरित था और इसका उद्देश्य किम के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से ध्यान भटकाना था। खासकर पिछले सप्ताह, जब राष्ट्रपति ने किम से जुड़ी स्टॉक हेरफेरी और प्रभाव-व्यापार के आरोपों पर विशेष जांच की मांग करने वाले विधेयक को वीटो कर दिया, तो विपक्ष ने इसे एक और राजनीतिक चाल के रूप में देखा।
कौन हैं किम कियोन ही?
किम कियोन ही, जो कि एक प्रमुख उद्यमी और दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला हैं, का जीवन हमेशा चर्चा में रहा है। उन्होंने 2007 में कोवाना कंटेंट नामक सांस्कृतिक कंपनी की स्थापना की थी, जो कला प्रदर्शनियों के आयोजन में अग्रणी है। उनकी कंपनी कई प्रतिष्ठित कलाकारों के प्रदर्शन आयोजित कर चुकी है, जिनमें अल्बर्टो जियाकोमेटी, मार्क चागल और मार्क रोथको जैसे बड़े नाम शामिल हैं। किम और राष्ट्रपति यून की शादी 2012 में हुई थी, और इसके बाद से उनका सार्वजनिक जीवन अक्सर विवादों और चर्चाओं का हिस्सा बनता है।
कैसे एक हैंडबैग से शुरू हुई सत्ता की लड़ाई-
इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत एक हैंडबैग से हुई। आरोप है कि राष्ट्रपति की पत्नी किम को 2022 में डायर का एक आलीशान बैग रिश्वत के तौर पर दिया गया था।
वीडियो ने मचाई सनसनी: पादरी चोई जे-यंग द्वारा जारी किए गए एक गुप्त वीडियो में किम को यह बैग स्वीकार करते हुए दिखाया गया।
विपक्ष ने उठाए सवाल: वीडियो वायरल होने के बाद विपक्ष ने इसे राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग का मुद्दा बना लिया।
इस विवाद ने राष्ट्रपति को मजबूर कर दिया कि वे सेना की मदद से नेशनल असेंबली को घेरने की कोशिश करें। लेकिन 190 सांसदों ने मिलकर मार्शल लॉ हटाने के लिए मतदान किया, जिससे राष्ट्रपति को झुकना पड़ा।
कोरिया: दशकों पुराना तनाव
दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच तनाव का इतिहास द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शुरू हुआ।
उत्तर कोरिया में कम्युनिस्ट शासन स्थापित हुआ।
दक्षिण कोरिया ने लोकतंत्र अपनाया।
तीन साल तक चले इस युद्ध के बाद भी दोनों देशों के बीच कोई शांति समझौता नहीं हुआ।
आज भी दोनों देश तकनीकी रूप से युद्ध की स्थिति में हैं।
सीमाई झड़पें:
राष्ट्रपति यून सुक-योल ने उत्तर कोरिया के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। उनका दावा है कि कुछ विपक्षी दल और वामपंथी गुट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।
नेशनल सिक्योरिटी लॉ: इस कानून के तहत, यदि कोई उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति दिखाता है, तो उसे कड़ी सजा दी जाती है।
विपक्ष का आरोप: आलोचकों का मानना है कि राष्ट्रपति ने यह कदम अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए उठाया था।
जनता और विपक्ष के भारी दबाव के बीच, राष्ट्रपति को मार्शल लॉ हटाना पड़ा। इसके बाद उन्होंने अपने इस कदम के लिए माफी भी मांगी। हालांकि, इस घटना ने उनकी राजनीतिक साख को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।
क्यो होगी भविष्य की राह?
दक्षिण कोरिया की इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लोकतंत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। अब सवाल यह है कि:
क्या राष्ट्रपति यून सुक-योल इस घटना से सीख लेकर अपनी नीतियों में बदलाव करेंगे?
क्या दक्षिण और उत्तर कोरिया के बीच तनाव कम हो पाएगा?
फिलहाल, दक्षिण कोरिया का लोकतंत्र अपनी जनता की दृढ़ता की बदौलत बचा हुआ है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर दिखा दिया कि सत्ता और जिम्मेदारी का सही संतुलन न होना किसी भी देश के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 7 December, 2024, 4:02 pm
Author Info : Baten UP Ki