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अभी बाकी है हरियाणा में उलटफेर की गुंजाइश, कई सीटों पर कांग्रेस महज कुछ हजार वोटों से पीछे...

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों में आज की सुबह से ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला कड़ा है, और हर एक वोट की गिनती महत्वपूर्ण हो गई है। चुनावी मैदान में बीजेपी ने अब तक 50 सीटों पर बढ़त बना रखी है और बहुमत की ओर बढ़ रही है, लेकिन कांग्रेस भी पीछे हटने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस फिलहाल 35 सीटों पर आगे चल रही है, और कुछ सीटों पर ऐसा अंतर है जो इस पूरे खेल को एक नया मोड़ दे सकता है।

13 सीटें बना सकती हैं गेम चेंजर-

हरियाणा के चुनावी नतीजों में जिस चीज ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा है, वह हैं वे 13 सीटें जहां कांग्रेस थोड़े ही वोटों से पीछे है। इन सीटों पर वोटों का अंतर इतना कम है कि अगले कुछ राउंड में तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है। जैसे ही इन सीटों की गिनती आगे बढ़ेगी, कांग्रेस की उम्मीदें भी बढ़ सकती हैं। यदि कांग्रेस इन सीटों पर बढ़त बना लेती है, तो बीजेपी को बहुमत के लिए जूझना पड़ सकता है। यह चुनावी दंगल पूरी तरह अप्रत्याशित और रोमांचक है, क्योंकि जैसे-जैसे वोटों की गिनती आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। ये सीटें इस प्रकार हैं-

आदमपुर - कांग्रेस 3770 वोटों से पीछे

पंचकूला- कांग्रेस 966 वोटों से पीछे

रादौर- कांग्रेस  5039 वोटों से पीछे

इंद्री- कांग्रेस  4086 वोटों से पीछे

नरवाना- कांग्रेस  5792 वोटों से पीछे

राई- कांग्रेस  1986 वोटों से पीछे

बदरा- कांग्रेस  3456 वोटों से पीछे

दादरी- कांग्रेस 2221 वोटों से पीछे

फतेहाबाद- कांग्रेस  1223 वोटों से पीछे

भवानी खेड़ा- कांग्रेस  4568 वोटों से पीछे

असंध- कांग्रेस 209 वोटों से पीछे

कलानौर- कांग्रेस 1290 वोटों से पीछे

होडल - कांग्रेस 400 वोटों से पीछे

मजबूत स्थिति में बीजेपी-

फिलहाल बीजेपी की स्थिति मजबूत दिख रही है, लेकिन चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दिख रहे आंकड़ों के मुताबिक, करीब 13 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस काफी कम वोटों के अंतर से पीछे चल रही है। इन सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों का पलड़ा अगले राउंड की गिनती में भारी पड़ सकता है।

बदल सकती है पूरी तस्वीर-

यह चुनाव सिर्फ संख्या का खेल नहीं है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में एक नई दिशा तय कर सकता है। कांग्रेस के पक्ष में अगर कुछ सीटें आ जाती हैं, तो यह पूरी तस्वीर बदल सकती है। हरियाणा की राजनीति हमेशा से ही रोचक और अप्रत्याशित रही है, और इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है।

बीजेपी की मजबूती और कांग्रेस की चुनौती-

बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में पार्टी ने राज्य में कई विकास कार्यों का दावा किया, और उनकी अगुवाई में हरियाणा को 'डबल इंजन सरकार' का लाभ मिलने की बात कही गई। पार्टी ने राष्ट्रीय मुद्दों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का भी फायदा उठाने की कोशिश की। यही कारण है कि बीजेपी को इस चुनाव में बढ़त मिलती नजर आ रही है। लेकिन कांग्रेस भी मैदान में डटी हुई है। भूपिंदर सिंह हुड्डा की अगुवाई में पार्टी ने किसानों, युवाओं, और बेरोजगारों से जुड़े मुद्दों को जोर-शोर से उठाया। हुड्डा के अनुभव और राज्य में उनके प्रभाव के कारण कांग्रेस ने कई सीटों पर बढ़त बनाई है। हालांकि, कुछ सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा, लेकिन जिन सीटों पर कम वोटों का अंतर है, वहां कांग्रेस की संभावनाएं अभी भी बरकरार हैं।

क्या है मतदाता की भूमिका?

इस चुनाव में हरियाणा के मतदाताओं की भूमिका अहम रही है। राज्य में किसानों के मुद्दों, रोजगार की कमी, और कानून-व्यवस्था से जुड़े सवालों पर जनता ने अपनी राय दी है। इस चुनाव में हरियाणा के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग मुद्दों पर वोटिंग हुई है। ग्रामीण इलाकों में जहां किसानों की समस्याओं और महंगाई ने बड़ी भूमिका निभाई, वहीं शहरी इलाकों में रोजगार और विकास के मुद्दों ने वोटर्स को प्रभावित किया। कांग्रेस ने अपनी चुनावी रैलियों में बेरोजगारी, कृषि संकट और महंगाई जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया, जिससे उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ बढ़त मिलती दिखी। वहीं, बीजेपी ने अपने अभियान में 'राष्ट्रवाद' और 'विकास' के नारों के साथ शहरी वोटर्स को लुभाने की कोशिश की। 

कितनी है गठबंधन की संभावना-

अगर अंतिम नतीजों में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो हरियाणा की राजनीति में गठबंधन की भूमिका अहम हो सकती है। जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) और इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) जैसी पार्टियां किंगमेकर की भूमिका में आ सकती हैं। जेजेपी के दुष्यंत चौटाला की पार्टी ने भी कुछ सीटों पर अच्छी पकड़ बनाई है, और अगर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला चलता रहा तो गठबंधन की चर्चा तेज हो सकती है। गठबंधन की राजनीति हरियाणा में नई नहीं है। पिछले चुनावों में भी यह देखा गया है कि किस तरह छोटी-छोटी पार्टियों ने बड़ी पार्टियों को समर्थन देकर सरकार बनाने में मदद की है। इस बार भी स्थिति कुछ ऐसी ही दिख रही है। जेजेपी, इनेलो और अन्य छोटे दलों की स्थिति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि वे सत्ता के संतुलन को बदल सकते हैं।

आखिरी क्षणों का रोमांच-

वोटों की गिनती अभी जारी है और हरियाणा की राजनीति में अंतिम क्षणों तक कुछ भी हो सकता है। बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही दलों के नेता और कार्यकर्ता अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। लेकिन यह तो साफ है कि इस चुनाव के नतीजे आसानी से तय नहीं होने वाले। जैसे-जैसे सीटों की स्थिति बदलती रहेगी, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों की रणनीतियां भी बदलती रहेंगी।

ज्लद आएगा जनता का फैसला-

हरियाणा विधानसभा चुनाव का यह परिणाम न सिर्फ राज्य के भविष्य को तय करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि जनता का रुझान किस दिशा में है। क्या बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी, या कांग्रेस इन 13 सीटों पर बाजी मारकर पूरे खेल को बदल देगी? यह सवाल आने वाले कुछ घंटों में ही स्पष्ट हो पाएगा, लेकिन तब तक राजनीतिक माहौल में यह अनिश्चितता और उत्सुकता बनी रहेगी।हरियाणा की जनता ने जो फैसला किया है, वह जल्द ही सामने आएगा। लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि राजनीतिक पार्टियों के बीच की यह लड़ाई अंतिम क्षणों तक रोमांचक बनी रहेगी।

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