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EVM की बैटरी बनी चुनावी घमासान की नई चिंगारी!

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हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद राजनीति का तापमान एक बार फिर गरमा गया है। इस बार चर्चा का केंद्र है-EVM यानी (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और उसकी बैटरी। कांग्रेस पार्टी ने चुनाव परिणामों पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि EVM की बैटरी में गड़बड़ी ने नतीजों को प्रभावित किया है। यह एक नया मुद्दा है, और इसके पीछे की तर्क-प्रक्रिया को समझना बेहद जरूरी है। क्या सचमुच EVM की बैटरी इतनी अहम हो सकती है कि वह चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करे? और आखिर यह बैटरी सिस्टम काम कैसे करता है? आइए, इस पूरे मुद्दे पर एक गहराई से नज़र डालते हैं।

कैसे काम करती EVM की बैटरी?

दरअसल EVM मशीनें बिजली से नहीं, बल्कि अल्कलाइन बैटरी से चलती हैं ताकि ये ऐसी जगहों पर भी इस्तेमाल की जा सकें, जहाँ बिजली की सुविधा नहीं होती। EVM की कंट्रोल यूनिट (CU) में 7.5 वोल्ट या 8 वोल्ट की बैटरी होती है, जबकि VVPAT, जो मतदाता को उसकी वोट की पर्ची दिखाने के लिए इस्तेमाल होती है, उसमें 22.5 वोल्ट की बैटरी होती है। EVM और VVPAT की बैटरियों का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) करते हैं, जो कि सरकारी कंपनियाँ हैं।

EVM की बैटरी के स्तर की नियमित रूप से मॉनिटरिंग-

EVM की बैटरी का स्तर नियमित रूप से मॉनिटर किया जाता है, और इसे 'हाई', 'मीडियम', 'लो', 'मार्जिनल' और 'चेंज बैटरी' के रूप में दर्शाया जाता है। जब बैटरी 5.8 वोल्ट के नीचे चली जाती है, तो बैटरी बदलने का संकेत मिलता है। अगर चुनाव प्रक्रिया के दौरान बैटरी कमजोर हो जाती है, तो इसे पोलिंग एजेंट्स की उपस्थिति में बदला जाता है।

EVM की बैटरी को फर्स्ट-लेवल चेकिंग-

चुनाव से पहले, EVM की बैटरी को फर्स्ट-लेवल चेकिंग के समय बदला जाता है। इस दौरान राजनीतिक दलों को इसकी सूचना दी जाती है और उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ये काम होता है। अगर पोलिंग के दिन बैटरी बदलने की जरूरत होती है, तो ये भी उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट्स की उपस्थिति में किया जाता है। मतदान समाप्त होने पर, हर पोलिंग स्टेशन का प्रिसाइडिंग ऑफिसर चुनाव आयोग को एक रिपोर्ट जमा करता है, जिसमें बैटरी बदलने की पूरी जानकारी होती है।

हरियाणा चुनाव के नतीजों पर खड़े हुए सवाल-

कांग्रेस ने हरियाणा चुनाव के नतीजों पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि कुछ उम्मीदवारों ने पाया कि जिन EVM में 99% बैटरी थी, वहाँ BJP को जीत मिली, और जिन EVM की बैटरी 60-70% के बीच थी, वहाँ कांग्रेस ने जीत दर्ज की। Congress ने इस आरोप को पूरी तरह स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन उन्होंने चुनाव आयोग (ECI) से इस मुद्दे पर बात करने की योजना बनाई है। राहुल गांधी ने भी X (पहले ट्विटर) पर इस मामले को लेकर पोस्ट किया और बताया कि कांग्रेस कई सीटों से आ रही शिकायतों को ECI के सामने उठाएगी। वहीँ अब तक, चुनाव आयोग ने इन आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है और मतदान के समय किसी भी पोलिंग एजेंट या उम्मीदवार ने EVM बैटरी को लेकर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।

पहली बार नहीं लगे EVM पर आरोप-

द्वारा EVM पर लगाए गए आरोप कोई नई बात नहीं हैं। इससे पहले भी कई राजनीतिक दलों ने EVM पर सवाल उठाए हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने बार-बार यही कहा है कि EVM मशीनें सुरक्षित हैं और इन्हें छेड़ा नहीं जा सकता। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने भी 100% VVPAT पर्चियों की गिनती करने की याचिका को खारिज कर दिया था।

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