प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन 27 फरवरी से दो दिवसीय भारत यात्रा पर आ रही हैं। इस दौरान वह पीएम मोदी से मुलाकात करेंगी और भारत-यूरोपीय यूनियन व्यापार परिषद में भाग लेंगी। उनकी इस यात्रा का मुख्य फोकस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर चर्चा करना होगा।
27 देशों का उच्चस्तरीय डेलिगेशन भी पहुंचेगा भारत-
उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ यूरोपीय संघ का एक उच्चस्तरीय डेलिगेशन भी भारत आ रहा है, जिसमें 27 सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। यूरोपीय संघ के अधिकारियों के अनुसार, इस यात्रा की योजना कई महीनों से बनाई जा रही थी और इसकी औपचारिक घोषणा 21 जनवरी को दावोस में की गई थी।
भारत और यूरोपीय संघ की रणनीतिक बैठकें-
इस यात्रा के दौरान ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित होगी, जिसमें व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग पर चर्चा होगी। इसके साथ ही, यूरोपीय आयुक्तों और भारतीय मंत्रियों के बीच महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी।
उर्सुला वॉन डेर लेयेन की तीसरी भारत यात्रा
यह उर्सुला वॉन डेर लेयेन की तीसरी भारत यात्रा होगी। इससे पहले वह:
- अप्रैल 2022 में द्विपक्षीय वार्ता के लिए आई थीं।
- सितंबर 2023 में G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने भारत पहुंची थीं।
यूरोपीय कमीशन की पहली महिला प्रमुख
उर्सुला वॉन डेर लेयेन यूरोपीय कमीशन की पहली महिला अध्यक्ष हैं। उनका जन्म 1958 में जर्मनी में हुआ था और उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से शिक्षा प्राप्त की है। राजनीति में कदम रखने से पहले उन्होंने मेडिकल क्षेत्र में भी काम किया।
भारत-यूरोपीय संघ के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध
- यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- 2023 में भारत-ईयू व्यापार 129 अरब डॉलर तक पहुंचा, जो भारत के कुल व्यापार का 12.2% है।
- भारत यूरोपीय संघ का 9वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- भारत में 6,000 से अधिक यूरोपीय कंपनियां कार्यरत हैं।
- सेवाओं के व्यापार में जबरदस्त उछाल आया है – 2020 में 31 बिलियन डॉलर का यह व्यापार 2023 में बढ़कर 62 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
क्यों महत्वपूर्ण है यह यात्रा?
भारत और यूरोपीय संघ वैश्विक व्यापार और रणनीतिक साझेदारी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर वार्ता को गति देने, डिजिटल और ग्रीन टेक्नोलॉजी में सहयोग बढ़ाने, और वैश्विक चुनौतियों पर संयुक्त रणनीति तैयार करने के लिहाज से यह यात्रा बेहद अहम मानी जा रही है।