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क्या पूरी तरह ठोस नहीं है पृथ्वी का आंतरिक कोर? वैज्ञानिकों ने किए चौंकाने वाले खुलासे!

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पृथ्वी के आंतरिक कोर को लेकर वैज्ञानिकों ने एक नया और रोमांचक खुलासा किया है, जो इस ग्रह की गहराइयों में छिपी जटिल प्रक्रियाओं की ओर इशारा करता है। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि आंतरिक कोर पूरी तरह स्थिर नहीं है, बल्कि यह समय के साथ बदलता रहता है। साउथर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (USC) के वैज्ञानिकों ने 121 भूकंपीय तरंगों का गहन विश्लेषण किया, जिससे यह पता चला कि आंतरिक कोर की सतह में संरचनात्मक परिवर्तन हो रहे हैं। यह अध्ययन प्रतिष्ठित पत्रिका नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुआ है। 

क्या है आंतरिक कोर का रहस्य?

पृथ्वी की सतह से लगभग 3,000 मील (4,800 किमी) नीचे स्थित आंतरिक कोर बाहरी कोर से घिरा हुआ है। बाहरी कोर पिघली हुई धातुओं से बना है, जबकि आंतरिक कोर को ठोस माना जाता रहा है। लेकिन वैज्ञानिकों ने अब यह पाया है कि यह पूरी तरह ठोस नहीं है और समय के साथ इसका आकार अस्थायी रूप से बदल सकता है। इस खोज से यह भी समझने में मदद मिलती है कि आंतरिक कोर की गतिविधियां पृथ्वी के घूर्णन और दिन की लंबाई को सूक्ष्म रूप से प्रभावित कर सकती हैं।

कैसे हुई यह खोज?

वैज्ञानिकों ने 1991 से 2024 के बीच दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह के पास आए 121 दोहराए जाने वाले भूकंपों से प्राप्त भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया। इन तरंगों का अध्ययन करने के लिए अलास्का के फेयरबैंक्स और कनाडा के येलोनाइफ स्थित रिसीवर स्टेशनों के डेटा का इस्तेमाल किया गया। दिलचस्प बात यह रही कि येलोनाइफ स्टेशन से प्राप्त डेटा में असामान्य गुण देखे गए। यह कुछ ऐसा था जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था।

जब वैज्ञानिकों ने डेटा का विस्तार से अध्ययन किया, तो उन्होंने पाया कि भूकंपीय तरंगें आंतरिक कोर की अतिरिक्त भौतिक गतिविधियों से प्रभावित हो रही थीं। यह इस बात का संकेत था कि आंतरिक कोर पूरी तरह स्थिर नहीं है, बल्कि इसकी सीमाएं स्थानांतरित हो सकती हैं और इसका आकार समय-समय पर बदल सकता है।

क्यों बदल रहा है आंतरिक कोर का आकार?

शोधकर्ताओं के अनुसार, यह परिवर्तन आंतरिक और बाहरी कोर के बीच होने वाली परस्पर क्रिया के कारण हो सकता है। अब तक वैज्ञानिकों का मानना था कि बाहरी कोर पिघली हुई धातुओं का एक अशांत क्षेत्र है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि उसकी यह अशांति आंतरिक कोर को भी प्रभावित कर सकती है। नए अध्ययन के मुताबिक, बाहरी कोर की हलचल आंतरिक कोर की सतह को चिपचिपी विकृति (viscous deformation) के जरिए प्रभावित कर सकती है, जिससे इसका आकार अस्थायी रूप से बदल सकता है।

क्या है भविष्य के अनुसंधान की दिशा?

यह अध्ययन न केवल आंतरिक कोर की संरचना को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी बताता है कि पृथ्वी की गहराइयों में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में और अधिक उन्नत तकनीकों के माध्यम से हम पृथ्वी के आंतरिक भागों को और गहराई से समझ सकते हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस अध्ययन के निष्कर्ष पृथ्वी के भूगर्भीय इतिहास और उसके भविष्य को समझने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह खोज जलवायु परिवर्तन, चुंबकीय क्षेत्र की स्थिरता और ग्रह की भौतिक विशेषताओं को समझने के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकती है।

भविष्य के शोध खोल सकते हैं नई रहस्य की परतें

यह अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि पृथ्वी की गहराइयों में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं, और आंतरिक कोर की गतिविधियां अपेक्षा से कहीं अधिक जटिल हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि भविष्य में इस विषय पर और अधिक शोध किए जाएंगे, जिससे हमें पृथ्वी की संरचना और उसकी गूढ़ प्रक्रियाओं के बारे में और भी रोमांचक जानकारियां मिल सकेंगी।

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